जैसलमेर से 112 किलोमीटर दूर स्थित पोकरण राजस्थान का एक ऐतिहासिक स्थल है, जो ज्यादातर भारतीय परमाणु परिक्षण साइट के लिए जाना जाता है। यह जैसलमेर के अलावा जोधपुर, बीकानेर के भी काफी नजदीक है। यहां का ज्यादातर क्षेत्र रेगिस्थान से घिरा है। चट्टानों, बालू और सॉल्ट रेंज से घिरा यह स्थल पर्यटन के मामले में काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां की सैर के दौरान आप खूबसूरत ऐतिहासिक संरचनाओं को देख सकते हैं।
यहां कुछ हवेलियां और किले भी मौजूद हैं, जो आपको इस स्थल के अतीत में ले जाने का काम करेंगे। आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं, राजस्थान का यह प्राचीन कस्बा आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है।
सलीम सिंह की हवेली
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पोकरण भ्रमण के दौरान आप यहां आसपास की प्राचीन हवेलियों को देख सकते हैं। सलीम सिंह की हवेली आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकती है। जानकारी के अनुसार इस हेवली का निर्माण 1815 में हुआ था, और हेवली का नाम इसके मालिक(सलीम सिंह मोहता) के नाम पर ही रखा गया था। इस हेवली का निर्माण जैसलमेर किले के पास, 17 वीं शताब्दी से संबंध रखने वाली एक पुरानी हवेली के अवशेषों से किया गया था।
माना जाता है, इसके निर्माण के कुछ समय बाद ही इसपर जैसलमेर के मेहता परिवार का कब्जा हो गया था, जो उस समय का एक शक्तिशाली परिवार था। इस हवेली को खूबसूरत वास्तुकला के साथ बनाया गया है। इसकी छत मोर की जैसे बनाई गई है।
पोकरण का किला
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पोकरण का किला भ्रमण के दौरान आप यहां की सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक संरचना पोखरण फोर्ट को देखना न भूलें। इस किले को बालागढ़ के नाम से भी जाना जाना जाता है। राठौड़ वंश द्वारा निर्मित इस किले के निर्माण में दुर्लभ पीले बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। यह जोधपुर के मारवाड़ शहर में स्थित है और जिसका इतिहास 14 वीं शताब्दी का बताया जाता है।
इस किले में हवा महल, मंगल निवास, फूल महल इत्यादि संरचनाएं मौजूद हैं। आप यहां किले की मूल संरचना के रूप में नक्कशीदार लाल और पीले बलुआ पत्थरों की दीवारों को देख सकते है। इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप यहां आ सकते हैं।
बाबा रामदेव मंदिर
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ऐतिहासिक स्थलों के अलावा आप यहां आसपास स्थित धार्मिक स्थलों के दर्शन भी कर सकते हैं। बाबा रामदेवी मंदिर या रामदेव पीर यहां के पवित्र स्थानों में गिना जाता है। यह मंदिर राजस्थान के स्थानीय देवता को समर्पित है, जो चौदवी शताब्दी के एक शासक थे। माना जाता है कि उनमें चमत्कारी शक्ति थी, जिन्होंने समाज के गरीब और वंचित वर्ग को उठाने के लिए कई काम किए। राजस्थान के अलावा देश के अन्य कई हिस्सों में इनकी पूजा एक इष्ट देव के रूप में होती है। पोकरण भ्रमण के दौरान आप यहां देर्शन के लिए जरूर आएं।
पटवों जी की हवेली
पटवों जी की हवेली पोकरण के साथ-साथ जैसलमेर की भी एक महत्वपूर्ण हवेली मानी जाती है। जानकारी के अनुसार यह जैसलमेर की पहली हवेली थी और जिसे 5 छोटी हवेलियों से बनाया गया था। इस हवेली में भारत के पुरातात्विक सर्वेक्षण का कार्यालय और उनका राज्य कला और शिल्प विभाग इस हवेली में ही स्थित है।
हवेली की प्राचीन दीवारे, वास्तुकला इसते अतीत को भली-भांति प्रदर्शित करती है। इतिहास और राजस्थानी संस्कृति को समझने के लिए आप यहां आ सकते हैं।
नाथमालजी की हवेली
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पोकरण भ्रमण के दौरान आप जैसलमेर स्थित नाथमालजी की हवेली भी देख सकते हैं। यह एक प्राचीन हवेली है जो अपनी आकर्षक वास्तुकला और नक्काशी के लिए जानी जाती है। जानकारी के अनसुार इन हवेली का निर्माण एक ही समय में दो बिंदुओं से शुरू हुआ था। आप यहां की जटिल पीले पत्थरों पर की गई हाथी की नक्काशी और नक्काशीदार अंदरूनी और बाहरी दीवार देख सकते हैं। राजस्थानी वास्तुकला और लोक संस्कृति को समझने के लिए आप यहां आ सकते हैं।