भारत में करिश्माई खूबसूरती का ताज ओढ़े कश्मीर हर वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करता है। कश्मीर की ग्रीष्मकाल की राजधानी श्रीनगर को भारतवासी धरती का स्वर्ग और पूरब का वेनिस कहते हैं। झेलम नदी के तट पर स्थित खूबसूरत झीलों, महान ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक महत्व रखने वाला शहर, श्रीनगर हर प्रकार के पर्यटन की धुरी पर खरा उतरता है और पर्यटकों का मन-पसंदीदा गंतव्य हैं।
यहां मौजूद कई ऐतिहासिक इमारतें और पुराने धार्मिक स्थल, श्रीनगर के धनी और सम्पन्न गुजरे वक्त की दास्तां बताते हैं। श्रीनगर में कुछ बेहद ही खूबसूरत मस्जिदें स्थापित है, जो अपने जमाने की एक अलग कहानी को बयाँ करती हुई प्रतीत होती है। यहां के शांत वातावरण में आप इतना डूब जाएंगे कि खुदा आपको अपने करीब महसूस होने लगेगा। ऐसा महसूस होगा जैसे आप खुदा के बेहद करीब हों। यहाँ पहुँचते ही आप ऊपर वाले की बंदगी में सराबोर हो जाएंगे। तो देर किस बात की जानिये श्रीनगर की 5 सबसे मस्जिदों के बारे में।
जामिया मस्जिद, श्रीनगर
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श्रीनगर की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है जामिया मस्जिद। जो ब्रिटिश वास्तुकला में बनी हुई है जिसकी खूबसूरती देख सभी दंग रह जाते हैं। इस मस्जिद के अंदर जहाँ नमाज़ अदा की जाती है उस हॉल को देखना मत भूलियेगा क्यूंकि यह हॉल वाकई देखने योग्य है। 370 खम्बों पर खड़ी यह मस्जिद इतनी बड़ी है कि इसके अंदर तक़रीबन 30,000 लोग एक साथ नमाज़ अदा कर सकते हैं।
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हज़रत बल श्रीनगर
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डल झील के पश्चिमी ओर स्थित हज़रत बल मस्जिद, कश्मीर के सबसे पवित्र मुस्लिम तीर्थ में शुमार है। फ़ारसी भाषा में ‘बाल' को ‘मू' या ‘मो' (مو) कहा जाता है, इसलिए हज़रतबल में सुरक्षित बाल को ‘मो-ए-मुक़द्दस' या ‘मो-ए-मुबारक' (पवित्र बाल) भी कहा जाता है।
इस मस्जिद की वास्तुकला मुगल और कश्मीरी स्थापत्य शैली का सही मिश्रण है, इस मस्जिद का निर्माण 17 वीं सदी में किया गया था जिसकी झलक स्पष्ट रूप से मस्जिद की वास्तुकला में दिखती है। कहा जाता है कि पैगंबर मोहम्मद के पवित्र बाल मोई - ए - मु़कद्दस के नाम से यहां रखे हुए हैं। इन बालों को आम जनता के लिए कुछ खास मौकों पर ही खोला जाता है और दीदार करवाया जाता है।
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दस्तगीर साहिब श्राइन
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श्रीनगर के खानयार में स्थित 200 वर्षों से भी ज्यादा पुरानी प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। यह सूफ़ी संत अब्दुल क़ादिर जीलानी से सम्बंधित है। कश्मीरी संस्कृति की विरासत का हिस्सा दस्तगीर साहिब मस्जिद की बाहरी दीवारें नाजुक हरे और सफेद रंग से रंगी हुई है जबकि मस्जिद की अंदर की दीवारें कागज की लुगदी स्क्रॉल काम, फूलों की सजावट और अरबी शास्त्रों से मिलकर सजी हुई हैं। इस मस्जिद की मुख्य विशेषता यहां स्थित अतयाल कुर्सी है जो दरवाजे पर लटकी हुई है और काफी खूबसूरती से हुई रंगदार नक्काशी का नायाब नमूना है। श्रद्धालु यहां मन्नत मांगकर धागा बंधकर अल्लाह से यहां आयतें कुबूल होने की दुआ करते हैं।
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पत्थर मस्जिद
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झेलम नदी के किनारे स्थित पत्थर मस्जिद का निर्माण 1623 में नूर शाहजहां ने कराया था। कश्मीर में सबसे बड़ी और जीवित मुगल संरचना पत्थर मस्जिद शाह हमदान मस्जिद के ठीक सामने स्थित है । ऐसा माना जाता है कि इस मस्जिद का निर्माण प्रसिद्ध मुगल इतिहासकार और वास्तुकार, मलिक हैदर चौधरी की देखरेख में किया गया था। वर्तमान में यह मस्जिद लगभग खंडहर में बदल चुकी है जो मुगल स्थापत्य शैली में बनी थी और दुनिया भर के इतिहासकारों और पुरातत्वविदों को आकर्षित करती थी।
चरार-ए-शरीफ
चरार-ए-शरीफ मस्जिद, हजरत शेख वली नूर - उद - दीन वली के नाम से भी जानी जाती है। चरार-ए-शरीफ का निर्माण मुस्लिम सूफी संत हजरत शेख नूर - उद - दीन वली के सम्मान में करीबन 600 वर्ष पूर्व कराया गया था। इस धार्मिक स्थल को कई बार क्षतिग्रस्त किया गया, लेकिन आज भी इसके बाबजूद भी आज यह स्थल अपना धार्मिक महत्व रखे हुए है।
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अखुंद मुल्ला की मस्जिद
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शाह-ए-हमदान
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झेलम नदी के तट पर स्थित शाह-ए-हमदान श्राइन कश्मीर की पुरानीं मस्जिदों में शुमार है। इस मस्जिदें की दीवारे भव्य कश्मीरी पेंटिंग और पेपर मैच से सजी हुई हैं, इस मस्जिद की जटिल डिजाइन और नक्काशी पर्यटकों को बेहद आश्चर्यचकित करती है ।
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