उत्तरप्रदेश के औद्योगिक नगरी कानपुर से 22 किमी की दूर पर बिट्ठुर अपने ऐतिहासिक और प्राचीन इतिहास के लिए जाना जाता है। बिट्ठुर का इतिहास ऐतिहासिक है ये तो सभी जानते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं, कि सृष्टि कि रचना भी बिट्ठुर में ही हुई थी।
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जी हां पौराणिक कथायों की माने तो जब भगवान ने सृष्टि को नष्ट कर दिया था और गैलेक्सी को पुननिर्मित किया था, उस दौरान भगवान ब्रह्मा ने बिट्ठुर को अपना निवास स्थान चुना था। कहा जाता है कि पहली मानव जाति का सृजन भी यही हुआ था और अश्वमेधयजना को भी यहीं पूरा किया गया था। इसी घटना के कारण इस स्थल को ब्रह्मावर्त के नाम से जाना जाता है।
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इसके अलावा बिट्ठुर नानाराव और तात्या टोपे जैसे लोगों की धरती रही है। टोपे परिवार की एक शाखा आज भी बैरकपुर में है और यहीं झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का बचपन बीता। बिठूर 52 घाटों की नगरी के नाम प्रसिद्ध है, लेकिन वर्तमान में वहां 29 घाट मौजूद है।
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बिट्ठुर एक बेहद ही शांत शहर है जोकि प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है...आप यहां ऐतिहासिक इमारतो के साथ धार्मिक मंदिरों से लेकर नदी में नाव की सैर तक का आनंद उठा सकते है।
तो आइये स्लाइड्स में विस्तार से जानते हैं बिट्ठुर के बारे में
बिट्ठुर
गंगा के किनारे बसे इस नगर का उल्लेख प्राचीन भारत के इतिहास में मिलता है। अनेक कथाएं और किवदंतियां यहां से जड़ी हुई है। इसी स्थान पर भगवान राम ने सीता का त्याग किया था और यहीं संत वाल्मीकि ने तपस्या करने के बाद पौराणिक ग्रंथ रामायण की रचना की थी।PC:Anupamg
बिट्ठुर
कहा जाता है कि बिट्ठुर में ही बालक ध्रुव ने सबसे पहले ध्यान लगाया था। माना जाता है कि राजा उत्तमपाद के पुत्र ध्रुव भी यहीं पले बढ़े थे, जो बाद में तपस्या से मिले वरदान के कारण अमर तारा यानि ध्रुव तारा बन गए, जो उत्तर दिशा में अटल रहता है और तेजी से चमकता है।PC:Anupamg
बिट्ठुर
1857 के संग्राम के केन्द्र के रुप में भी बिठूर को जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा नदी के किनारे लगने वाला कार्तिक मेला पूरे भारतवर्ष के लोगों का ध्यान खींचता है।PC:Anupamg
बिट्ठुर
बता दे बिट्ठुर ही, वह जगह है जहां देश की वीरांगना लक्ष्मी बाई का जन्म हुआ था, जिन्हें हम सभी झाँसी की रानी के नाम से जानते थे और आज भी उनकी शूरवीर गाथाएं याद की जाती हैं।PC: Prateekmalviya20
वाल्मीकि आश्रम
जहां महान संत ने बैठकर महाकाव्य रामायण की रचना की थी। रामायण के मुताबिक जब भगवान श्री राम ने सीता का त्याग किया तो वह भी यहीं रहने लगीं थीं। इसी आश्रम में सीता ने लव-कुश नामक दो पुत्रों को जन्म दिया। यह आश्रम थोड़ी ऊंचाई पर बना है, जहां पहुंचने के लिए सीढि़यां बनी हुई हैं। वाल्मीकि आश्रम के पास बनी इन सीढियों को स्वर्ग की ओर जाने वाली सीढियाँ भी कहा जाता है। आश्रम से आप चिडियों को निहार सकते है, यहां के शांत वातावरण को महसूस कर सकते है और एक विंहगम दृश्य का आनंद उठा सकते है।PC:Anupamg
ब्रह्मावर्त घाट
ब्रह्मवर्त घाट, गंगा नदी के किनारे कन्नौज रोड़ पर स्थित है। इस शांत जगह का महान धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने अपने निवास स्थान के रूप में बिट्ठुर को चुना था और यहीं उन्होने मानव जाति का सृजन किया था। इस तट पर भगवान ब्रह्मा के अनुयायी गंगा नदी में स्नान करने बाद खड़ाऊ पहनकर यहां उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहां एक शिवलिंग स्थापित किया था, जिसे ब्रह्मेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।
पाथर घाट
यह घाट लाल पत्थरों से बना है। अनोखी निर्माण कला के प्रतीक इस घाट की नींव अवध के मंत्री टिकैत राय ने डाली थी। घाट के निकट ही एक विशाल शिव मंदिर है, जहां कसौटी पत्थर से बना शिवलिंग स्थापित है।
ध्रुव टीला
ध्रुव टीला वह स्थान है, जहां नन्हे से ध्रुव ने अपने बचपनकाल में एक पैर पर खड़े होकर भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी। ध्रुव ने अपन भक्ति से भगवान को प्रसन्न कर दिया था और फलस्वरूप एक अमर तारा बनने का दिव्य वरदान प्राप्त कर लिया। आज भी हम उत्तर दिशा में अटल तारे को ध्रुव तारे के नाम से जानते है, जो सदैव एकसमान चमकता है।PC:Anupamg
कैसे जायें
वायुमार्ग: बिठूर का नजदीकी एयरपोर्ट लखनऊ के निकट अमौसी में है। यह एयरपोर्ट बिठूर से लगभग 87कि.मी. दूर है।
रेलमार्ग: कल्याणपुर यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है। केवल पेसेन्जर ट्रेन के माध्यम से ही यहां पहुंचा जा सकता है। कानपुर जंक्शन यहां का निकटतम बड़ा रेलवे स्टेशन है।
सड़क मार्ग: बिठूर आसपास के शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है। लखनऊ, कानपुर, आगरा, कन्नौज, दिल्ली, इलाहाबाद, अयोध्या आदि शहरों से बिठूर के लिए बस सेवा उपलब्ध है।
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