हरियाणा स्थित हिसार भारत का ऐतिहासिक और एक आधुनिक शहर है जिसे आमतौर पर देश की इस्पात नगरी के नाम से संबोधित किया जाता है। इतिहास से जुड़े साक्ष्य बताते हैं कि यह शहर कई शक्तिशाली साम्राज्यों की अधीन रह चुका है। यहां तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य, 14 वीं शताब्दी में तुगलक, छठी शताब्दी में मुगल और 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश समेत कई प्रमुख शक्तियों द्वारा शासन किया गया था।
हरियाणा से पहले यह प्राचीन शहर कभी पंजाब प्रांत का हिस्सा हुआ करता था। इसके अलावा हिसार भारत में प्रारंभिक मानवीय बसावट को भी भली भांति प्रदर्शित करता है। यह हडप्पा के चुनिंदा स्थलों में भी गिना जाता है। आप यहां आज भी कई अतीत से जुड़ी संरचनाओं को देख सकते हैं। इस लेख के माध्यम से जानिए पर्यटन के लिहाज से यह शहर आपके लिए कितना खास है।
असीगढ़ का किला
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हिसार भ्रमण की शुरुआत आप यहां के प्रसिद्ध ऐतिहासिक असीगढ़ फोर्ट की सैर से कर सकते हैं। स्थानीय लोग इस किले को पृथ्वीराज चौहान का किला और हंसी फोर्ट के नाम से भी संबोधित करते हैं। जानकारी के अनुसार इस किले का निर्माण राजा हर्षवर्धन के करवाया था। यह किला उस दौर की याद ताजा करता है। इतिहास से जुड़े साक्ष्य बताते हैं इस 12वीं शताब्दी में इस किले का पुननिर्माण राजा पृथ्वीराज चौहान के द्वारा किया गया था।
वर्तमान संरचना पुराने किले से बनाई गई है। माना जाता है कि इस किले को अंग्रेजों ने राजा पृथ्वीराज से छिन लिया था। इतिहास की बेहतर समझ के लिए आप यहां आ सकते हैं।
लोहारी राघो
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असीगढ़ फोर्ट के अलावा आप यहां लोहारी राघो स्थल का भ्रमण कर सकते हैं। शहर के पास स्थित यह हडप्पा सभ्यता से संबंध रखत है। पुरातात्विक सर्वेक्षण के दौरान यहां पूर्व हड़प्पा सभ्यता से जुड़े तीन टीले प्राप्त कि गए हैं। इस स्थल पर उस दौर की की वस्तुएं भी मिली हैं, जिनमें चक्के, बर्तन आदि चीजे शामिल हैं।
माना जाता कि प्राप्त की गई कुछ वस्तुएं ऋग्वैदिक काल से जुड़ी हैं। इसलिए यह स्थल इतिहास का अध्ययन करने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। इसके अलावा इस स्थल पर कुछ धार्मिक धरोहर भी मौजूद हैं।
दरगाह चार कुतुब
हिसार के प्राचीन स्थलों की श्रृंखला में आप दरगाह चार कुतुब भी देख सकते हैं। यह एक मकबरा है जो चार प्रसिद्ध सूफी संतों से संबंध रखता है, जिनके नाम हैं जमाल-उद-दीन हंसी, नूर-उद-दीन, बुरहान-उद-दीन और कुतुब-उद-मुनव्वर। इस संतों को कुतुब भी कहा जाता है।
इस मकबरे के पास एक विशाल मस्जिद भी है जो फिरोज शाह तुगलक के द्वारा बनाई गई थी। माना जाता है कि इस मस्जिद वाले स्थान पर बाबा फरीद ध्यान लगाया करते थे, इसलिए इस मस्जिद का निर्माण करवाया गया था।
राखीगढ़ी
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प्राचीन स्थलों में आप राखीगढ़ी का भी भ्रमण कर सकते हैं, यह एक प्राचीन स्थल है जो 5000 साल पुरानी बताया जाता है। माना जाता है कि सिंधु-सरस्वती सभ्यता का एक बड़ा स्थल यहीं ढूंढा गया था। यह प्राचीन स्थल मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से भी बड़ा बताया जाता है।
साथ ही यह बताया जाता है कि यह स्थल सूखे जलाशय स्थल के पास स्थित है जहां कभी सरस्वती नदी होकर गुजरा करती थी। यहां आसपास प्रारंभिक मानवीय बसावट के बारे में भी पता चलता है।
फिरोज शाह का महल
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उपरोक्त स्थलों के अलावा आप यहां स्थित फिरोज शाह का महल भी देख सकते हैं। जानकारी के अनुसार इस किले का निर्माण 14वी शताब्दी में फिरोज शाह तुगलक ने करवाया था। यह संरचना इस्लामिक और भारतीय शैली का अद्भुत नमूना है। माना जाता है कि हिसार की प्रारंभिक बसावट इस किले के चार प्रवेशद्वारों के अंदर हुई थी।
ये गेट हैं मोरी, दिल्ली, तलाकि और नागौरी गेट । यह एक खास महल है जो लाल सैंडस्टोन से बनाया गया था। इस महल के अंदर एक प्राचीन मस्जिद भी स्थित है।