भारत के हिमालय क्षेत्रों में बसाए गए वन्यजीव राष्ट्रीय उद्यान दुर्लभ वन्य जीव और वनस्पतियों को करीब से देखने का सुनहरा मौका प्रदान करते हैं। हिमालय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले भारतीय राज्य (उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश आदि )अपनी पहाड़ी सुंदरता और वन्य जीवन के लिए जाने जाते रहे हैं। हिमालय की बर्फीली घाटियां, चीड़-देवदार से वृक्षों की घने जंगल एडवेंचर प्रेमियों के मध्य काफी लोकप्रिय है।
ये सारे स्थान बेस्ट ट्रेकिंग के लिए आदर्श विकल्प माने जाते हैं, जिनका रोमांचक अनुभव देशी पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी सैलानी भी भरपूर लेते हैं। 'नेटिव प्लानेट' की ट्रैवल सफारी में हमारे साथ जानिए हिमालय क्षेत्रों में स्थित चुनिंदा राष्ट्रीय उद्यानों के बारे में जहां का प्लान आप इन गर्मियों में बना सकते हैं।
ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क, हिमाचल प्रदेश
PC- Vishrutpanday
हिमाचल प्रदेश स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क यूनेस्कों द्वारा विश्व धरोहर घोषित स्थल है। जिसे 1999 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। यह नेशनल पार्क लगभग 755 वर्ग किमी में फैला हुआ है जो असंख्य वन्य प्राणियों और वनस्पतियों को एक सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है। यह पार्क विश्व भर के प्रकृति प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यहां आप खूबसूरत ग्लेशियर, नदी घाटी, हिमालय पर्वत और पहाड़ी वृक्ष के अद्भुत दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
यहां बहुत से भागों में निजी वाहन का इस्तेमाल प्रतिबंधित है, इसलिए आप यहां पैदल ही घूम पाएंगे। यहां की सटीक जानकारी के लिए आप फॉरेस्ट विभाग की तरफ से गाइड की मदद अवश्य लें। आप यहां कस्तूरी मृग, भूरा भालू, गोरल, थार, तेंदुआ, हिम तेंदुए, भारल, सर्व, मोनाल, कालीज, कोक्लास, चीयर आदि जीवों को देख सकते हैं।
कंचनजंघा नेशनल पार्क, सिक्किम
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सिक्किम स्थित कंचनजंघा नेशनल पार्क, वन्य जीवन को करीब से देखने का सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। यह पार्क लगभग 1784 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है, जिसका निर्माण सन् 1977 में किया गया था। यह राष्ट्रीय उद्यान विश्व प्रसिद्ध हिमालय की कंचनजंघा चोटी के आसपास विकसित है। आप सिक्किम के युकसूम नगर से होते हुए यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।
कंचनजंघा नेशनल पार्क ट्रेकिंग के लिए भी जाना जाता है। वन्य जीवों में आप यहां हिम तेंदुए, ब्लैक पैंथर,कस्तूरी मृग, हिमालयी तहर, स्लॉथ बीयर, सिविट, हिमालयी ब्लैक बियर, रेड पांडा, तिब्बती जंगली गधा आदि देख सकते हैं।
नंदा देवी नेशनल पार्क
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एवरेस्ट फतह करने वाले मशूहर पर्वतारोही सर एडमंड हिलेरी ने अपनी आत्मकथा में इस बात का उल्लेख किया है कि नंदा देवी अभयारण्य भगवान का दिया हुआ जंगल है। नंदा देवी को सन् 1988 में यूनेस्कों द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया जा चुका है। यह राष्ट्रीय उद्यान लगभग 630 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला है। जो असंख्य जीव-वनस्पतियों को आश्रय प्रदान करता है। यह उद्यान भारत की दूसरी सबसे ऊंची पर्वतीय चोटी नंदा देवी के आसपास फैला है।
नंदा देवी अपने रोमांचक ट्रेक के लिए भी प्रसिद्ध है, जो लता गांव से शुरू होकर धारसी में खत्म होता है। जंगली जीवों में आप यहां हिमालयी तेंदुए, हिमालयी काले भालू, हिमालयी कस्तूरी मृग, हिमालयी तहर के साथ अन्य जीवों को भी देख सकते हैं।
फूलों की घाटी, उत्तराखंड
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फूलों की घाटी उत्तराखंड के चमोली जिले स्थित एक विश्व धरोहर (1982) स्थल है। जो अपने 500 से ज्यादा फूलों की प्रजातियों के लिए जाना जाता है। यह पार्क अपनी लुभावनी प्राकृतिक सुंदरता, नदी-घाटी और वन्य जीवन के लिए जाना जाता है। इस स्थल की सबसे खास बात यह है कि यहां जितने भी वनस्पतियां पाई जाती हैं सब प्राकृतिक रूप से उपजी हैं। साथ ही यहां की घाटियां रंग-बिरंगे फूलों के कारण रंग बदलते प्रतीत होती हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस स्थान से भगवान हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आए थे। फूलों की घाटी ट्रेकिंग के लिए भी जानी जाती है जो गोविंदघाट से शुरू होकर घांघरिया में जाकर खत्म होता है। आप यहां फूलों की विभिन्न प्रजातियों के अलावा हिमालयी कस्तूरी मृग, काला भालू, हिमालयी तहर, नीली भेड़, हिमालयी तेंदुआ आदि देख सकते हैं।
केदारनाथ वन्य जीव अभयारण्य
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केदारनाथ वन्य जीव अभयारण्य मुख्यत कस्तूरी मृगों के लिए आरक्षित वन्य जीव अभयारण्य है, जिसे 1972 में स्थापित किया गया था। इस राष्ट्रीय उद्यान को बसाने के पीछे उत्तराखंड के राज्य पशु कस्तूरी मृग की घटती आबादी को रोक लगाना है। कई किमी क्षेत्र में फैला यह उद्यान कस्तूरी मृग के अलावा अन्य जीव प्राणियों को सुरक्षा प्रदान करने का काम करता है।
आप यहां कस्तूरी मृग के अलावा हिमालयी तेंदुए, तहार के साथ-साथ बहुत सी हिमालयी पक्षी प्रजातियों को देख सकते हैं। यह राष्ट्रीय उद्यान चारों तरफ से प्राकृतिक खजानों से भरा है। जहां आप जी भर कर कुदरती सुंदरता का आनंद ले सकते हैं।