वाराणसी भारत के ऐसे शहरों में से है जो पूरे विश्व में कई कारणों और विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है। आम बोलचाल में जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है, वह वाराणसी देश का सबसे प्राचीन शहर भी कहलाता है और यहाँ की कुछ विशेषताएं ऐसी हैं जो यहाँ आने वाले हर पर्यटक को विस्मय और एक अलग तरह के उल्लास से भर देती हैं।
[वाराणसी का अद्वितीय काँठवाला मंदिर!]
यूँ तो वाराणसी में बहुत कुछ देखने को है। भारत के सात प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक होने की वजह से, साल के हर दिन शहर में पर्यटकों और सैलानियों की भीड़ इस दिव्य भूमि की अद्भुत आभा के अनुभव करने के लिए उमड़ती है। यह भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों के स्थानों में से भी एक जगह है।
[वाराणसी की यात्रा में करना न भूलें ये सारी चीजें!]
हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि अगर आप वाराणसी की पवित्र भूमि में मृत्यु को प्राप्त होते हैं तो आपको मोक्ष की प्राप्ति होती है। कई भक्तगण अपने वृद्धावस्था के समय इस जगह पर गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए ज़रूर ही आते हैं जिससे कि उनके सारे पाप धुल जाएँ या मिट जाएँ और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो।
[यहीं पर देव ब्रह्मा ने अश्वमेध यज्ञ किया था!]
आज हम आपको यहाँ कुछ ऐसे अजीब और खास नज़ारे दिखाएंगे जो आप सिर्फ वाराणसी में ही देख सकते हैं, और ये सारी चीज़ें इस प्राचीन शहर को पूरी दुनिया के समक्ष एक दिलचस्प शहर बनाती हैं।
प्राचीन शहर
वाराणसी सिर्फ भारत का ही प्राचीन शहर नहीं है, यह पूरे विश्व के प्राचीन शहरों में से एक है। यह लोकप्रिय शहर काशी के नाम से भी जाना जाता है।
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मोक्ष प्राप्त करने के लिए
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, वाराणसी एक पवित्र शहर के रूप में जाना जाता है। जो भी यहाँ मृत्यु को प्राप्त होता है या जिसकी अस्थियां यहाँ की गंगा नदी में प्रवाहित की जाती है, उनके लिए ऐसा माना जाता है कि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। वे अपने सारे पापों और दुखों से मुक्त हो जाते हैं।
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गंगा नदी में डुबकी
वाराणसी, गंगा नदी के तट पर बसा हुआ है। ऐसा कहा जाता है कि यहाँ आ गंगा नदी में डुबकी लगाने से आपके सारे पाप धुल जाते या मिट जाते हैं।
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वाराणसी के घाट
नदी के किनारे का कुछ हिस्सा जहाँ से आप नदी के पानी में उतरने के लिए कदम बढ़ाते हैं, घाट कहलाता है। वाराणसी में ऐसे घाट कई सारे हैं जो शहर के प्रमुख आकर्षण हैं। यहाँ के हर घाट की एक अलग महत्ता है।
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मणिकर्णिका घाट
मणिकर्णिका वाराणसी का ही एक घाट है जो हिन्दू धर्म के लोगों द्वारा किये जाने वाले अंतिम संस्कारों के लिए जाना जाता है।
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अंतिम संस्कार के लिए शवों की कतार
मणिकर्णिका घाट में हर रोज़ लगभग 1000 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है। आपको यहाँ एक अजीब सा नज़ारा देखने को मिलेगा कि, यहाँ अंतिम संस्कार करने के लिए इंतज़ार में शवों की लंबी कतार लगती है।
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दशाश्वमेध घाट
यह वाराणसी के मुख्य घाटों में से एक है। इस स्थान के लिए ऐसा कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा द्वारा अश्वमेध यज्ञ करने के दौरान यहीं पर 10 घोड़ों की बलि दी गई थी। इससे जुड़ी अन्य कथा यह है कि इस घाट को भगवान ब्रह्मा द्वारा शिव जी के स्वागत के लिए बनवाया गया था।
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दरभंगा घाट
दरभंगा घाट दशाश्वमेध घाट और राणा महल घाट के बीच में बसा हुआ है। इस घाट को उस राजा के नाम से जाना जाता है जो यहीं वास करते थे। आप यहाँ एक खूबसूरत महल को भी देख सकते हैं जो यहाँ 1900 के दशक में बनवाया गया था।
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भगवान शिव की भक्ति
गंगा नदी के तट पर शिवलिंग का अनुष्ठान करता भक्त।
कपड़े धोना
आप यहाँ गंगा नदी के तट पर कई लोगों को नहाते और कपड़े धोते हुए देख सकते हैं।
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सूर्यास्त का नज़ारा
वाराणसी में गंगा नदी पर या गंगा घाट पर बैठ सूर्यास्त के नज़ारे को देखना आप बिलकुल भी न भूलें। यहाँ के सूर्यास्त का नज़ारा आसमान में होने वाले जादू की तरह होता है।
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कालियामर्धनं
'कालियामर्धनं' का नज़ारा जो गंगा नदी पर निर्मित किया जाता है नाग नथैया त्यौहार के समय त्यौहार के जश्न के तौर पर देखने को मिलता है।
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नौका विहार
