जालौर राजस्थान का एक ऐतिहासिक शहर है, जो कभी जाबालिपुर के नाम से जाना जाता था। यह राज्य की समृद्ध रियासत थी, जिसे गोल्डन माउंट के नाम से भी संबोधित किया जाता था। इन सब के अलावा यह राजस्थान का बड़ा धार्मिक केंद्र भी रहा है, आप यहां कई खूबसूरत मंदिरों को देख सकते हैं, जिनकी वास्तुकला अपने आप में अनूठी है। अपने ऐतिहासिक,सांस्कृतिक और प्राकृतिक आकर्षणों की वजह से शहर पर्यटन के मामले में भी काफी ज्यादा लोकप्रिय है।
प्राचीन मंदिर, मस्जिद और ऐतिहासिक इमारतें, किले आदि देश-विदेश के पर्यटकों को काफी ज्यादा पसंद आते हैं। 12 वीं शताब्दी के दौरान जालौर चौहान गुर्जर की राजधानी हुआ करता था। इस लेख के माध्यम से जानिए यह प्राचीन शहर आपको किस प्रकार आनंदित कर सकता है।
जालौर का किला
जालौर भ्रमण की शुरुआत आप यहां के ऐतिहासिक जालौर फोर्ट से कर सकते हैं। यह शहर के सबसे मुख्य आकर्षणों में गिना जाता है, जो पर्यटकों को काफी ज्यादा प्रभावित करता है। यह किला 10 शताब्दी से संबंध रखता है, जो परमारस के तहत मरू के 9 महलों से एक था। यह राज्य में सबसे प्रसिद्ध और प्रभावशाली किलों में से एक है और कभी अतीत काल में सोनगीर या 'गोल्डन माउंट' के रूप में जाना जाता था।
किले के अंदर आप कुछ प्रसिद्ध प्राचीन संरचनाओं को भी देख सकते हैं। जिसमें किला मस्जिद, जैन मंदिर और हिन्दू मंदिर शामिल हैं। इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप यहां आ सकते हैं।
जालौर वन्यजीव अभयारण्य
जालौर के ऐतिहासिक स्थलों के अलावा आप यहां के प्राकृतिक आकर्षणों की सैर का भी प्लान बना सकते हैं। आप यहां जालौर वन्यजीव अभयारण्य की रोमांचक सैर का आनंद ले सकते हैं। यह अभयारण्य विभिन्न वनस्पतियों के साथ असंख्य जीव-जन्तुओं को सुरक्षित आश्रय प्रदान करता है। यहां आप जंगली जीवों में जंगली बिल्ली, लोमड़ी, तेंदुआ, इंपीरियल ईगल आदि को देख सकते हैं। आप यहां का प्लान अपने दोस्तों के साथ बना सकते हैं।
नीलकंठ महादेव
ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थानों के अलावा आप यहां के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के दर्शन कर सकते हैं। जिले के भाद्राजून तहसील में स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर यहां के प्रसिद्ध मंदिरों में गिना जाता है। गांव में प्रवेश करते ही आप मंदिर की झलक पा सकते हैं। नीलकंठ मंदिर यहां एक उच्च चोटी पर स्थित है। इस मंदिर के एक स्थानीय किवंदती भी जुड़ी है, माना जाता है कि यहां सबसे पहले शिवलिंग के दर्शन किसी विधवा औरत को हुए थे, वो रोज भगवान शिव की पूजा किया करती थी। भगवान को लेकर उसकी अटूट श्रद्धा उसके घरवालों से देखी न गई, और परिवार ने उस शिवलिंग को जमीन में गाड़ने की बहुत कोशिश की,लेकिन शिवलिंग बार-बार उभर कर आ जाता ।
यह प्रक्रिया निरंतर चलती रही और वहां बालू का बड़ा टीला से बन गया। इसे भगवान का एक चमत्कार समझ कर गांव वालों ने यहां भगवान शिव के मंदिर की स्थापना की। माना जाता है कि यह काफी पुराना मंदिर है। खास अवसरों पर यहां बड़े स्तर पर धार्मिक आयोजन किए जाते हैं।
सुंधा माता मंदिर
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नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन करने के अलावा आप यहां सुंधा माता मंदिर के दर्शन का सौभाग्य भी प्राप्त कर सकते हैं। लगभग 1220 मीटर की ऊंचाई पर अरावली श्रृंखलाओं में सुंधा पर्वत पर देवी चामुंडा का दुर्लभ मंदिर है। यहां सालाना लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं का आगमन होता है। पहाड़ी चट्टानों की बीच देवी चामुंडा की प्रतिमा मौजूद है। यहां देवी चामुंडा के सर की पूजा होती है। धार्मिक अनुभव के लिए आप यहां आ सकते हैं।
सिरे मंदिर
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप यहां के सिरे मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। यह मंदिर संत जालिंदरनाथ महाराज को समर्पित है। यह मंदिर जालौर किले के पश्चिम में स्थित है। ऋषि जबाली के जुड़े होने के कारण यहां कई संत ध्यान जैसी आध्यात्मिक क्रियाओं के लिए यहां आया करते थे।
माना जाता है कि यहां पांडवों ने भी कुछ समय बिताया था। यहां आप कई शिव और शक्ति मंदिरों को देख सकते हैं। इन सब के अलावा सिरे मंदिर अपनी प्राकृतिक सौंदर्यता के लिए भी जाना जाता है।