तीन नदियों, सतलुज, ब्यास और रावी से समृद्ध पंजाब राज्य के प्रमुख जिलों में से एक है जालंधर। क्या आप जानते हैं कि इस शहर का नाम 'जालंधर' कैसे पड़ा? दरअसल, 'महाभारत' के समय में, जालंधर को 'प्रथला' कहा जाता था, जबकि एक अन्य किंवदंती कहती है कि इसका नाम एक दानव - जलंधर के नाम पर रखा गया था।
हालांकि, अगर आप इस शब्द को दो हिस्सों में तोड़ते हैं, तो 'जल' का अर्थ है 'पानी' और 'अंधेर' का अर्थ है 'अंदर'। इस तरह इसका मतलब है कि पानी के अंदर का एक क्षेत्र जो वास्तव में ब्यास और सतलुज नदियों के बीच बसा एक क्षेत्र है।
जालंधर पंजाब का एक व्यापक रूप से प्रगति करने वाला शहर है जो पूर्व में लुधियाना, पश्चिम में कपूरथला, उत्तर में होशियारपुर और दक्षिण में फिरोजपुर से घिरा हुआ है। वर्तमान में, जालंधर पंजाब का एक लोकप्रिय स्थान है जहां तेजी से उद्योगों का विकास हो रहा है। खेल की वस्तुओं, लोहे की रोलिंग की मिलें और स्टील, इलेक्ट्रिकल और रबड़ के सामान, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, हस्तशिल्प और हथकरघा के लिए भी जाना जाता है इस शहर को जाना जाता है। यह चंडीगढ़ से 146 कि.मी और अमृतसर से 84 कि.मी दूर है।
जालंधर कैसे पहुंचे
PC: Abhinav Phangcho Choudhury
सड़क मार्ग द्वारा : पूरे पंजाब से जालंधर शहर सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। आसपास के राज्यों से भी आसानी से सड़क मार्ग द्वारा जालंधर आ सकते हैं। हिमाचल, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और राजस्थान से जालंधर के लिए नियमित सरकारी और निजी बसें चलती हैं।
रेल मार्ग द्वारा : जम्मू, कोलकाता, नागपुर, मुंबई, पुरी और दिल्ली शहर से जालंधर के लिए नियमित ट्रेनें चलती हैं इसलिए रेल मार्ग द्वारा जालंधर आना आसान रहता है। दिल्ली अमृतसर रेलवे लाइन पर जालंधर रेलवे स्टेशन स्थित है। यहां पर कई लोकल ट्रेनें भी चलती हैं जोकि जालंधर को पंजाब के कई हिस्सों से जोड़ती हैं।
वायु मार्ग द्वारा : जालंधर में कोई एयरपोर्ट ना होने की वजह से अमृतसर का राजा सांसी एयरपोर्ट इसका नज़दीकी हवाई अड्डा है। जांलधर से इस एयरपोर्ट की दूरी 90 किमी है। जालंधर से चंड़ीगढ़ 134 और लुधियाना एयरपोर्ट 59 किमी की दूरी पर स्थित है।
तो चलिए जानते हैं अब उन चीज़ों के बारे में जो जालंधर जैसे सांस्कृतिक शहर में आने के लिए पर्यटकों को आकर्षित करता है।
इमाम नासिर मस्जिद
ये भव्य मकबरा लगभग 800 वर्ष पुराना है और इसका नाम महान संत - इमाम नासिर के नाम पर रखा गया है। इस प्राचीन स्मारक में अद्भुत वास्तुकला है और यह जिस ऐतिहासिक प्रासंगिकता को दर्शाती है वह भी काफी आकर्षक है। इसके अलावा, यहां पर 400 साल पुरानी जामा मस्जिद भी देख सकते हैं जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
मुगल शैली में यहां दो स्मारक बने हुए हैं। आपको बता दें कि संत फरीदजी ने 40 दिनों तक इस दरगाह में शरण ली थी जिससे इस स्थान को कई ज्यादा पवित्र माना जाता है। दो-मंजिला मस्जिद में एक क्लॉक टॉवर है, जो पर्यटकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करती है। इस जगह के सुंदर परिवेश और बगीचे के बीच बैठकर आपको भी मुगल काल की याद आ जाएगी।
