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असम का 'मथुरा' देखना है तो जरूर करें इस खूबसूरत स्थल की सैर

बारपेटा के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल । places to visit in barpeta, assam

PC- Bhrigu kumar bayan

पूर्वोत्तर राज्य असम स्थित बारपेटा एक प्रसिद्ध शहर है, जो सांस्कृतिक रूप से काफी ज्यादा मायने रखता है। इस शहर को मुख्य रूप से 'सत्ररा की भूमि' कहा जाता है। इतिहास की तरफ रूख करें तो पता चलता है कि इस शहर का झुकाव वैष्णव संस्कृति की तरफ ज्यादा रहा है। 16वीं शताब्दी के दौरान यहां वैष्णव कला-संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई अभियान चलाए गए थे।

बारपेटा की खासियतों की वजह से इसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे मथुरा, वृंदावन, नवरत्न-सभा, चौखटीस्थान आदि। इतिहास यह भी बताता है कि यहां कई शासकों का शासन रहा है, जिसके साक्ष्य आज भी यहां देखे जा सकते हैं।

इन सब के अलावा बारपेटा अपनी खास भौगोलिक स्थित के लिए भी काफी ज्यादा प्रसिद्ध है, असंख्य जीव-जन्तु, वनस्पति भंडार और वन संपदा इसे खास बनाते हैं। पर्यटन के लिहाज से यह एक महत्वपूर्ण स्थल है। आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं, यह शहर आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है।

बारपेटा सत्तरा

बारपेटा सत्तरा

PC- উদ্দীপতালুকদাৰ

बारपेटा भ्रमण की शुरुआत आप यहां के प्रसिद्ध सत्ररों से कर सकते हैं। बारपेटा सत्तरा यहां के प्रसिद्ध और सबसे लोकप्रिय सत्रता है, जो शहर के ह्रदय स्थल में बसा हुआ है। खासकर हौली के दौरान यहां के दृश्य देखने लायक होते हैं, जब दूर-दूर से श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आगमन होता है। इस दौरान यहां दौल उत्सव का आयोजन किया जाता है। हर साल यहां होली के अवसर पर यहां सैकड़ों की तादाद में पर्यटक यहां प्रवेश करते हैं। इस सब के अलावा यहां वैष्णव गुरूओं की जयंतियां भी बड़े हर्ष-उल्लास के साथ मनाई जाती है।

यहां किर्तन के लिए एक अलग भवन का निर्माण किया गया है। इस सत्रता की स्थापना का श्रेय वैष्णव संत माधवदेव को जाता है। इसके पहले बारपेटा थन के नाम से जाना जाता था। एक शानदार अनुभव के लिए आप यहां की आ सकते हैं।

मानस राष्ट्रीय उद्यान

मानस राष्ट्रीय उद्यान

PC-Anushila Bharali

धार्मिक स्थलों के अलावा आप यहां के प्राकृतिक स्थलों की सैर का भी आनंद ले सकते हैं। आप यहां से विश्व प्रसिद्ध मानस वन्यजीव अभयारण्य की रोमांचक सैर का प्लान बना सकते हैं। लगभग 2837 वर्ग कि.मी के क्षेत्र में फैला यह राष्ट्रीय उद्यान विभिन्न वनस्पतियों के साथ अंसख्य जीव-जन्तुओं को सुरक्षित आश्रय देने का का करता है। इस वन्य क्षेत्र को 1928 में आरक्षित वन घोषित किया गया था, इसके अलावा 1988 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर भी घोषित किया जा चुका है।

वन्य जीवों में आप यहां बाघ, तेंदुआ, हाथी, काला भालू, लंगूर आदी को देख सकते हैं। इसके अलावा इस उद्यान में पक्षियों की 300 से ज्यादा प्रजाति निवास करती हैं। एक शानदार अनुभव के लिए आप यहां की सैर कर सकते हैं।

पातभौसी सत्तरा

पातभौसी सत्तरा

PC- Sumantbarooah

बारपेटा सत्तरा के अलावा आप यहां के दूसरे प्रसिद्ध पातभौसी सत्तरा की सैर का प्लाना भी बना सकते हैं। मुख्य शहर के उत्तर में स्थित इस सत्रता में को देखने के लिए सालाना सैकड़ों पर्यटकों का यहां आगमन होता है। सांस्कृतिक रूप यह एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जो असम की कला-संस्कृतिक को निखारने का काम करता है। खासकर वैष्णव संप्रदाय के लोगों के लिए यह बहुत ही ज्यादा मायने रखता है, क्योंकि यहां तीन प्रसिद्ध वैष्णव गुरूओं ने अपने जीवन का अधिकांश समय यहीं बिताया है, जिन्होंने वैष्णव परंपरा को आगे बढ़ाने और शास्त्र रचनाओं में अपनी अहम भूमिक निभाई। यहां के प्रसिद्ध गुरू श्रीमंत शंकरदेव ने यहां 240 बारगीतों अंकिया नाटकों और शास्त्रों की रचना की, जिनके संरक्षण के लिए यहां राज्य सरकार द्वारा एक संग्रहालय का भी निर्माण किया गया है।

परी हरेश्वर देवालय

परी हरेश्वर देवालय

यहां के प्रसिद्ध सत्ररों के अलावा आप दुबी में स्थित परी हरेश्वर देवालय के दर्शन के लिए भी जा सकते हैं। यह एक प्राचीन मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। इस धार्मिक स्थल को अहोम राजा शिव सिंह बालाजी उपखंड के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण प्राचीन समय में किया गया था। माना जाता है कि यहां किया जाने वाला देवदासी नृत्य की शुरूआत रानी फुलेश्वरी द्वारा की गई थी। इसी मंदिर से इस खास नृत्य का उद्भभव हुआ है। यह नृत्य खासकर होली के अवसर पर किया जाता है।

सैय्यद शाहनूर दीवान की दरगाह

सैय्यद शाहनूर दीवान की दरगाह

उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां की सयैद शाहनूर दीवन की दरगाह भी जा सकते हैं। सैय्यद शाहनूर एक प्रसिद्ध सूफी संत थे, जिन्होंने सूफी दर्शन के प्रचार-प्रसार में अपनी अहम भूमिका निभाई। माना जाता है कि उन्होंने अपनी सूफी शक्ति से अहोम राजा शिव सिंह की पत्नी फूलेश्वरी की की शारीरिक समस्या का निदान किया था, जिस वक्त वे गर्भावस्था में थीं। संत से खुश होकर राजा शिव सिंह ने उन्हें अनेक उपहार के साथ भूमि भी दी थी। ये थे बारपेटा के प्रसिद्ध स्थल, जिनकी सैर आप अपने अमस भ्रमण के दौरान कर सकते हैं।

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