भारत के पूर्वी तट पर स्थित ओडिशा देश के महत्वपूर्ण राज्यों में से एक है, जो अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह वही रणभूमि है, जहां भारतीय इतिहास का भंयकर कलिंग युद्ध लड़ा गया था। इस ऐतिहासिक लड़ाई में भयानक रक्तपात हुआ था, जिसके बाद मौर्य सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म अपना लिया था। माना जाता है कि इस युद्ध के बाद सम्राट अशोक ने फिर कभी हथियार नहीं उठाया। वो बौद्ध धर्म के प्रचारक बन गए थे, जिन्होंने बौद्ध शिलालेखों के माध्यम से शांति के संदेश जन-जन तक पहुंचाने का काम किया।
इन सब के अलावा ओडिशा अपने सूर्य मंदिर जैसी सांस्कृतिक संरचनाओं के लिए भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। आप यहां कई प्राचीन मंदिरों को देख सकते हैं। प्राकृतिक रूप से भी ओडिशा काफी ज्यादा मायने रखता है, आप यहां समुद्री तटों और झीलों की सैर का आनंद ले सकते हैं। इस खास लेख में आज हम आपको ओडिशा की प्रसिद्ध झीलों के बारें में बताने जा रहें, जो खासकर मॉनसून के दौरान अपनी अद्भुत सौंदर्यता के लिए जानी जाती हैं।
चिल्का झील
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ओडिशा की झीलों में आप सबसे पहले यहां की विश्व प्रसिद्ध चिल्का झील की सैर का आनंद ले सकते हैं। यह भारत की पहली और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है, जिसे देखने के लिए रोजाना पर्यटकों क भारी जमावड़ा लगता है। 110 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैली, यह झील कई जलीय जीवों और वनस्पतियों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं। यह झील लगभग 150,000 मछुआरों की जीविकोपार्जन का मुख्य स्रोत है।
पर्यटन के लिहाज से चिल्का काफी महत्व रखती है, आप यहां जी भरकर प्राकृतिक सौंदर्यता का आनंद उठा सकते हैं। यहां नौका विहार की भी सुविधा उपलब्ध है। आप यहां कई देशी और प्रवासी पक्षियों की प्रजाति भी देख सकते हैं। खासकर मॉनसून के दौरान चिल्का की खूबसूरती देखने लायक होती है।
अंशुपा झील
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विश्व प्रसिद्ध चिल्का के बाद अंशुपा, ओडिशा की दूसरी प्रसिद्ध झील मानी जाती है। हरी-भरी वनस्पतियों और पहाड़ियों से घिरी यह झील राज्य के कटक जिले के अंतर्गत आती है। अपनी अद्बुत सौंदर्यता के बल पर यह झील देश भर के प्रकृति प्रेमियों और भूवैज्ञानिकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यह झील राजधानी शहर भुवनेश्वर से लगभग 50 कि.मी की दूरी पर स्थित है। यहां पास मौजूद सारदा पर्वत, इस झील की खूबसूरत पर चार चांद लगाने का काम करता है। लगभग 141 हेक्टेयर में फैली यह एक ताजे पानी की झील है, जिसका आकार कुछ घोड़े की नाल जैसा है।
आप यहां पक्षी विहार का भी आनंद ले सकते हैं। यहां कई प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है। मॉनसून के दौरान यहां जल स्तर बढ़ जाता है, जिसके इस झील की खूबसूरत और भी निखर जाती है। आसपास का माहौल काफी सुकून भरा हो जाता है।
बालीमेला जलाशय
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झीलों के अलावा आप यहां के प्रसिद्ध जलाशयों की सैर का भी प्लान बना सकते हैं। ओडिशा के मलकानगिरी जिले के अंतर्गत सिलेरु नदी पर बना बालीमेला जलाशय यहां के मुख्य पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। सिलेरु, गोदावरी की सहायक नदी है। जहां पर्यटक वीकेंड पर मौज-मस्ती करने के लिए आते हैं। यह जलाशय यहां बनाए गए बांध के बनने के बाद अस्तित्व में आया।
यहां एक बड़ा पावर प्रोजेक्ट भी बना हुआ है। इस बांध का उपयोग सिंचाई और बिजली उत्पाद के लिए किया जाता है। इसके अलावा यह अपनी भौगोलिक स्थित के लिए भी काफी ज्याद लोकप्रिय। पर्यटक यहां पिकनिक मनाने या घूमने-फिरने के उद्देश्य से यहां आते हैं। शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच आप यहां कुछ पल सुकून के बिता सकते हैं।
कंजिया झील
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ओडिशा की झीलों की श्रृंखला में आप कंजिया लेक की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह एक प्राकृतिक झील है, जो राज्य के राजधानी शहर भुवनेश्वर के बाहरी इलाके में स्थित है। मुख्य झील यहां 75 हेक्टेयर में फैली है, जबकि यहां का कूल वेटलैंड 105 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैला है। यह एक खास झील है, जहां आप स्कूबा डाइविंग का रोमांचक अनुभव भी ले सकते हैं।
यहां का वेटलैंड अपनी खास जैव विविधता के लिए काफी प्रसिद्ध है, जो शहर के परिस्थितिकी तंत्र को सामान्य बने रहने में काफी मदद करता है। मॉनसून का आनंद लेने के लिए आप यहां की सैर का प्लान बना सकते हैं।
इंद्रावती जलाशय
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उपरोक्त झीलों के अलावा आप यहां के प्रसिद्ध इंद्रावती जलाशय की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह जलाशय इंद्रावती नदी का हिस्सा है, जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरत के बल पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींचता है। यह नदी अपना सफर घने जंगलों से शुरु कर खटीगुडा में आकर जलाशय का निर्माण करती है।
यहां का आसपास का माहौल देखने लायक है, जो पहाड़ों और हरी-भरी वनस्पतियों से घिरा हुआ है। मॉनसून का शानदार अनुभव के लिए आप यहां का प्लान बना सकते हैं।