महाराष्ट्र स्थित लातूर एक प्राचीन शहर है, जो राज्य के मराठावाड़ा क्षेत्र में स्थित है। यह शहर लत्तालुरु और रतनापुर के नाम से भी जाना जाता है। लातूर का इतिहास बताता है कि यह कभी राष्ट्रकूट साम्राज्य का हिस्सा हुआ करता था , राष्ट्रकूट का पहला राजा यहीं का था। माना जाता है राष्ट्रकूट के शासकों ने ही लातूर को विकसित किया था। बाद में 19वीं शताब्दी के दौरान लातूर हैदराबाद रियासत का हिस्सा बना। 1948 तक यह शहर हैदराबाद के निजाम के अंतर्गत रहा था।
पर्यटन के लिहाज से यह एक खास गंतव्य है, जो पुरानी गुफाओं लेकर कई ऐतिहासिक संरचनाओं से घिरा हुआ है। इस लेख के माध्यम से जानिए महाराष्ट्र का यह प्राचीन शहर आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है।
औसा फोर्ट
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लातूर से लगभग 20 कि.मी की दूरी पर स्थित औसा एक ऐतिहासिक स्थल है, जो अपने प्राचीन औसा फोर्ट के लिए जाना जाता है। हालांकि अब यह किला मात्र एक खंडहर रूप में ही स्थित है। यह किला दक्कन के सुल्तानों के समय की याद दिलाता है। माना जाता है कि 1014 हिजरी में मलिक अंबर ने इस किेल पर अधिकार कर लिया था और इसक नाम बदलकर अंबरपुर कर दिया था, लेकिन बाद अमरापुर किया गया। यह उस दौरान के चुनिंदा मजबूत किलों में गिना जाता था, जिसका निर्माण रणनीतिक रूप से भी किया जाता था। किले की बची हुईं दीवारें आज भी इसकी भव्यता को प्रदर्शित करती हैं। इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप यहां आ सकते हैं।
वडवल नागनाथ बेट
ऐतिहासिक स्थलों के अलावा आप लातूर के अन्य खास पर्यटन स्थलों की सैर का प्लान बना सकते हैं। आप यहां की प्रसिद्ध पहाड़ी वडवल नागनाथ बेट को देख सकते हैं। 600 से 700 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह प्राकृतिक स्थल आयुर्वेदिक और दुर्लभ पौधों का घर माना जाता है। खासकर वनस्पति विज्ञान और प्रकृति प्रेमियों के लिए यह पहाड़ी काफी ज्यादा मायने रखती है। वडवल नागनाथ बेट से आप आसपास के शानदार कुदरती दृश्यों का भी लुफ्त उठा सकते हैं। एक शानदार अनुभव के लिए आपको यहां जरूर आना चाहिए।
गंज गोलाई
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लातूर की ऐतिहासिक संरचनाओं में आप गंज गोलाई को देख सकते हैं। यह 1917 में बनाई गई एक दो मंजिला संरचना है, जो शहर के ह्रदय स्थल में स्थित है। गंज गोलाई का डिजाइन श्री फैयाजुद्दीन द्वारा तैयार किया गया था। यहां देवी जगदाम्बा का एक मंदिर भी मौजूद है। गंज गोलाई लातूर शहर का एक प्रसिद्ध व्यापार और वाणिज्यिक केंद्र भी है, जहां आपको कई दुकाने दिख जाएंगी। यहां आपको दैनिक इस्तेमाल की हर चीजें आसानी से मिल जाएंगी। यह लगभग 15 सड़कों से जुड़ा हुआ है, जहां सुबह से लेकर देर शाम तक ग्राहक और श्रद्धालुओं की भीड़ बनी रहती है।
खरोसा की गुफाएं
लातूर अपनी प्राचीन गुफाओं के लिए भी जाना जाता है, यहां स्थित खरोसा केव्स के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है, जहां दूर-दराज से पर्यटकों का आगमन होता है। माना जाता है इन गुफाओं का निर्माण छठी शताब्दी के आसपास किया गया था। यह स्थल लातूर शहर से लगभग 45 कि.मी की दूरी पर स्थित है। यहां आप शिव-पार्वती, नरसिंह, कार्तिक और रावण की मूर्तियां भी देख सकते है। यह 12 गुफाओं का समूह है, जिसमें से एक में आप जैन तीर्थंकर की ध्यान मुद्रा वाली एक छवि भी देख सकते हैं।
निलंगा मंदिर
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां निलंगा मंदिर के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं। लातूर शहर से लगभग 50 किमी दूर यह मंदिर हेमाडपंथी वास्तुकला शैली में बनाया गया था। यह मंदिर अपने प्राचीन शिवलिंग के लिए जाना जाता है, जो 12वीं और 13वीं शताब्दी के मध्य से संबंध रखता है। मंदिर की वास्तुकला देखने लायक है, जो इसके कारीगर के दक्ष होने का प्रमाण देती है। मंदिर के प्रवेश द्वार पर भी आप आकर्षक नक्काशी और कलाकृतियां देख सकते हैं।