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मणिपुर का खूबसूरत शहर चंदेल

By Namrata Shastry

PC: Sharada Prasad CS

मणिपुर का चंदेल उत्तर-पूर्व की पहाड़ियों के बीच बसा है। पड़ोसी देश म्यांमार के प्रवेश द्वार के रूप में मणिपुर को जाना जाता है एवं भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण स्थान होने के बावजूद इस छोटे से कस्‍बे चंदेल में अनगिनत प्राकृतिक आकर्षण और मनमोहक सौंदर्य के केंद्र हैं। चंदेल में वनस्पतियों और जीवों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। चंदेल और इसके आस-पास के स्थान बहुत ही ज्‍यादा खूबसूरत हैं और इनकी प्रामाणिक संस्कृति और निवास करने वाली जनजातियों के का आतिथ्य भी देशभर में प्रसिद्ध है।

यहां पर रहने वाली हर जनजाति की कोई अलग खासियत है। यहां आकर आपको अपने जीवन का एक अलग ही अनुभव होगा।

तो चलिए जानते हैं मणिपुर के चंदेल और इसके आसपास की खूबसूरत जगहों के बारे में।

चंदेल कैसे पहुंचे:

वायु मार्ग द्वारा : चंदेल पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा इम्फाल हवाई अड्डा है, जो इस सुरम्य छोटे शहर से लगभग 49 किमी दूर है।

रेल मार्ग द्वारा: चंदेल में कोई रेलवे स्टेशन नहीं है। हालांकि, नागालैंड में दीमापुर रेलवे स्टेशन है जो कि 178 किमी की दूरी पर स्थित है। ये रेलवे स्‍टेशन चंदेल के साथ अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इस स्टेशन पर देश के विभिन्न प्रमुख रेल मार्गों से ट्रेनें आती रहती हैं।

सड़क मार्ग द्वारा: चंदेल रोडवेज के माध्यम से आसपास के शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग द्वारा चंदेल आसानी से पहुंचा जा सकता है क्योंकि चंदेल बस स्टेशन शहर के केंद्र में स्थित है।

चंदेल आने का सही समय

फरवरी से दिसंबर में सर्दियों के महीने में चंदेल शहर की यात्रा सबसे अनुकूल रहती है। इन महीनों में, मौसम सुहावना रहता है और तापमान 15डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियत के तक रहता है।

तेंगनोपाल

तेंगनोपाल

P.C: Stefano Alemani

2,500 फीट से 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित तेंगनोपाल से कई प्राचीन राजवंशों और शासकों का इतिहास जुड़ा हुआ है। इस स्थान पर सन् 1630 में लोगों के रहने की शुरुआत हुई थी। अपने शानदार सौंदर्य के कारण पखंगा शासक का घर तेंगनोपाल में हुआ करता था। इसके बाद चीनियों ने सन् 1631 से इस जगह पर शासन किया जब तक कि जापानियों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहां हमला नहीं किया। बराक और मणिपुर की झिलमिलाती नदी की धाराओं के बीच घिरा तेंगनोपाल अपनी शानदार प्राकृतिक छटाओं के लिए मशहूर है।

मोरे

मोरे

P.C: Joel Sparks

चंदेल से लगभग 70 किमी की दूरी पर स्थित मोरे भारत और म्यांमार की सीमा पर स्थित है। पड़ोसी देश के दूर के दृश्य भी आप मोरे से देख सकते हैं। अब किसी जगह के बारे में इससे ज्‍यादा खास बात और क्‍या हो सकती है कि आपको वहां से दूसरे देश के नज़ारे भी देखने को मिलेंगे। प्रकृति प्रेमी और व्यापारिक अधिकारियों दोनों के लिए ही कई कारणों से ये जगह महत्‍वपूर्ण है। यह स्थान एक व्यापारिक केंद्र है। पर्यटकों के लिए भी ये एक आकर्षण का केंद्र है और मणिपुर के लोगों के लिए इसे व्यावसायिक केंद्र भी माना जाता है। यहां के व्‍यस्‍त बाजारों और शॉपिंग कॉम्‍प्‍लेक्‍स में आपको बहुम मज़ा आएगा।

यैंगैंगपोक्‍पी लोकचाओ वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य

यैंगैंगपोक्‍पी लोकचाओ वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य

P.C: Sergey Pesterev

वर्ष 1989 में स्थापित यैंगैंगपोक्‍पी लोकचाओ वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य लगभग 185 वर्ग किमी में फैला हुआ है। यहां पर स्तनधारी जीवों की लगभग 42 प्रजातियां, जीवंत पक्षियों की 74 किस्में, उभयचरों की 6 प्रजातियां, 29 प्रकार के सांप और मछलियों की 86 प्रजातियां देखने को मिलती हैं। अभयारण्य वनस्पतियों और जीवों एवं लुप्तप्राय प्रजातियों की एक विविध श्रेणी का प्राकृतिक आवास है जिनमें स्टंप्ड टेल मकाक, हिमालयन काले भालू, धीमी गति से चलने वाले शेर, जंगली भालू, इंडियन सिवेट कैट और हूलोक गिब्बन आदि शामिल हैं।

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