गर्मी के मौसम में यहां उमस और चिलचिलाती धूप रहती है इसलिए सर्दी के मौसम में इस जगह आना ज्यादा बेहतर रहता है।
तुलसी मंदिर
इस मंदिर में वृंदा की पूजा होती है जो जलंधर की पत्नी थी। यह जालंधर शहर के कोट किशन चंद इलाके में स्थित है। ऐसा कहा जाता है कि इसमें एक तालाब था जो राक्षसों का स्नान स्थल हुआ करता था। यह मंदिर जालंधर शहर के अस्तित्व में आने से पहले से ही मौजूद था। इस मंदिर में साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है। यहां भक्तों द्वारा देवी को आरती, फूल और प्रसाद चढ़ाया जाता है।
इस मंदिर के कारण आसपास के मंदिर भी काफी प्रसिद्ध हो गए हैं। इस मंदिर में अन्न की देवी अन्नपूर्णा की भी मूर्ति स्थित है। भगवान शिव के संस्मरण ब्रह्म कुंड और आसपास के कुछ अन्य मंदिरों द्वारा मनाए जाते हैं। ब्रह्म कुंड और आसपास के अन्य मंदिरों में भगवान शिव की पूजा की जाती है।
देवी तालाब
'हरबल्लभ संगीत सम्मेलन' के बारे में तो आपने सुना ही होगा? यह हमेशा दिसंबर के महीने में मंदिर परिसर के भीतर मनाया जाता है। 200 साल पुराना मंदिर रेलवे स्टेशन से सिर्फ 1 किमी की दूरी पर स्थित है और यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। हाल ही में इस मंदिर का जीर्णोंद्धार हुआ था जिसकी वजह से यह मंदिर पहले से भी अधिक शानदार हो गया है। इस मंदिर से कुछ ही दूरी पर देवी काली के उत्कृष्ट मंदिर और एक प्राचीन तालाब स्थित है। सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि यह मंदिर जम्मू और कश्मीर की अमरनाथ गुफा मंदिर जैसा ही दिखता है।
शिव मंदिर
लोधी शासनकाल में सुल्तानपुर के नवाब द्वारा गुर मंदी में स्थित इस मंदिर को बनवाया गया था। ये पूरी तरह से हिंदू मंदिर जैसा ही बनवाया गया है। इस मंदिर की वास्तुकला हिंदू मंदिरों जैसी है लेकिन मंदिर का दरवाज़ा देखने में मस्जिद जैसा लगता है। दो अलग-अलग धर्मों की वास्तुकला के इस बेजोड़ संगम को देखकर आपका मन भी खुशी से प्रफुल्लित हो उठेगा। इस मंदिर में भगवान शिव आने वाले भक्तों की सभी मुश्किलें और रोगों को दूर करते हैं।
शीतला मंदिर
संस्कृत के दो शब्द 'जवारा' और 'शीतला' इस मंदिर से जुड़े हैं। 'शीतला' का अर्थ है शीतलता और 'जवारा' का अर्थ है 'ज्वर'। कहा जाता है कि शीतला देवी कात्यायनी का रूप है। पौराणिक कथा के अनुसार जब दानव जवरसुरा ने बच्चों के रक्त में बुखार के बैक्टीरिया को डाला, तो देवी कात्यायनी ने उस बैक्टीरिया को नष्ट करने और रक्त को शुद्ध करने के लिए शीतला का रूप धारण किया था।
उसने बुखार के शिकार लोगों को ठंडक का अहसास दिया। यह जालंधर का एक सदियों पुराना मंदिर है जो देवी शीतला माता को समर्पित है। यह वाल्मीकि द्वार के पास स्थित है और यहां बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं। खासकर अगस्त और सितंबर के महीनों में इस मंदिर में तीर्थयात्रियों का जमावड़ा रहता है।
भगत सिंह संग्रहालय
यह संग्रहालय भगत सिंह के संस्मरणों की याद दिलाता है। जालंधर से 55 किमी की दूरी पर स्थित इस संग्रहालय में आपको भगत सिंह के उत्कीर्ण नोट्स पढ़ने और देखने को मिलेंगे। शहीद-ए-आज़म सरदार भगत सिंह संग्रहालय के रूप में संदर्भित है। इस जगह का उद्घाटन 23 मार्च 1981 को हुआ था। यह स्वतंत्रता सेनानी के शहीद होने की याद में बनाया गया था जिसने अब अपने 50 साल पूरे कर लिए है। यह भगत सिंह के पैतृक गांव खट्टर कलियान में स्थित है, जहाँ पर स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्ष से जुड़ी कई प्राचीन स्मृतियां मौजूद हैं।
