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असली रोमांच चाहिए तो करें ओडिशा के इन वन्यजीव अभयारण्यों की सैर

ओडिशा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के अलावा अपने अभयारण्य, वन्यजीव वन्यजीव अभयारण्य के लिए भी जाना जाता है, जो पर्यटकों को काफी हद तक आनंदित और रोमांचित करने का काम करते हैं।

भारत का दक्षिण-पूर्वी राज्य ओडिशा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों के अलावा विभिन्न वनस्पतियों और जीवों का घर भी है। ओडिशा में मौजूद वन्यजीव अभ्यारण्य इस बात को साबित करने का काम करते हैं। यहां के आरक्षित वन क्षेत्र कई खासियतों के लिए जाने जाते हैं। यहां जंगली जीवों से अलग टर्टल सेंचुरी से लेकर पक्षी अभयारण्य भी मौजूद हैं। ओडिशा में वन्यजीव अभ्यारण्य केवल अद्वितीय नहीं हैं बल्कि ये हर तरह के प्रकृति प्रेमियो को आनंदित और रोमांचित करने का काम करते हैं।

यहां के राष्ट्रीय उद्यान जीवों और प्रकृति के अद्भुत मेल को प्रदर्शित करने का काम करते हैं। अगर आप चिल्का वन्यजीव अभयारण्य की सैर करें तो आपको झील के नीले पानी में कई प्रवासी पक्षियों के साथ डॉल्फ़िन भी दिखने को मिल जाएंगी। अगर आप भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान की सैर करें तो आपको मैंग्रोव के जंगलों में सूर्य की रोशनी में घूमते हुए मगरमच्छ देखने को मिल जाएंगे।

ओडिशा एक ऐसा राज्य है जहां प्रकृति से अपना खजाना दिल खोलकर लुटाया है। इस लेख के माध्यम से जानिए यहां के चुनिंदा कुछ वन्यजीव अभयारण्यों के बारे में जो आपको रोमांच का असली आनंद देने का काम करेंगे।

देब्रिगढ़ वन्यजीव अभयारण्य

देब्रिगढ़ वन्यजीव अभयारण्य

ओडिशा के वन्यजीव अभयारण्यों के भ्रमण की शुरुआत आप यहां के देब्रिगढ़ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से कर सकते हैं। यह स्थल भारतीय मानचित्र पर ऐतिहासिक महत्व भी रखता है, माना जाता है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान स्वतंत्रता सैनानी सुरेंद्र साई ने इसी जंगल में शरण ली थी। एक बड़े क्षेत्र में फैला यह अभयारण्य कई जीव जन्तुओं को सुरक्षित आश्रय देने का काम करता है, जिनमें आप बाघ, तेंदुआ, जंगली भैंसा, गीदड़, हिरण, खरगोश, बड़ी गिलहरी, सहीत और भी कई जंगली जानवरों को देख सकते हैं। इन सब के अलावा आप यहां कई स्थानीय और प्रवासी पक्षी प्रजातियों को भी देख सकते हैं। यह अभारण्य चार सिंह वाले दुर्लभ एंटीलोप का घर भी है। यह वन्यजीव अभयारण्य देशी-विदेशी पर्यटकों के मध्य काफी लोकप्रिय है। एक रोमांचक सैर के लिए आप यहां आ सकते हैं।

सुनाबेडा वन्यजीव अभयारण्य

सुनाबेडा वन्यजीव अभयारण्य

देब्रिगढ़ के अलावा आप यहां एक सुनाबेडा वन्यजीव अभयारण्य की सैर का प्लान बना सकेत हैं। यह एक विशाल अभयारण्य है, जो लगभग 500 वर्ग कि.मी के क्षेत्र में फैला हुआ है। दरअसल यह एक टाइगर रिजर्व है, जहां बाघों की सुरक्षा और उनकी आबादी पर ध्यान दिया जाता है। लगभग छोट-बड़े कई जलप्रपातों और पठारी भूमि के साथ देब्रिगढ़ बाघों के अलावा कई जीव-जन्तुओं को सुरक्षित आश्रय प्रदान करने का काम करता है। आप यहां से जोंक नदी के खूबसूरत दृश्यों को भी देख सकते हैं। वन्यजीवन को करीब से देखने का यह अच्छा विकल्प है। जंगली जीवों में आप यहां बाघ, तेंदुआ, हिरण, लंगूर, गौर, भालू, भौंकने वाली हिरण आदि को देख सकते हैं। इसके अलावा आप यहां विभिन्न पक्षी प्रजातियों को देखने का मौका भी प्राप्त कर सकते हैं।

