भारत असंख्य अनसुलझे रहस्य और चमत्कारों का देश है, यहां के प्राचीन मंदिर-मस्जिद, खंडहरों में तब्दिल होते राजशाही किले-मकबरे अद्भुत किस्सों से भरे पड़े हैं। आस्था का सबसे बड़ा केंद्र माने जाने वाला भारत अपनी इन खासियतों के वजह से विश्व को अपनी ओर आकर्षित करता है। भारत में छोटे-बड़े अंसख्य धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जिनकी अपनी आस्था और अपनी अलग मान्यताए हैं।
रहस्य की पड़ताल में आज हमारे साथ जानिए एक ऐसी दरगाह के बारे में जहां का एक पत्थर सालों से बना हुआ है सबसे बड़ा रहस्य। इस पत्थर की ताकत का अंदाज विज्ञान भी नहीं लगा पाया है। आइए जानते हैं इस खास पत्थर के बारे में।
बाबा कमर अली दरवेश दरगाह
इस रहस्यमयी पत्थर की कहानी जुड़ी है बाबा कमर अली दरवेश दरगाह से। दरगाह में रखा एक सामान्य सा दिखने वाला पत्थर यहां आने वालों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है। माना जाता है कि जमीन पर रखे इस पत्थर में रहस्यमयी ताकत है, जो अपने आप इतना भारी हो जाता है कि कोई उठा नहीं सकता और कभी इतना हल्का कि सिर्फ उंगलियों के सहारे से ही उठ जाता है। आगे जानिए इस पत्थर से जुड़े रहस्यमयी तथ्यों के बारे में।
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सूफी संत हजरत कमर की दरगाह
इस दरगाह का इतिहास कई सालों पुराना है, आज से लगभग 700 साले पहले यहां हजरत कमर अली नाम के एक सूफी संत को दफयाना गया था। जानकारों के अनुसार हजरत कमर एक पहुंचे हुए युवा संत थे जिनका आसपास के गांवों में बहुत नाम था, लोग उनके पास अपनी तकलीफों को लेकर आते थे। संत हजरत लोगों की तकलीफों का समाधान अपने पाक मन और दिमाग से निकाला करते थे, जो उन्होंने काफी कम उम्र में हासिल किया था।
माना जाता है कि उनकी मृत्यु 18 वर्ष की आयु में हो गई थी। उनकी मृत्यु के पश्चात उन्हें संत की उपाधि दी गई।
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चमत्कारों का गढ़ है दरगाह
स्थानील लोगों का मानना है कि यह दरगाह चमत्कारी है। जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है, दरगाह परिसर में रखा एक पत्थर है। सामान्य से दिखने वाले इस पत्थर का वजन 90 किलो है। माना जाता है कि कोई इस पत्थर को अकले नहीं उठा सकता है।
लेकिन संत का नाम लेकर अगर 11 लोग इस पत्थर को अपनी तर्जनी उंगली से उठाए तो यह आसानी से उठ जाता है। आगे जानिए पत्थर से जुड़ा एक और रहस्यमयी तथ्य।
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परिसर के अंदर उठता है पत्थर
जानकारों का मानना है कि यह पत्थर सिर्फ परिसर के अंदर और संत हजरत कमल का नाम लेने पर ही उठता है। जिसके लिए 11 लोगों की जरूरत होती है। अगर पत्थर को परिसर के बाहर ले जाकर उठाया जाए तो यह अपनी जगह से नहीं हिलता है। चाहे 11 से ज्यादा लोग क्यों न इस पत्थर को आकर उठाएं ।
इस पत्थर को उठाने के लिए सिर्फ तर्जनी उंगली का ही इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि किसी और उंगली से यह पत्थर अपनी जगह से नहीं हिलता । स्थानीय लोगों का मानना है कि इस दरगाह में आज भी बाबा हजरत कमर की शक्तियां विद्यमान हैं।
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कैसे करें प्रवेश
संत हजरत कमर दरवेश की दरगाह पुणे-बैंगलोर हाईवे पर शिवपुरी नामक गांव में है। आप यहां नेशनल हाईव की मदद से आसानी से पहुंच सकते हैं। पुणे शहर से दरगाह की दूरी लगभग 16 किमी है। यहां का नजदीकी रेलने स्टेशन पुणे है। हवाई मार्ग के लिए आपको पुणे एयरपोर्ट या मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का सहारा लेना पड़ेगा।(लेख में प्रतिकात्मक चित्रों का इस्तेमाल किया गया है)
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