वाराणसी में पर्यटक नौका विहार के मज़े लेते हैं और इसके साथ ही साथ कई घाटों और मुख्य जगहों की सैर करते हुए आप को नदियों से जुड़ी कई बातें भी बताई जाती हैं।
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साइकिल रिक्शा
अगर आपको शहर के अंदर ही अंदर सड़कों और गलियों की सैर करना है तो आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प होगा साइकिल रिक्शा। आपको यहाँ की गलियों में रिक्शे की सैर पर एक अलग ही अनुभव का एहसास होगा।
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काशी के राजा
शहर के एक खास त्यौहार में शामिल होते काशी की रियासत के श्रद्धेय राजा, काशी नरेश।
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गंगा नदी के साथ
गंगा नदी के साथ-साथ अपनी नाव को चलाता स्थानीय निवासी।
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स्नान करने वाला घाट
वाराणसी के स्नान करने वाले घाटों में से एक घाट पर बैठा श्रद्धालु।
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मालवीय पुल
मालवीय पुल वाराणसी के गंगा नदी पर बना डबल डेकर पुल है।
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कीलों की शय्या
आप यहाँ एक साधू को कीलों की शय्या पर आराम फरमाते हुए देख सकते हैं। कई ऐसे अजीब नज़ारे आपको वाराणसी में देखने को मिलेंगे जो यहाँ सामान्य हैं।
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बांसुरी बजैया
वाराणसी का एक और दिलचस्प नज़ारा, बांसुरी बजाता साधू।
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मानव मांस खाना
आप यहाँ पर कई ऐसे साधुओं को देखेंगे जो मृत व्यक्तियों का मांस कहते हैं, इन्हें अघोरी कहा जाता है। यहाँ आप एक अघोरी को देख सकते हैं जिसने अपने पूरे चेहरे को मृत शरीर के अंतिम संस्कार के बाद बची राख से मला हुआ है।
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एक नशेड़ी साधू
आपको ऐसे नज़ारे भी काशी में कई देखने को मिल जायेंगे। यह साधू गाँजे का सेवन कर रहा है।
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भैसों को निलहाना
आप यहाँ स्थानीय निवासियों को गंगा नदी में अपनी भैंसों को निलहाते हुए भी देख सकते हैं।
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बनारस सिल्क(रेशम)
वाराणसी को बनारस के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ की बनारसी सिल्क साड़ियां पूरे देश में काफी प्रसिद्ध हैं।
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पूज्य गौ माताएं
आप यहाँ गायों को गली-गली और सड़कों पर ऐसे ही घूमते हुए पाएंगे। इन्हें यहाँ पूज्य गौ माता के तौर पर माना जाता है।
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तैरता हुआ(अस्थाई) पुल
यह नदी में तैरता हुआ एक अस्थायी पुल है जिसका भक्तगण एक तट से दूसरे तट की ओर जाने के लिए उपयोग करते हैं।
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पंखों की फैक्ट्री
यह वाराणसी की एक फैक्ट्री है, जहाँ बिजली के पंखे बनाये जाते हैं।
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बनारस पान
यह वाराणसी की एक पान की दुकान है। यहाँ ऐसे ही कई सारी दुकानें हैं जहाँ कई अलग-अलग तरह और अलग-अलग स्वाद के पान मिलते हैं। बनारस का पान भी देश भर में काफ़ी लोकप्रिय है।
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नई पीढ़ी की पूजा
आपको कई ऐसे श्रद्धालु भी मिलेंगे जो पूजा के मध्य में ही अपने मोबाइल फ़ोन पर बातें करते हैं और आजकल तो यह बहुत ही सामान्य बात हो गई है।
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अंतिम रस्में
कई लोग अपने प्रियजनों के मर जाने के बाद अंतिम संस्कार की आखिरी रस्में करने वाराणसी ही आते हैं। यहाँ के कई घाटों पर यह नज़ारा आम है।
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सामूहिक स्नान
आप यहाँ ऐसे नज़ारे देख कर बिल्कुल भी चौंकिएगा मत क्योंकि यहाँ ऐसे नज़ारे आम हैं, जहाँ लोग समूह में स्नान करते हैं।
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वाराणसी में नरेन्द्र मोदी
यह तस्वीर नरेन्द्र मोदी जी के वाराणसी दौरे की है।
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फूलों की दुकान
वाराणसी में आप ऐसे ही कई फूलों की दुकान देख पाएंगे। इन फूलों को भक्तों द्वारा ख़रीदा जाता है, जो मंदिरों और घाटों में पूजा अर्चना करने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं।
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वाराणसी में दिवाली
दिवाली के अवसर पर वाराणसी पूरी रौशनी से जगमगा उठता है। सैलानी इस खास अवसर पर वाराणसी की यात्रा पर आते हैं ताकि वे वाराणसी में इस रंगारंग और रौशनी से भरे पर्व के जश्न में शामिल हो सकें।
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घाटों को प्रकाश से सजना
दिवाली के अवसर पर घाटों को दीयों से सजाया जाता है, जिनसे यहां का चमचमाता नज़ारा देखते ही बनता है।