कडलेकाई परिसे कर्नाटक की राजधानी बैंगलोर में मनाया जाने वाला दो दिवसयी पर्व है।पौराणिक कथायों के मुताबिक ,यह पर्व इसवीं 1537 में बैंगलोर के संस्थापक केम्पे गौडा ने यहां हम्पी राज्य की वास्तुकला के अनुरूप एक मन्दिर का निर्माण कराया। उल्लेखनीय है कि बसवा मन्दिर बसवनगुडी की एक पहाड़ी पर स्थित है।
कैसे घूमें बैंगलोर जब आपको पास हो सिर्फ एक दिन
इस मंदिर दोदा बसवाना गुड़ी भी कहा जाता है जिसका अनुवाद बुल मंदिर है,और जहां यह मंदिर स्थित है उस जगह को बसवंगुडी कहा जाता है। आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के किसान अपनी पहली फसल को भगवान बसवा (नन्दी) को अर्पण करते हैं। "बुल टेम्पल" को मेले के समय एक लाख दीपों से सजाया जाता है। इस दौरान यह मेले से कहीं ज्यादा त्योहार का रूप ले लेता है।
गाँवों का समूह
काफी समय पहले बसवंगुडी कई गाँवों का समूह था जैसे,सनकेनाहल्ली, गुट्टाहल्ली, मावल्ली, दशरहल्ली जहां मूंगफली की खेती की जाती थी। लेकिन उस दौरान किसान के बैल के कारण बेहद परेशान थे,ये बैल तब पूरी फसल को नष्ट कर देता था जब आकाश में पूरा चाँद होता था।
कडलेकाई परिसे
तब एक दिन क्षेत्र के सभी किसान उस बैल के पास गए और उन्होंने उससे विनती करी और कहा कि "कृप्या आप हमारी फसलों को नुक्सान न करें, साथ ही क्षेत्र के लोगों ने बैल के सामने ये भी पेशकश रखी कि यदि नुक्सान न हुआ तो फसल की पहली मूंगफली आपको चढ़ाई जायगी। बैल किसानों की इस शर्त को मान गया और तब से लेके आज तक इस मूंग फली मेले का आयोजन किया जाता है। बताया जाता है कि लोगों की प्रार्थना के बाद ये बैल वहां से गायब हो गया और कुछ दिनों बाद वहां एक मूर्ति मिली जिसे बाद में एक स्थाई मंदिर में रख दिया गया। इस मूर्ति के बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि इस मूर्ति के माथे पर एक त्रिशूल गाड़ के इसके विकास को रोका गया है क्योंकि तब से हर साल इस मूर्ति का आकार बढ़ रहा था। आज आप ये मूर्ति बैंगलोर के बसवनगुड़ी में मौजूद "बुल टेम्पल" में देख सकते हैं।
कब मनाया जाता है यह उत्सव?
"कडलेकाई परिसे" यानी मूंगफली का मेला हिन्दू पञ्चांग के अनुसार कार्तिक माह के अन्तिम सोमवार को आयोजित किया जाता है। बसवनगुडी इलाके में "बुल टेम्पल" यानी नन्दी मंदिर के समीप स्थित प्रसिद्ध दोव् गणेश अर्थात बड़े गणेश मन्दिर के पास यह आयोजित होता है। मेले से एक दिन पूर्व ही कर्नाटक और अन्य राज्यों के व्यापारी मूंगफली खरीदने और बेचने का काम आरम्भ कर देते हैं। यह मूंगफली की फसल का समय होता तब किसान अपने खेत की पहली फसल को लेकर यहां आते हैं और उसे सीधे जनता को बेचते हैं।
क्या करने जाएं इस मेले में
अगर आपको बैंगलोर जैसे शहर में ग्रामीण जीवन का आनंद लेना है तो आप अवश्य ही इस मेले में आइये और कर्नाटक की सभ्यता और संस्कृति को करीब से महसूस कीजिए। जैसा कि हमने आपको पहले बताया यहां की मूंगफली अपने में लाजवाब है तो आपको अगर कुछ अलग किस्म की मूंगफली खाने और देखने का शौक हो तो आप यहां ज़रूर आइये। मूंगफली और बुल टेम्पल के अलावा यहां बहुत कुछ है यहां आकर के आपको रोजमर्रा की चीजें मार्केट से कहीं सस्ते दामों पर मिल सकती हैं।
मूंगफलियों को समर्पित है
बैंगलोर का ये मेला ये मेला हर साल बुल टेम्पल के पास लगता है जिसमें राज्य के किसान आकर अपनी मूंगफली बेचते हैं।
मेले में बिकती मूंगफली
मूंगफली इस मेले का मुख्य आकर्षण हैं जिन्हें आप बहुतायत में यहां बिकते हुए देखेंगे।
मेले में बिकती मूंगफली
बाहर महंगे दाम में मिलने वाली मूंगफली यहां काफी सस्ते में बिकती है।
बुल टेम्पल में लगता है ये मेला
हर साल कार्तिक मास में इस मेले का आयोजन किया जाता है। इस दौरान यहां दर्शन करने वाले लोगों की काफी भीड़ रहती है।
बहुत कुछ बिकता है यहां
अगर आप चाहें तो यहां आकर आप कई सारे रंग बिरंगे मिट्टी के बर्तन भी खरीद सकते हैं।
बहुत कुछ बिकता है यहां
यहां मेले में आपको जगह जगह चाट पकौड़ी के स्टाल भी देखने को मिलेंगे।