भारत अकेला पूरे विश्व के 70 प्रतिशत बाघों को संरक्षण प्रदान करता है। 2006 में जहां बाघों की संख्या 1,411 थी, वहीं 2014 में यह बढ़कर 2,226 हो गई है। कच्चे आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में भारत 4500 बाघों का निवास स्थान है। बाघ संरक्षण की दृष्टि से, भारत की यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। आर्थिक, पारिस्थितिकी, शिक्षा व मनोरंजन के रूप में बाघों की संख्या बरकरार रखने के लिए भारत सरकार द्वारा 'बाघ परियोजना' (1973) की शुरूआत भी की गई है। जिसका मुख्य उद्देश्य बाघों के लिए एक सुरक्षित माहौल तैयार करना है।
बता दें कि भारत में छोटे-बड़े लगभग 50 टाइगर रिज़र्व हैं, जिनमें से चुनिंदा, पर्यटन के लिहाज से खास माने जाते हैं। 'नेटिव प्लानेट' की इस खास ट्रैवल सफारी में, हमारे साथ जानिए भारत के टॉप 5 टाइगर रिज़र्व के बारे में, जहां आपको बंगाल टाइगर के साथ एशिया के दुर्लभ बाघों को देखने का मौका मिलेगा।
1 - जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क
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उत्तराखंड स्थित जिम कॉर्बेट भारत का वो पुराना राष्ट्रीय उद्यान है, जिसे मुख्यत : बंगाल टाइगर की रक्षा के लिए, 'हेली नेशनल पार्क' के रूप में स्थापित किया गया। यह पार्क 1936 में बनाया गया, जिसका श्रेय जिम कॉर्बेट नाम के एक ब्रिटिश प्रकृतिवादी को जाता है। बता दें कि 'बाघ परियोजना' के तहत यह भारत का पहला राष्ट्रीय उद्यान है, जो अब पशु विहार के लिहाज से एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है। उत्तराखंड के नैनीताल स्थित जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क एक खूबसूरत इकोटोरिज़्म गतव्य भी है, जीवों की विविधता के साथ यहां वनस्पतियों की लगभग 488 प्रजातियां मौजूद हैं।
क्यों है आपके लिए खास
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यह राष्ट्रीय उद्यान 520.8 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें घास के मैदान, नदी, व पहाड़ी इलाके शामिल हैं। यहां आपको बाघ, शेर, हाथी, हिरण, सांभर, नीलगाय व चीता आसानी से दिख जाएंगे। साथ ही यह पार्क कई पक्षी प्रजातियों का निवास स्थान भी है। पर्यटन के लिहाज से अब इस पार्क को काफी समृद्ध बना दिया गया है, जहां ठहरने व खाने-पीने की अच्छी व्यवस्था है। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क घूमने का सबसे अच्छा समय नवम्बर से लेकर मई का महीना है।
2- बांदीपुर टाइगर रिज़र्व
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कर्नाटक स्थित 'बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान' भारत के उनप्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यानों में शामिल है, जहां जीव-जन्तुओं की असंख्य प्रजाती एकसाथ निवास करती हैं। जिसे प्रोजेक्ट टाइगर(1974) के तहत एक टाइगर रिज़र्व के रूप में स्थापित किया गया है। यह उद्यान किसी जमाने में मैसूर के महाराजा का निजी शिकार क्षेत्र था। पर आज यह एक प्रसिद्ध राष्ट्रीय उद्यान बन गया है, जिसे देखने के लिए देश-दुनिया से पर्यटक आते हैं। लगभग 874 वर्ग किमी में फैला यह उद्यान कई लुप्तप्राय वन्य जीवों को संरक्षण प्रदान करता है।
क्यों है आपके लिए खास
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'बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान कर्नाटक के दक्षिणी जिले चामराजनगर के गुण्द्लुपेट में स्थित है, जो मैसूर से लगभग 80 किमी की दूरी पर बसा है। राज्य के कई खास पर्यटन स्थलों से जुड़े होने के कारण यहां सैलानी ज्यादा आना पसंद करते हैं। इस नेशनल पार्क में सदाबहार व पतझड़ दोनों प्रकार वन पाए जाते हैं। यह उद्यान मुख्यत : बाघ, तेंदुआ, हाथी, गौर, भालू, सांबर, चीतल, काकड़, हिरण आदि के लिए जाना जाता है। साथ ही यहां पक्षियों की 200 से ज्यादा प्रजाति पाई जाती हैं।
3- नागरहोल नेशनल पार्क
