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इस मंदिर में सबकी मनोकामना होती है पूरी...पीएम मोदी ने भी किये दर्शन

प्रधानमन्त्री नरेंद्र भुवनेश्वर के 1400 वर्ष पुराने मंदिर दर्शन करने पहुंचे..आप भी जाने मंदिर के बारे में

By Goldi

पांच राज्यों में कमल खिलने के बाद बीते दिनों मोदी ने ओड़िशा की राजधानी भुवनेश्वर में रोड शो किया। साथ ही उन्होंने 11 वीं सदी के मंदिर लिंगराज पहुंच कर पूजा अर्चना भी की। यह मंदिर शहर के प्राचीन मंदिरों में गिना जाता है। कहा जाता है कि देवी पार्वती ने यहीं पर लिट्टी व वसा नाम को दो राक्षसों का वध किया गया था। भुवनेश्वर मंदिर के यह मुख्य मंदिर 1400 वर्ष से भी पुराना है।

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लिंगराज मंदिर मंदिर 54 मीटर ऊंचा और 25,000 वर्ग फुट दायरे में फैला हुआ है और इसके परिसर में ही 150 छोटे और बड़े मंदिर बने हुए हैं। भगवान त्रिभुवनेश्वर को समर्पित इस मंदिर को 617-657 ई. में ललाटडुकेशरी ने बनवाया था, लेकिन इस मंदिर का जो वर्तमान स्वरूप है, वो 1090-1104 ई. में बना था। हालांकि मंदिर के कुछ हिस्से 1400 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं।

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यह मंदिर भगवना शिव के एक रूप हरिहारा को समर्पित है और शहर का एक प्रमुख लैंडमार्क है। लिंगराज मंदिर कुछ कठोर परंपराओं का अनुसरण करता है और गैर-हिंदू को मंदिर के अंदर प्रवेश की अनुमति नहीं है। हालांकि मंदिर के ठीक बगल में एक ऊंचा चबूतरा बनवाया गया है, जिससे दूसरे धर्म के लोग मंदिर को देख सकें। यहां पूरे साल पर्यटक और श्रद्धालू आते हैं।

दिल्ली से कैसे पहुंचे लिंगराज मंदिर

कैसे पहुंचे भुवनेश्वर

लिंगराज का इतिहास

लिंगराज का इतिहास

लिंगराज का अर्थं है, शिवजी के एक प्रतिष्ठित रूप, लिंग के राजा।सर्वप्रथम यहां शिवजी को यहां किर्तिवास के रूप में पूजा जाता था, लेकिन बाद में हरिहर के रूप में पूजा जाने लगा।आमतौर पर इन्हें त्रिभुनेश्वरा के नाम से जाना जाता है, जो तीन शब्द, धरती, स्वर्ग और नर्क के स्वामी है। इनकी पत्नी को देवी भुवनेशवरी के नाम से जाना जाता है।
PC:Bernard Gagnon

लिंगराज की वास्तुकला

लिंगराज की वास्तुकला

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर का सबसे विशाल मंदिर है। लिंगराज मंदिर का मुख पूर्व की ओर है और जिसका निर्माण बलुआ पत्थर और लेटराइट से किया गया है। मंदिर का प्रमुख मुख्य द्वार पूर्व की और है और जबकि उत्तर दक्षिण में अन्य छोटे प्रवेश द्वार है।PC: Tinucherian

क्या है मंदिर से जुड़ी मान्यता

क्या है मंदिर से जुड़ी मान्यता

विशालकाय लिंगराज मंदिर के पास ही बिंदुसागर सरोवर है। ऐसी मान्यता है कि राक्षसों का वध करने के बाद देवी पार्वती को जब प्यास लगी तो भगवान शिव ने एक कूप बनाया और उसमें सभी पवित्र नदियों को बुलाया। यहीं पर बिन्दूसागर सरोवर है तथा उसके निकट ही लिंगराज का विशालकाय मन्दिर है।PC:Sarba

कैसे करते हैं दर्शन?

कैसे करते हैं दर्शन?

बिन्दुसागर में स्नान करने के बाद श्रद्धालु को क्षेत्रपति अनंत वासुदेव के दर्शन करते हैं। गणेश पूजा के बाद गोपालनीदेवी, शिवजी के वाहन नंदी कही पूजा के बाद ही लिंगराज के दर्शन के लिए मुख्य स्थान पर प्रवेश किया जाता है।जहां आठ फीट मोटा व करीब एक फीट ऊंचा कर ग्रेनाइट पत्थर से स्वयंभूलिंग स्थिति है।PC:G.-U. Tolkiehn

 सोमवंशी राजा ने कराया था मंदिर का निर्माण

सोमवंशी राजा ने कराया था मंदिर का निर्माण

माना जाता है कि 11वीं सदी में सोमवंशी राजा ययाति केसरी ने मंदिर का निर्माण करवाया था। 180 फुट के शिखर वाले मंदिर का प्रांगण 150 मीटर वर्गाकार का है और कलश की ऊंचाई 40 मीटर है। मंदिर के प्रांगण में
64 छोटे-छोटे मंदिर हैं, जिनकी संख्या पहले 108 थी।
PC: wikimedia.org

हर साल निकाली जाती है यात्रा

हर साल निकाली जाती है यात्रा

प्रतिवर्ष अप्रैल महीने में यहाँ रथयात्रा आयोजित होती है। मंदिर के निकट ही स्थित बिंदुसागर सरोवर में भारत के प्रत्येक झरने तथा तालाब का जल संग्रहीत है और उसमें स्नान से पापमोचन होता है।
PC: Tinucherian

यहां आनेवाले हर भक्त की इच्छा होती है पूरी

यहां आनेवाले हर भक्त की इच्छा होती है पूरी

इस मंदिर में एक साथ बसते श्रीहरि यानि भगवान विष्णु और हर यानि भगवान शिव एक साथ बसते हैं और उनकी पूजा साथ-साथ की जाती है। ऐसी मान्यता हैं कि यहां आनेवाले हर भक्त की इच्धा पूरी होती है।
PC:Tinucherian

श्रद्धालु और पर्यटक लिंगराज मंदिर के अलावा

श्रद्धालु और पर्यटक लिंगराज मंदिर के अलावा

भुवनेश्वर के अन्य प्रसिद्ध मंदिर भुवनेश्वर के प्राचीन मन्दिरों के समूह में चामुण्डादेवी और महिषमर्दिनी देवी दुर्गा की प्राचीन प्रतिमाओं वाले बैतालमन्दिर आदि की सैर कर सकते हैं।
PC: Ashutoshatm9438
ड्राइविंग निर्देश बैंगलोर से भुवनेश्वर

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