भारतीय संस्कृति के हिसाब से कोई भी शुभ काम तब तक शुरू नहीं होता जब तक की उसमे गणपति बप्पा की आराधना ना हो। जैसा की सभी जानते है कि बप्पा यानी भगवान गणेश को विघ्नहर्ता कहा जाता है...
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का प्रमुख त्यौहार मनाया जाता है। गणेश पुराण में उल्लेखित कथाओं के अनुसार इसी दिन सम्पूर्ण विघ्न बाधाओं को दूर करने वाले, कृपा के सागर तथा भगवान शंकर और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश जी का आविर्भाव हुआ था।
गणेश चतुर्थी स्पेशल : भारत में मौजूद अलग - अलग गणेश मंदिर
आप भारत के अधिकाश घरों में भगवान गणेश के अलग अलग रूपों को वास करते हुए देखेंगे, साथ ही आपको ये भी मिलेगा कि महत्त्वपूर्ण अवसरों पर हमेशा ही भगवान गणेश को प्राथमिकता दी जाती है। आपको बताते चलें कि जल्द ही सम्पूर्ण भारत में गणेश चतुर्थी के पर्व को बड़े ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जायगा। इसी क्रम में जानते हैं भारत के प्रसिद्ध गणपति मन्दिरों के बारे में
सिद्धिविनायक मंदिर, मुम्बई
गणेश जी की जिन प्रतिमाओं की सूड़ दाईं तरह मुड़ी होती है, वे सिद्घपीठ से जुड़ी होती हैं और उनके मंदिर सिद्घिविनायक मंदिर कहलाते हैं। कहते हैं कि सिद्धिविनायक की महिमा अपरंपार है। वे भक्तों की मनोकामना को तुरंत पूरा करते हैं। मान्यता है कि ऐसे गणपति बहुत ही जल्दी प्रसन्न होते हैं और उतनी ही जल्दी नाराज भी हो जाते हैं। मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में काफी मशहूर है।
बल्लालेश्वर मंदिर, मुंबई-पुणे हाइवे
मुंबई-पुणे हाइवे पर बना बल्लालेश्वर मंदिर बहुत खास है। किवदंती है कि प्राचीन समय में एक बल्लाल नाम का बालक गणेश जी का परमभक्त था। उसने अपने गांव में विशेष पूजा का आयोजन किया। कई दिनों तक ये पूजन चला। इस पूजा में कई बच्चे शामिल हुए और लौटकर घर नहीं गए बल्कि गणेश जी के पूजन में ही बैठे रहे। इस कारण उन बच्चों के माता-पिता ने बल्लाल को खूब पीटा और गणेश जी की प्रतिमा के साथ उसे भी जंगल में फेंक दिया। तब भी भल्लाल गणेश जी के मंत्रों का जाप कर रहा था। उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर गणेश जी ने उसे दर्शन दिए।
मोती डूंगरी,जयपुर
मोती डूंगरी में भगवान गणेशजी का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। दूसरे स्तर पर निर्मित मंदिर भवन साधारण नागर शैली में बना है। हर बुधवार को यहां मोती डूंगरी गणेश का मेला भरता है। यहां दाहिनी सूंड वाले गणेशजी की विशाल प्रतिमा है, जिस पर सिंदूर का चोला चढ़ाकर भव्य श्रंगार किया जाता है। गणेश चतुर्थी के मौके पर यहां आने वाले भक्तों की संख्या हजारों-लाखों का आंकड़ा पार कर जाती है। मंदिर में हर बुधवार को नए वाहनों की पूजा कराने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ लगी होती है। माना जाता है कि नए वाहन की पूजा मोती डूंगरी गणेश मंदिर में की जाए तो वाहन शुभ होता है।
गणेश टोक मंदिर, सिक्किम
