भारत के पश्चिमी हिस्से में स्थित महाराष्ट्र में कई तरह के पक्षियों की प्रजातियां देखने को मिलती हैं जिनमें प्रवासी और स्वदेशी पक्षी शामिल हैं। महाराष्ट्र के पक्षी अभ्यारण्य पक्षी प्रेमियों और प्रकृति प्रेमियों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। यहां पर पाम के पेड़ों के किनारे समुद्रतट, बहती नदियां, पर्वत और द्वीप बसे हैं।
महाराष्ट्र के राज्य में प्राकृतिक सौंदर्य की कोई कमी नहीं है और इसी कारण इसे विश्व धरोहर भी कहा जाता है। यहां पर संस्कृति और मंदिरों का मेल बड़ी मात्रा में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। महाराष्ट्र के पक्षी अभ्यारण्य हरे-भरे हैं और यहां पर वनस्पति और जीवों की विविधता भी देखी जा सकती है।
महाराष्ट्र के 11 सबसे खूबसूरत बीच!
इस पक्षी अभ्यारण्यों में कई खूबसूरत पक्षियों की प्रजातियां जैसे पैराकीट, वागटेल फ्लाईकैचर, ग्रे जंगल फाउल, मोर, बुलबुल, कुक्कू, ड्रोंगो, द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, पर्पल सनबर्ड और शमा आदि को देख सकते हैं। द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड लुप्तप्राय प्रजातियों में से एक है जो केवल अहमदनगर और सोलापुर जिले में ही पाई जाती है। इसे अपनी तेज गति और चाल के लिए जाना जाता है। आज हम आपको महाराष्ट्र के कुछ पक्षी अभ्यारण्यों के बारे में बताने जा रहे हैं।
करनाला पक्षी अभ्यारण्य
मुंबई के बाहरी क्षेत्र में रायगढ़ जिले में पनवेलल तालुका में करजात और माथेरन के पास स्थित करनाला पक्षी अभ्यारण्य 446 स्कवायर किमी के क्षेत्रफल में फैला हुआ है और यहां पर पक्षियों की कई प्रजातियां देखने को मिलती हैं। इनमें स्वदेशी और प्रवासी प्रजातियां भी शामिल हैं। इस संरक्षित क्षेत्र में कई लुप्तप्राय प्रजातियां जैसे तितली, मालाबार ट्रोगोन आदि रहती हैं। यहां पर सबसे ज्यादा मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, नीलगिरि वुड पिजन, ग्रे फ्रोंटेड ग्रीन पिजन आदि मिलते हैं।
प्रकृति और पक्षी प्रेमियों को ये अभ्यारण्य बेहद आकर्षक लगता है।
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अभ्यारण्य
महाराष्ट्र के सोलापुर क्षेत्र में स्थित है ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अभ्यारण्य जिसे 1979 में स्थापित किया गया था। ये अभ्यारण्य 122,200 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। ये अभ्यारण्य जैव भौगोलिक क्षेत्र और दक्कन पेनिनसुला में आता है।
शोधकर्ताओं की मानें तो इस पार्क में लुप्तप्राय और दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। इस अभ्यारण्य में स्थानीय के साथ-साथ प्रवासी पक्षी भी देखने को मिलते हैं।
Pc: Dr. Raju Kasambe
मायानी पक्षी अभ्यारण्य
महाराष्ट्र के सतारा जिले में वादजु क्षेत्र के पास स्थित है मायानी पक्षी अभ्यारण्य जोकि ब्रिटिशों द्वारा एक पुराने बांध पर बनाया गया था। बांध के पानी का इस्तेमाल पक्षियों के ध्यान और सिंचाई एवं खेती के लिए किया जाता है। यहां पर लगभग 600 प्रवासी पक्षी रहते हैं।
इस अभ्यारण्य में रहने वाले मुख्य पक्षियों में ब्लैक आईबिस, पेंटेड स्टोर्क, किंगफिशर, स्टोर्क, फ्लैमिंगो और स्पूनबिल शामिल हैं। इसके अलावा यहां कई तरह की हाइड्रोफाइटिक प्रजातियां जैसे एटोलिआ स्प्स भी देखने को मिलती हैं जोकि गहरे पानी में होती हैं और ये पानी में रहने वाले पक्षियों के भोजन का प्रमुख स्रोत भी हैं।
नांदुर मधमेश्वर पक्षी अभ्यारण्य
नासिक जिले में निफद तहसील में स्थित नांदुर मधमेश्वर पक्षी अभ्यारण्य, नांदुर मधमेश्वर बांध के साथ जुड़ा हुआ है। ये बांध कड़वा और गोदावरी नदी का संगम स्थल है। इस अभ्यारण्य को साकार रूप देने के लिए बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी, महाराष्ट्र सरकार का वन विभाग और विश्व वन्यजीव फंड ने बहुत मेहनत की है।
ये अभ्यारण्य 10,000 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। यहां कई संरक्षित पक्षियों जैसे ग्रे हॉर्नबिल, पीफाउल, हेरॉन, बजर्ड, एग्रेट आदि देख सकते हैं। इसके अलावा यहां कई प्रवासी पक्षी जिनमें अत्यंत लोकप्रिय पक्षी जैसे फ्लैमिंगो, पिटेल, ग्लॉसी आइबिस और वाईट स्टोर्क देखे जा सकते हैं।
थाणे क्रीक फ्लैमिंगो वन्यजीव अभ्यारण्य
महाराष्ट्र के अभ्यारण्यों में हाल ही में थाणे क्रीक फ्लैमिंगो वन्यजीव अभ्यारण्य का नाम भी जुड़ा है। पक्षी और प्रकृति प्रेमियेों के बीच मुंबई का ये अभ्यारण्य बहुत लोकप्रिय है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा फ्लैमिंगो अभ्यारण्य को महत्वपूर्ण पक्षियों का क्षेत्र घोषित किया जा चुका है।
इस क्षेत्र में जैव विविधता भी देखी जा सक ती हैं। यहां पर कई प्रवासी पक्षियों जैसे आइबिस, ईरासिअन करल्यू, बत्तख, ओस्प्रे, फैल्कोन और मार्श हैरियर के साथ फ्लैमिंगों को देखा जा सकता है। यहां पर पर्यटकों के लिए बोट टूर की व्यवस्था भी की गई है।