चुराचांदपुर भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर का वो अज्ञात स्थल है, जिसके विषय में ज्यादा ट्रैवलर्स को नहीं पता। स्थानीय भाषा में 'लमका' कहा जाने वाला यह शहर कई मायनों में महत्व रखता है। चुराचांदपुर का सिर्फ वर्तमान ही नहीं बल्कि इतिहास भी काफी दिलचस्प है।
माना जाता है कि पूर्वोत्तर के रास्ते जपानियों ने भारत में प्रवेश किया था तो उस दौरान यहां काफी गोलाबारी हुई थी। यह शहर उस दौरान काफी क्षतिग्रस्त हुआ था, जिसे कई साल लगे अपने अस्तित्व को फिर से वापस लाने में। वर्तमान में यह शहर राज्य के सबसे खास पर्यटन गंतव्यों में गिना जाता है।
चारों तरफ से पहाड़, नदी-घाटी और झरनों से घिरा यह स्थल राजधानी शहर इम्फाल से 59 किमी की दूरी पर स्थित है। जानिए पर्यटन के लिहाज से यह ऐतिहासिक शहर आपके लिए कितना खास है। जानिए यहां के शानदार दर्शनीय स्थलों के बारे में।
नांगलोई जलप्रपात
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चुराचांदपुर भ्रमण की शुरूआत आप जिले के एक खूबसूरत गांव नांगलोई से कर सकते हैं। इस एक विशेष गांव है, जो 1950 में जांगखोहेन होकीप द्वारा बसाया गया था। मुख्य शहर चुराचांदपुर से यह गांव मात्र 9 किमी की दूरी पर स्थित है, जहां आप पहाड़ी रास्तों के सहारे पहुंच सकते हैं।
इस गांव का सबसे मुख्य आकर्षण यहां मौजूद प्रसिद्ध नांगलोई झरना है, जो सैलानियों का यहां आने के लिए मजबूर करता है। इस एक मात्र झरने के को देखने के लिए दूर-दूर पर्यटक खींचे चले आते हैं। आप यहां आकर ग्रामीण जीवन को भी समझ सकते हैं।
खुगा बांध
चुराचांदपुर जिले का खुगा बांध यहां के लोगों के लिए जीवन रेखा का काम करता है। यह बांध बिजली उत्पादन के अलावा सिंचाई और पीने योग्य जल की व्यवस्था भी करता है। इसके अलावा यह बाध स्थल जिले के मुख्य आकर्षणों में भी गिना जाता है। वीकेंड पर आप यहां पर्यटकों को आराम फरमाते यहां देख सकते हैं।
बता दें कि इस बांध का निर्माण एक कुत्रिम झील पर किया गया है, जो सैलानियों के लिए एक शानदार पिकनिक स्पॉर्ट भी है। व्यस्त जीवन शैली के बीच आप यहां थोड़ा फुर्सत के पल बिताने के लिए आ सकते हैं।
जनजातीय संग्रहालय
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पूर्वोत्तर भारत अपने जनजातीय जीवन के लिए भी जाना जाता है। ज्ञान के विस्तार और लोक संस्कृति को समझने के लिए आप मणिपुर के जनजातीय संग्रहालय की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह म्यूजियम उन लोगों के लिए बना है जो इतिहास में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। यहां आकर आप आदिवासियों के जीवन, उनके रहन-सहन और उनकी प्रारंभिक बसावट के विषय में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
आप यहां उनके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली पारंपरिक तकनीकों के विषय में भी जान सकते हैं। इस संग्रहालय में जनजातीय लोगों से जुड़ी वस्तुओं का बड़ा संग्रह मौजूद है।
तिपाईमुख
अन्य स्थलों में आप मणिपुर के तिपाईमुख की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह एक खूबसूरत गंतव्य है जो मिजोरम की सीमा से निकट मणिपुर के दक्षिण-पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। यह जिले(चुराचांदपुर) की छह जनजातीय विकास खंडों में से एक है। पर्यटन के मामले में यह स्थल काफी ज्यादा मायने रखता है, प्रकृति प्रेमियों के लिए यह स्थल किसी खजाने से कम नहीं। यह उस खास स्थल पर स्थित है जहां पूर्वोत्तर की दो प्रमुख नदियां तुईवाई औऱ बारक मिलती है।
तिपाईमुख दो शब्दों से मिलकर बना है, तिपाई का अर्थ नदी और मुख का मतलब मुंह। यहां आप प्राकृतिक दृश्यों का आनंद उठाने के साथ-लाथ नौकायन का रोमांचक अनुभव भी ले सकते हैं।
टोंगलोन गुफा
उपरोक्त स्थलों के अलावा आप चुराचांदपुर जिले में स्थित टोंगलोन गुफा की सैर का प्लान बना सकते हैं। यह केव यहां के मुख्य आकर्षणो में गिनी जाती है। यह प्राचीन गुफा स्थल पर्यटकों के साथ-साथ पुरातत्वविदों को भी अपनी ओर खींचने का काम करता है। यहां आकर आप जिल समेत राज्य के इतिहास से जुड़े कई महत्वपूर्ण पहलुओं को समझ सकते हैं।
टोंगलोन गुफा राज्य के मुख्य सांस्कृतिक स्थलों में भी गिनी जाती है। यहां कई प्राचीन आकृतियों को प्राप्त किया गया है। सफर को रोमांचक मोड़ देने के लिए आप यहां की यात्रा कर सकते हैं।