कोट्टागढ़ वन्यजीव अभयारण्य

कोट्टागढ़ वन्यजीव अभयारण्य

ओडिशा के वन्यजीव अभयारण्यों की श्रृंखला में आप कोट्टागढ़ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह अभयारण्य अपने हाथियों एंटीलोप और बाघों के लिए जाना जाता है। यह अभयारण्य भारत के अन्य बड़ी सेंचुरी की तरह उतना लोकप्रिय नहीं है, लेकिन अगर आप एक ऑफबीट ट्रैवलर हैं, तो यहां की रोमांचक सैर के लिए आ सकते हैं। यह आरक्षित वन्य क्षेत्र कई स्तनधारी और रेप्टाइल्स जीवों का घर है। आप यहां हाथी, बाघ, नील गाय, जंगली सूअर के साथ अन्य की जीवों को देख सकते हैं। साथ ही आप यहां कई पक्षी प्रजातियों को भी देख सकते हैं।

चिल्का वन्यजीव अभयारण्य

चिल्का वन्यजीव अभयारण्य

PC-Government of Odisha

हजारों स्थानीय और प्रवासी पक्षियों का घर, चिल्का वन्यजीव अभयारण्य राज्य के चुंनिंदा सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में गिनी जाती है। यह सेंचुरी ओडिशा की समुद्री झील पर स्थित है। चिल्का झील और इस अभयारण्य को देखने के लिए वर्षभर यहां पर्यटकों का आवागमन लगा रहता है। यहां स्थानीय के अलावा दूर-दराज से प्रवासी पक्षियों का आगमन भी होता है। आप यहां फ्लेमिंगो, एमिरेट्स, व्हाइट-बिल स्टॉर्क, ईगल, स्पून बिल्स, स्पॉट बिल्ड पेलिकन, हेरन, स्टिल्ट्स, सीगल और किंगफिशर आदि को यहां देख सकते हैं। यहां के अन्य आकर्षण में आप डॉल्फ़िन प्वाइंट पर जाकर डॉल्फ़िन को देख सकते हैं। यहां के जलीय जीवों में आप बड़े केकड़े, झींगा और लोबस्टर आदि को देख सकते हैं।

सिमलीपाल वन्यजीव अभयारण्य

सिमलीपाल वन्यजीव अभयारण्य

राज्य के मयूरभंज जिले में स्थित सिमलीपाल, भारत के चुनिंदा सबसे खास अभयारण्यों में गिना जाता है। यह सेंचुरी टाइगर प्रोजेक्ट के रूप में जानी जाती है। इस वन्य क्षेत्र का अपना अलग इतिहास है, माना जाता है कि यह इलाका कभी मयूरभंज के शासकों का शिकार गाह हुआ करता था। सिमलीपाल वन्यजीव अभयारण्य लगभग 2,750 वर्ग कि.मी के क्षेत्र में फैला है, जो विभिन्न वनस्पतियों और जीव जन्तुओं को सुरक्षित आश्रय प्रदान करने का काम करता है।

यहां के जंगली जीवों में आप बाघ, हाथी, तेंदुआ, चीतल, भौंकने वाली हिरण, सांभर भालू, मगरमच्छ आदि को देख सकते हैं। इसके अलावा आप यहां कई स्थानीय और प्रवासी पक्षियों को भी देख सकते हैं। एक रोमांचक सैर के लिए आप यहां आ सकते हैं।

भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान

भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान

उपरोक्त अभयारण्यों के अलावा आप यहां भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान की रोमांचक सैर का प्लान बना सकते हैं। सर्पीली नदियों और मैंग्रोव के घने जंगलों से घिरा यह अभयारण्य ओडिशा के लोकप्रिय पर्यनट स्थलों में गिना जाता है। यहां मगरमच्छों की एक बड़ी आबादी निवास करती है, जानकारी के अनुसार यहां 1600 से ज्यादा खारे पानी के मगरमच्छ रहते हैं।

इसके अलावा आप यहां लंगूर, सांभर, मॉनिटर लिजर्ड आदि जीवों को भी देख सकते हैं। यह अभयारण्य लगभग 672 वर्ग कि.मी के क्षेत्र में फैला हुआ। इसे राष्ट्रीय उद्यान 1988 में बनाया गया था। आप यहां अन्य जीवो में किंग कोबरा, अजगर आदि को भी देख सकते हैं।

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