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640 वर्ग किमी के फैला कर्नाटक स्थित 'नागरहोल नेशनल पार्क' अपने वन्य जीवन के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यह उन चुनिंदा उद्यानों में से एक है जहां एशियाई हाथी पाए जाते हैं। आप यहां जंगली हाथियों के बड़े से बड़े झुंड को देख सकते हैं। 'बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान की ही तरह नागरहोल भी कभी मैसूर के राजाओं का प्रमुख शिकार क्षेत्र हुआ करता था। लेकिन बाद में इसे एक वन्य जीव अभयारण्य का दर्जा दे दिया गया । बता दें कि यह पार्क 'राजीव गांधी अभयारण्य' के नाम से भी जाना जाता है। इस उद्यान के बीच नागरहोल नाम की नदी बहती है, जो आगे चलकर कबीनी नदी से मिल जाती है।
क्यों है आपके लिए खास
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कई वर्ग किमी में फैला यह अभयारण्य अपने असंख्य वन्य प्राणियों के लिए जाना जाता है। आप जंगल सफारी के माध्यम से इन जीवों के रोमांचक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। समय अच्छा रहा तो आप यहां शेर व बाध को भी आसानी से देख सकते हैं। इसके अलावा यहां चीता, हिरण, हाथी, कलगी वाला साही, व काली गर्दन वाले खरगोश भी देखे जा सकते हैं। बता दें कि यहां पर्यटकों को 30 वर्ग किमी के क्षेत्र में घूमने की इजाजत है, जिसके लिए बस व जीप की सफारी उपलब्ध है। यहां भ्रमण का निश्चित समय, सुबह 6 से लेकर शाम 6 बज तक का है।
4- कान्हा टाइगर रिज़र्व
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मध्य प्रदेश स्थित, 'कान्हा' भारत के चुनिंदा राष्ट्रीय उद्यानों में से एक है। जो अपने वन्य जीवन व प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्व भर में जाना जाता है। लगभग 940 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला यह उद्यान असंख्य जीव-जन्तुओं व वनस्पतियों का निवास स्थान है। बता दें कि 'कान्हा' शब्द यहां जंगल में पाई जाने वाली मिट्टी के नाम पर पड़ा है। सैलानी यहां मुख्यत: बाघ व दुर्लभ जीवों को देखने के लिए ज्यादा आते हैं। सतपुड़ा की पहाड़ियों से घिरा यह पूरा क्षेत्र कभी अंग्रजों का शिकार क्षेत्र कहलाता था।
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आप यहां जंगली जीवों के साथ-साथ विभिन्न पक्षियों को भी देख सकते हैं। यहां पक्षियों की लगभग 300 प्रजातियां पाई जाती हैं। जिनमें बत्तख, मोर,तीतर, कबूतर, उल्लू, कठफोड़वा, तालाबी बगुला आदि प्रमुख हैं। वन्य जीवन को करीब से देखने के लिए आप यहां जीप व हाथी सफारी का आनंद ले सकते हैं। बाघों को करीब से देखने के लिए यहां हाथी की सवारी की खास सुविधा उपलब्ध है। यह पार्क 1 अक्टूबर से लेकर 30 जून तक खुला रहता है। मानसून के दौरान इसे बंद कर दिया जाता है।
5- बांधवगढ़ नेशनल पार्क
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'कान्हा' के अलावा बांधवगढ़, मध्य प्रदेश का प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान है, जिसे बाघों का गढ़ कहा जाता है। 437 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैले इस उद्यान को 1968 में बसाया गया। यह राज्य का एकमात्र ऐसा उद्यान है जो 32 पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह पूरा वन्य क्षेत्र विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तुओं और वनस्पतियों से भरा हुआ है। यहां जंगली पशुओं की 22 व पक्षियों की लगभग 250 प्रजातियां निवास करती हैं। बंगाल टाइगर्स की संख्या के मामले में बांधवगढ़ विश्व में पहला स्थान रखता है। यहां आप बाघों के अलावा शेर, चीता, हिरण आदि को आसानी से देख सकते हैं।
क्यों है आपके लिए खास
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आप यहां हाथी सफारी के सहारे वन्यजीवन का रोमांचक अनुभव ले सकते हैं। यहां बांधवगढ़ नाम की एक पहाड़ी भी है, जहां 2 हजार वर्ष पुराना एक किला है। उद्यान घूमने आए पर्यटक इस किले को देखना भी पसंद करते हैं। अगर आप बांधवगढ़ आएं तो इस प्राचीन किले को अवश्य देखें। यहां की सैर का आनंद लेने के बाद अगर आप चाहें तो अन्य पर्यटन स्थलों पर निकल सकते हैं। बांधवगढ़ से खजुराहो और जबलपुर काफी नजदीक हैं।