दक्षिण भारत का तेलंगााना, देश का सबसे नया राज्य है, जिसका गठन साल 2014 में आंध्र प्रदेश के 31 जिलों को मिलाकर किया गया था । तेलंगाना की सीमाओं में आंध्र प्रदेश के वो शहर भी शामिल हुए जो ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण हैं। यहां कई वर्षों तक दक्षिण के शक्तिशाली राजवंशों का शासन रहा है। उनके द्वारा बनवाए गए किले-महल राज्य के अतीत को समृद्ध बनाते हैं।
पर्यटन के लिहाज से दक्षिण का यह भूखंड काफी खास है, आप यहां अतीत से जुड़े साक्ष्यों के साथ-साथ कई शानदार प्राकृतिक आकर्षणों को देख सकते हैं। कुदरती आकर्षणों में यहां की झीलें सैलानियों का ध्यान काफी ज्यादा आकर्षित करती हैं।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि यहां कुछ झीलें ऐसी भी हैं, जिनका इतिहास काफी साल पुराना है। इस लेख के माध्यम में जानिए तेलंगाना की सीमाओं के अंदर मौजूद चुनिंदा खास झीलों के बारे में, जानिए ये आपको किस प्रकार आनंदित कर सकती हैं।
पाखल झील
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तेलंगाना में झीलों की देखने की शुरुआत आप यहां की प्राचीन झीलों से कर सकते हैं, आप यहां मौजूद खूबसूरत पाखल झील की सैर कर सकते हैं, जिसका निर्माण 1213 ईस्वी में महान काकतीय राजा गणपति देव ने कराया था। घने जंगलों के मध्य बसी इस झील का निर्माण सिंचाई के उद्देश्य से करवाया गया था। माना जाता है कि काकतीय राजा गणपति ने अपनी लोगों की सुख सुविधाओं के लिए कई कार्य किए, और यह झील उन्हीं ऐतिहासिक कामों में से एक है।
वर्तमान में यह झील पर्यटन के लिहाज से काफी ज्यादा मायने रखती है, जिसे देखने के लिए दूर दराज के पर्यटकों का आगमन होता है। आप इस झील के आसपास विकसित पाखल वन्यजीव अभयारण्य को भी देख सकते हैं।
हुसैन सागर
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तेलंगाना की प्राचीन झीलों में आप हुसैन सागर की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह झील दो जुड़वा शहर हैदराबाद और सिकंदराबाद को अलग करती है। यहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में पर्यटकों का आगमन होता है। दिल के आकार सी दिखने वाली इस खूबसूरत झील का निर्माण 1563 में इब्राहिम कुली कुतुब शाह ने हुसैन शाह वाली के नाम पर करवाया था। 5.7 वर्ग कि.मी में फैली यह एक कुत्रिम झील है, जलापूर्ति के लिए बनवाया गया था।
झील के मध्य गौतम बुद्ध की एक विशाल प्रतिमा भी मौजूद है, जो यहां के मुख्य आकर्षणों में से एक है। आप यहां आसपास लुंबीनी पार्क, बिड़ला टेंपल भी देख सकते हैं। शहर की भागदौड़ से दूर एक सुकून भरा समय बिताने के लिए यह एक आदर्श जगह है।
शमीरपेट झील
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तेलंगाना की झीलों की श्रृंखला में आप शमीरपेट लेक की सैर का प्लान बना सकते हैं। हैदराबाद के निकट यह एक कुत्रिम झील है, जिसका निर्माण यहां के निजाम काल के दौरान करवाया गया था। पर्यटन के लिहाज से यह एक शानदार जगह है, जहां आप पक्षी विहार का आनंद भी ले सकते हैं। यह झील कई पक्षी प्रजातियों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
झील के आसपास सरकारी रिजॉर्ट्स भी बने हुए हैं, जहां आप ठहर सकते हैं। खाने-पीने के भी दुकाने आपको यहां आसपास मिल जाएंगी। यहां अकसर पर्यटक पिकनिक मनाने के लिए आते हैं। इसके अलावा इस झील को कई बार तेलुगु सिनेमा में फिल्माया भी जा चुका है।
सरूरनगर झील
सरूरनगर झील भी तेलंगाना की चुनिंदा खास लेक में गिनी जाती है, जिसका निर्माण 16वीं शताब्दी में कुतुब शाही काल में हुआ था। 400 साल पुरानी से यह झील लगभग 1 वर्ग कि.मी के क्षेत्र में फैली है, जिसका निर्माण सिंचाई के लिए जलापूर्ति के उद्देश्य के साथ किया गया था। यहां स्थानीय लोगों के साथ-साथ दूर दराज के पर्यटकों का आगमन भी होता है।
शहर की भागदौड़ भरी जिंदगी के बीच यह एक आरामदायक कोना है, जहां आप वीकेंड पर आ सकते हैं। झील के अलावा आप यहां पास में मौजूद सरुरनगर महल को भी देख सकते हैं।
ओस्मान सागर
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झीलों के अलावा आप यहां के जलाशयों की सैर का प्लान भी बना सकते हैं। ओस्मान सागर यहां का लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, जो गांडीपेट के नाम से भी जाना जाता है। यह जलाशय लगभग 29 वर्ग कि.मी में फैला है। इस रिजर्वर को 1920 में मुसी नदी पर बनाया गया था। इसे हैदराबाद के आखरी निजाम ओस्मान अली खान के समय जलापूर्ति के उद्देश्य के साथ बनाया गया था।
राज्य के रंगा रेड्डी जिले में स्थित मुख्य पर्यटन आकर्षणों में गिना जाता है, जहां स्थनीय के साथ-साथ दूर-दराज के पर्यटकों का आगमन होता है। खासकर मॉनसून के दौरान यहां के दृश्य देखने लायक होते हैं।