महाराष्ट्र का इतिहास काफी गौरवपूर्ण रहा है। यहां आज भी ऐतिहासिक किलों को देखा जा सकता है..हालांकि यह किले काफी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं..लेकिन पर्यटकों के बीच यह किले आज भी आकर्षण का केंद्र बने हुए।इसी क्रम में आज हम आपको अपने लेख के जरिये बताने जा रहें हैं प्रतापगढ़ किले के बारे में।
से 25 किमी की दूरी पर स्थित है। यह किला साहसिक किले के रूप में भी जाना जाता है। ये प्रतापगढ़ के युद्ध का सबसे मथ्व्पूर्ण स्थान था,जो आज के समय पर्यटकों के बीच ट्रैकिंग के लिए खासा लोकप्रिय है।
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सतारा जिले में स्थित प्रतापगढ़ किला महाबलेश्वर से 25 किमी की दूरी पर स्थित है। यह किला साहसिक किले के रूप में भी जाना जाता है। ये प्रतापगढ़ के युद्ध का सबसे मथ्व्पूर्ण स्थान था,जो आज के समय पर्यटकों के बीच ट्रैकिंग के लिए खासा लोकप्रिय है।
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सतारा जिले में स्थित प्रतापगढ़ किला महाबलेश्वर से 25 किमी की दूरी पर स्थित है। यह किला साहसिक किले के रूप में भी जाना जाता है। ये प्रतापगढ़ के युद्ध का सबसे मथ्व्पूर्ण स्थान था,जो आज के समय पर्यटकों के बीच ट्रैकिंग के लिए खासा लोकप्रिय है।
स्वर्ग सरीखा अनुभव और अद्भुत आनंद देंगे आपको तमिलनाडु के ये टूरिस्ट स्पॉट्स
महाबलेश्वर आने वाले पर्यटक प्रतापगढ़ अवश्य जाते हैं..यह किला महाबलेश्वर से 25 किमी की दूरी पर स्थित है।
इतिहास
प्रतापगढ़ किला शिवाजी के शौर्य की कहानी बताता है। शिवाजी ने नीरा और कोयना नदियों के तटो और पार दर्रे की सुरक्षा के लिए यह किला बनवाया था। 1665 में प्रतापगढ़ का किला बनकर तैयार हुआ था।
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किले का इतिहास
10 नवम्बर 1656 को छत्रपति शिवाजी और अफजल खान के बीच युद्ध हुआ था जिसमे शिवाजी की जीत हुयी थी।प्रतापगढ़ किले की इस जीत को मराठा साम्राज्य के लिए नीव माना जाता है ।PC: Pmohite
किले की वास्तुकला
इस किले को दो भागो निचला भाग और उपरी भाग में विभाजित किया गया है। किले का उपरी भाग का निर्माण शिखर पर किया गया है। तथा निचला भाग किले में दक्षिणपूर्व दिशा में स्थित है।जिसकी सुरक्षा मीनारों और 10 से 12 मीटर उंचे गढ़ों द्वारा की जाती है।PC: Pmohite
ट्रैकिंग के लिए है लोकप्रिय
यहां आने वाले पर्यटक इस किले पर ट्रेकिंग का मजा भी ले सकते हैं, ट्रैकिंग के दौरान आप चारो और फैली हरियाली को भी निहार सकते हैं।
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प्रतापगढ़ किला
वर्ष 1960 में किले के अंदर एक गेस्ट हाउस और एक राष्ट्रीय पार्क का निर्माण करवाया गया।PC:Ms.Mulish
कैसे पहुंचे
महाबलेश्वर आने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने कई प्राइवेट और सरकारी बसों को चलवाया है। यह बसें राज्य के प्रत्येक शहर से मिल जाती हैं जिनका किराया 75 से लेकर 250 रू तक होता है।PC: Abheek Mehta