वायनाड दक्षिण भारत के केरल राज्य में स्थित एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है, जो अपनी बेशकीमती प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए जाना जाता है। वायनाड पश्चिमी घाट पर लगभग 700 से 2100 मीटर की ऊंचाई के साथ बसा है। पर्यटन के लिहाज से यह स्थान काफी खास है, साल के हर माह यहां आपको सैलानियों का हुजूम दिख जाएगा। वायनाड वन्यजीव अभयारण्य यहां के सबसे मुख्य आकर्षणों में गिना जाता है, प्रकृति को अगर करीब से देखना और समझना है तो आप यहां की सैर का प्लान बना सकते हैं।
प्राकृतिक धरोहरों से हटकर ये स्थान सांस्कृतिक रूप से भी काफी समृद्ध है। यहां कई अद्भुत प्राचीन मंदिर मौजूद हैं जो भारतवर्ष के श्रद्धालुओं का ध्यान अपनी ओर खींचने का काम करते हैं। इस क्रम में जानिए केरल के वायनाड की घाटी में स्थित भगवान विष्णु के एक भव्य मंदिर के बारे में जिसका इतिहास पौराणिक काल से बताया जाता है।
ऐतिहासिक तिरुनेल्ली मंदिर
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केरल के ब्रह्मगिरी पहाड़ी के किनारे बसा तिरुनेल्ली मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित राज्य का प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर वायनाड की पहाड़ी घाटी में लगभग 900 मीटर की ऊंचाई पर घने जंगलों से घिरा हुआ है। मनथवडी से यहां तक की दूरी मात्र 32 किमी रह जाती है। यह मंदिर इतना प्राचीन है कि इसकी स्थापना से जुड़ा कोई सटीक विवरण नहीं मिलता। इन सबसे अलग तिरुनेल्ली कभी इस इलाके का सबसे महत्पूर्ण शहर और तीर्थस्थान रह चुका है। वर्तमान में इस स्थल से पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व इस स्थान को खास बनाने का काम करते हैं। तमिल चेरा राजा भास्कर रवि वर्मा के शासनकाल से जुड़े साक्ष्य बताते हैं तिरूनेल्ली दक्षिण भारत का एक एक महत्वपूर्ण शहर और तीर्थस्थल था।
पुराणों और लोकगीत में उल्लेख
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तिरुनेल्ली नाम की उत्पत्ति मलयालम और कन्नड़ के शब्द नेल्ली से हई है, जिसका अर्थ होता है आंवला(इंडियन गुजबेरी)। वेद व्यास ने 18 मौजूदा पुराणों की रचना की थी । मत्स्य पुराण, स्कंद पुराण, नरसिम्हा पुराण, पद्म पुराण, और कई अन्य पुराणों और हिंदू ग्रंथों में इस खूबसूरत विष्णु मंदिर का उल्लेख है। इन ग्रंथों में यह भी उल्लेख भी है कि विष्णु मंदिर का निर्माण भगवान ब्रह्मा द्वारा किया गया था,जो घने जंगल के बीच स्थित है, जिसे "सहमलका क्षेत्र" कहा गया है।
पौराणिक किवदंती है कि भगवान ब्रह्मा ब्रह्मांड की यात्रा करे रहे थे उसी दौरान वो ब्रह्मागिरि पहाड़ी की तरफ आकर्षित हुए। माना जाता है कि उनकी नजर आंवले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की मूर्ति पर पड़ी। देवों की मदद से भगवान ब्रह्मा ने मूर्ति स्थापित किया और "सहमलका क्षेत्र" का नाम दिया। ब्रह्मा की प्रार्थना पर भगवान विष्णु ने वचन दिया कि यहां की झील सभी के पाप मुक्त करेगी। इसके मंदिर के पास स्थित झील को पापनाशिनी कहा गया।
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अन्य मंदिरों के साथ संबंध
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ऐसा माना जाता है कि कुछ किवदंतियों और लोक कथाओं में तिरुनेल्ली मंदिर का जिक्र कोट्टियूर और त्रिसिलरी मंदिर के साथ मिलता है। यहां एक प्राचीन मार्ग स्थित है जो जो नारिनिरंगी माला को भगवान शिव के त्रिसिलरी महा देव मंदिर से जोड़ने का काम करता है।
माना जाता है कि प्रारंभिक समय में त्रिपिलरी के दर्शन करने के साथ-साथ नारिनिरंगी माला के कठिन रास्तों से होते हुए तिरूनेल्ली भगवान विष्णु के दर्शन के लिए आया करते थे। ये रास्ता काफी खतरों से भरा बताया जाता था। इन मार्गों की तुलना प्रारंभिक शबरीमाला के दुर्गम रास्तों के साथ की जा सकती है।
आसपास के स्थल - पापनाशिनी
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पापनाशिनी तिरुनेल्ली के पास बहने वाली पवित्र नदी है, जो प्राचीन पेड़ों, औषधीय जड़ी बूटियों की जड़ों, पत्तियों और फूलों के माध्यम से ब्रह्मगिरी वन के ह्रदय से निकलती है। तिरुनेल्ली मंदिर परिसर से 1किमी का सफर तय कर यहां पहुंचा जा सकता है। जैसा की नाम से पता चल रहा है कि पापों से मुक्त कराने वाली नदी है।
पौराणिक काल की एक घटना के दौरान भगवान विष्णु ने यह वचन दिया था कि यह नदी सभी को उनके पापों से मुक्त कराएगी। कई धार्मिक कर्मकांड इसी में नदी में किए जाते हैं। इसके अलावा यहां पंचथीरथम के दर्शन कर सकते हैं। पंचथीरथम एक पवित्र मंदिर तालाब है।
कैसे करें प्रवेश
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ऐतिहासिक तिरुनेल्ली मंदिर केरल के वायनाड जिले में स्थित है जहां आप तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा कालीकट एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप निलाम्बुर रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं। बेहतर सड़क मार्गों से वायनाड दक्षिण भारत के बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।
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