रानीखेत का मतलब होता है रानी की भूमि और यहां पर रानी का जिक्र रानी पद्मिनी के लिए किया गया है जिनकी सुंदरता को देख राजा सुधरदेव मधहोश हो उठे थे और उन्होंने इस जगह पर रानी के लिए एक महल बनवाया था। ये स्थान भी रानी पद्मिनी की तरह ही बेहद खूबसूरत है और आपको अब आपको यहां कोई महल तो नहीं मिलेगा लेकिन यह स्थान अनेक कहानियों और कथाओं से जुड़ा हुआ है।
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दिल्ली से 370 किमी की दूरी पर समुद्रतट से 1800 मीटरकी ऊंचाई पर स्थित रानीखेत एक पहाड़ी क्षेत्र है जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है। रानीखेत में पाइन के पेड़, घास के मैदान और हिमालय पर्वत के मनोरम दृश्य दिखाई देंगें। अगर आप प्रकृति की गोद में कुछ समय सुकून और शांति के साथ बिताना चाहते हैं तो आप रानीखते आ सकते हैं।
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यहां पर 1869 में ब्रिटिशों ने कुमाऊं रेजीमेंट में हैडक्वार्टर स्थापित किया था और वह भारत में पड़ने वाली भीषण गर्मी से बचने के लिए इस जगह पर आया करते थे। एक समय पर ब्रिटिशों ने शिमला की जगह इस स्थान को भारत सरकार का समर हैडक्वार्टर बना दिया था। इस स्थान पर नेपाली और कुमाऊं वंश के राजाओं का शासन भी रह चुका है। इन लोगों ने ब्रिटिशों की मदद से 1816 में इस स्थान को भारत में शामिल किया था।
उपत गोल्फ कोर्स
इसका नाम एशिया का सबसे ऊंचे गोल्फ कोर्स में शामिल है। उपत गोल्फ कोर्स समुद्रतट से 1800 मीटर की ऊंचाई पर बसे मुख्य शहर से महज़ 6 किमी दूर है। नाइन होल गोल्फ कोर्स की देखरेख का कार्य कुमाऊं रेजीमेंट द्वारा किया जाता है और यहां के पाइन के पेड़ इस जगह को शांतिमय स्थल बनाते हैं। इस जगह आकर आपने मन को शांति मिलेगी।
मजखाली
मुख्य शहर से थोड़ी सी दूर स्थित मजखाली एक छोटा सा पर्वतीय क्षेत्र है जहां पर मां काली का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां की जनसंख्या काफी कम है और यहां पर पर्यटकों के लिए काफी कुछ है। पर्वतों से ढके पर्वत और प्राकृतिक सौंदर्य की छटाएं पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
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केआरसी संग्रहालय
इस संग्रहालय की देखरेख का कार्य भारतीय सेना की कुमाऊं और नागा रेजीमेंट द्वारा किया जाता है। प्रथम विश्वयुद्ध में प्रयोग किए गए अनेक हथियार और युद्ध के दौरान दुश्मनों के झंडे और ऑप्रेशन पवन में एलटीटीई नाव को इस संग्रहालय में रखा गया है।
झूला देवी मंदिर
किवदंती है कि मंदिर के निकट घने जंगलों में कई जंगली जानवर रहते हैं और यहां के ग्रामीण तेंदुए और बाघ के आतंक से परेशान थे। गांव वालों ने मां दुर्गा से स्वयं की रक्षा की प्रार्थना की। तब एक चरवाहे के स्वप्न में आकर मा दुर्गा ने दर्शन दिए और उसे मूर्ति की खोज करने के लिए कहा।
जिस स्थान पर चरवाहे को माता की मूर्ति मिली थी उसी जगह पर मंदिर का निर्माण किया गया। इस मंदिर में हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए प्रार्थना करने आते हैं। मान्यता है कि मनोकामना की पूर्ति के बाद भक्त यहां मंदिर में घंटी भेंट करते हैं।
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छौबाटिया बाग
रानीखेत का छौबाटिया बाग भी पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है। ये बाग 600 एकड़ में फैला हुआ है और यहां पर सेब, आडू जैसे कई फलों के बागान हैं। ये बाग समुद्रतट से 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस जगह से हिमालय पर्वतों को मनोरम नज़ारा देखने को मिलता है।
कैसे पहुंचे
वायु मार्ग : रानीखेत से 119 किमी दूर स्थित पंतनगर निकटतम हचाई अड्डा है। ये एयरपोर्ट देश के प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई और कोलकाता आदि से जुड़ा हुआ है।
रेल मार्ग : रानीखेत से 80 किमी दूर काठगोदाम रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है।
सड़क मार्ग : दिल्ली से 370 किमी दूर रानीखेत तक रोड़ कनेक्टिविटी काफी बढिया है। यहां से हल्द्वानी के लिए बसें भी चलती हैं। हल्द्वानी से रानीखेत के लिए आपको लोकल टैक्सी मिल जाएगी।