गंगटोक-नाथुला रोड से करीब 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है यह बेहद खास मंदिर। यह करीब 6,500 फीट की ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। इस मंदिर की खासियत यह है कि मंदिर के बाहर खड़े होकर आप पूरे शहर का नजारा एकसाथ ले सकते हैं।
हतियनगडी-सिद्धि विनायक मंदिर
हतियनगडी में 8 वीं सदी का श्री सिद्धि विनायक मंदिर है। यह मंदिर कुंदापुर तालुक में है और भगवान विनायक की मूर्ति स्थापित है। यह ऐतिहासिक जगह देश भर के हिंदुओं के लिये एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यह मंदिर वरही नदी के पास है। यह भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान विनायक की जटाएं यानी बाल हैं। मूर्ति 2.5 फुट ऊंची होने के साथ सालीग्राम पत्थर में बनी है। भगवान की सूंढ़ बाईं ओर मुड़ी हुई है। विभिन्न अवसरों पर भगवान का विशेष पूजन किया जाता है। माना जाता है कि सभी भक्तों की मनोकामनाएं यहां आने से पूर्ण होती हैं, इसीलिये उनके नाम के आगे सिद्धि लगा दिया गया।
मधुर महागणपति मंदिर, केरल
इस मंदिर से जुड़ी सबसे रोचक बात ये है कि शुरुआत में ये भगवान शिव का मंदिर था। लेकिन पुजारी के छोटे से बेटे ने मंदिर की दीवार पर भगवान गणेश की प्रतिमा का निर्माण किया। कहते हैं मंदिर के गर्भगृह की दीवार पर बनाई हुई बच्चे की प्रतिमा धीरे-धीरे अपना आकार बढ़ाने लगी। वो हर दिन बड़ी और मोटी होती गई। उस समय से ये मंदिर भगवान गणेश का बेहद खास मंदिर हो गया।
श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई मंदिर, पुणे
श्रीमंत दगड़ूशेठ हलवाई गणपति मंदिर में भक्तों की भगवान के प्रति आस्था साफ नजर आती है। कोई इन्हें फूलों से सजाता है, तो कोई इन्हे सोने से लाद देता है, तो कोई इन्हे मिठाई से सजाता है, तो कोई नोटों से पूरे मंदिर को ढक देता है। वहीं इस बार अक्षय तृतीया के मौके पर पुणे के रहने वाले एक आम विक्रेता ने गणपति के इस मंदिर और गणपति को पूरा का पूरा आम से ही शृंगार कर डाला था। भक्त की भगवान के प्रति इस तरह की कई अनोखी आस्थाओं का उदाहरण देखने को मिलता है भगवान गणेश के इस मंदिर में।
खजराना गणेश मंदिर
इंदौर के खजराना में स्थित यह गणेश मंदिदर मां अहिल्याबाई के शासनकाल में बनाया गया था। दूर-दूर से श्रद्धालु यहां अपनी मनोकामना की पूर्ति हेतु प्रार्थना करने आते हैं।
कनिपक्कम विनायक मंदिर, चित्तूर
कनिपक्कम विनायक का ये मंदिर आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में है। इस मंदिर की स्थापना 11वीं सदी में चोल राजा कुलोतुंग चोल प्रथम ने की थी।जितना प्राचीन ये मंदिर है उतनी ही दिलचस्प इसके निर्माण की कहानी भी है। कहते हैं यहां हर दिन गणपति का आकार बढ़ता ही जा रहा है। साथ ही ऐसा भी मानते हैं कि अगर कुछ लोगों के बीच में कोई लड़ाई हो, तो यहां प्रार्थना करने से वो लड़ाई खत्म हो जाती है।
रणथंभौर गणेश जी, राजस्थान
रणथंभौर किले के महल पर बना ये बहुत पुराना मंदिर है। ये मंदिर करीब 1000 साल पुराना है। यहां तीन नेत्र वाले गणेश जी आपको मिलेंगे। ये गणेश जी नारंगी रंग के हैं और विदेशियों के बीच काफी प्रचलित हैं। दूर-दूर से लोग यहां बप्पा के इस अद्भुत रूप का दर्शन करने के लिए आते हैं।