सैंट. मैरी कैथेड्रल चर्च
इस गिरजाघर के जैसी वास्तुकला आपको कहीं और देखने को नहीं मिलेंगी। इसे पोप जॉन पॉल द्वितीय द्वारा शुरू किया गया था। यह कॉस्मो-सांस्कृतिक गिरजाघर है जो जालंधर छावनी में स्थित है। इसे पंजाबी परंपरा का प्रतीक माना गया है। ईसाइयों का यह धार्मिक स्थल 1947 में रेव एफआर. जॉन मैकडॉनेल द्वारा सेंट पैट्रिक की याद में बनाया गया था। इसे पंजाब का मदर चर्च भी कहा जाता है जिसे 1955 में अपोस्टोलिक प्रान्त की श्रेणी में बनाया गया था।
कंपनी बाग
इसे जालंधर में नेहरू पार्क के रूप में भी जाना जाता है। परिवारों और दोस्तों के यहां पिकनिक मनाने का आनंद ही कुछ और है। इसमें एक पुस्तकालय, क्लॉक टॉवर और महात्मा गांधी की प्रतिमा भी शामिल है। इस बाग में लगे सुगन्धित फूल पर्यटकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करते हैं। हरी-भरी वनस्पतियों से युक्त इस बाग के बुनियादी ढांचे में सुधार किया गया है और बच्चों के खेलने की व्यवस्था के साथ-साथ बैठने की व्यवस्था और पीने के पानी की सुविधा का भी ध्यान रखा गया है।
इस बाग में महात्मा गांधी की प्रतिमा को सफेद पत्थर से बनाया गया है और जबकि इंजीनियरिंग उत्कृष्टता का एक शानदार उदाहरण क्लॉक टॉवर भी यहां स्थित है।
पुष्प गुजराल साइंस सिटी
इस जगह पर सरकार द्वारा 3डी शो, लेज़र शो और तारामंडल शो दिखाया जाता है। यहां बच्चों के लिए बोटिंग की व्यवस्था भी की गई है। जालंधर-कपूरथला रोड़ पर स्थित यह स्थान कुल 72 एकड़ में फैला हुआ है। ये जगह सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए एक बढिया स्थान है। यहां डायनासोर का 18-फुट ऊंचा मॉडल और जीएसएलवी मिसाइल आगंतुको को आकर्षित करता है। इस साइंस सिटी में एक कृत्रिम झील भी है जहां पर नौका-विहार का मज़ा ले सकते हैं।
निक्कू पार्क
आपके पूरे परिवार के लिए ये पार्क फुल एंटरटेनमेंट पार्क है। बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए इस पार्क में काफी कुछ है। इस जगह की शांति और खूबसूरती पर्यटकों को सबसे ज्यादा आकर्षित करती है। यहां पर पशु और पक्षियों की कई प्रजातियां आपको देखने को मिल जाएंगी। बच्चें यहां एडवेंचर का खूब मज़ा ले सकते हैं और यहां खाने की भी कई स्टॉल लगी हुई हैं। निक्कू पार्क में एक फाउंटेन भी है जिसके पास बैठकर आप इस सुंदर जगह को निहार सकते हैं।
वंडरलैंड थीम पार्क
बचपन में आपने भी झूले झूलने का बहुत मज़ा लिया होगा। इस थीम पार्क में आप एक बार फिर से अपने बचपन का मज़ा ले सकते हैं। जालंधर में नकोदार रोड़ पर स्थित इस वंडरलैंड थीम पार्क में हॉरर हाउस, साइड स्पलैश, कराउसल, पैराट्रूपर, रैंबो ट्रेन, बंपर कार, बोटिंग और हिल क्वीन ट्रेन का मज़ा ले सकते हैं।
इस थीम पार्क में वॉटर स्पोर्ट्स का भी लुत्फ उठा सकते हैं। यहां वेव पूल, बेसाइड, वॉटरफॉल, इंडोर एक्वा डांस, एक्टिविटी पूल है। बर्थ डे पार्टी और अन्य समारोह के लिए भी यहां व्यवस्था की जाती है।