पूर्वी सिक्किम जिले में स्थित सिंगतम एक छोटा-सा शहर है। गंगटोक और सिलीगुड़ी से बस या जीप यहां आ सकते हैं। गंगटोक में रहने की अच्छी सुविधाएं उपलब्ध हैं यहां के होटलों में विश्व स्तरीय सुविधाएं दी जाती हैं। सिंगतम में सरकारी फल संरक्षण कारखाना भी है।
सिंगतम में घूमने के लिए सबसे पहले बेरमिओक मठ का नाम आता है जिसे 1952 में बनवाया गया था। जोंगू घाटी में संतरे के कई पेड़ हैं और इसका शांत और सुंदर वातावरण भी आपको मंत्रमुग्ध कर देगी।
इस जगह पर प्रदूषण का नामो-निशान तक नहीं है। पहले यहां पर आना काफी मुश्किल हुआ करता था लेकिन अब परिवहन की बेहतर सुविधाएं यहां उपलब्ध हैं। पुराने समय में सिर्फ ओनी लेपछा द्वारा यहां आया जा सकता था। हरे-भरे जंगलों और नदियों को देखकर पर्यटकों का मन खुशी से झूम उठता है। सिंगतम सिकिम्म राज्य से 30 किमी दूर है।
सिंगतम पहुंचने का सही समय
खूबसूरत पहाडियों और घाटियों का मनोरम नज़ारा देखने के लिए सर्दी का मौसम सबसे बेहतर रहता है इसलिए सिंगतम में आपको ठंड के मौसम में आना चाहिए। इस दौरान धूप भी अच्छी लगती है और आसमान भी साफ रहता है। दिसंबर से फरवरी के बीच सिंगतम का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है।
कैसे पहुंचे
वायु मार्ग द्वारा: निकटतम हवाई अड्डा पश्चिम बंगाल में बगडोगरा एयरपोर्ट है। हालांकि, यह 124 किमी की दूरी पर है जहाँ से कोलकाता, दिल्ली और गुवाहाटी के लिए उड़ानें भरी जाती हैं। हेलिकोप्टर के ज़रि हवाई अड्डे और गंगटोक के बीच संबंध स्थापित है। एयरपोर्ट से गंगटोक पहुंचने के लिए हेलिकोप्टर लेना पड़ता है।
रेल मार्ग द्वारा: इसके निकट दो रेलवे स्टेशन सिलीगुड़ी (114 किमी) और न्यू जलपाईगुड़ी (125 किमी) हैं जो लखनऊ, कोलकाता, दिल्ली, गुवाहाटी और भारत के अन्य महत्वपूर्ण शहरों से जुड़े हुए हैं।
तो चलिए अब बात करते हैं सिंगतम के दर्शनीय और खूबसूरत स्थलों के बारे में।
बेरमिओक मठ
दक्षिण में बरमिओक गांव में पवित्र बौद्ध मंदिर स्थित है। दो बार भूकंप से क्षतिग्रस्त हुए इस मठ को सरकार की सहायता से पुनर्निमित किया गया था। यहां नवंबर से मई के बीच में सबसे ज्यादा पर्यटक आते हैं। ये सिंगतम से लगभग 45 किमी दूर है। यहां पर कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं।
जोंगू घाटी टूर
पर्यटक स्थल के रूप में ये घाटी काफी लोकप्रिय होती जा रही है। ये कंचनजंगा और सिनिओलछू पर्वत के मध्य में स्थित है। यहां पर कार्डिनल नदियां तीस्ता और टोलुंग बहती हैं। इस घाटी का निर्माण हिमालय से निकलने वाली नदियों द्वारा द्वारा हुआ है जो ग्लेशियरों से निकलकर तेजी से बहती हैं। गंगटोक से 70 किमी उत्तर में सिंगतम रोड़ के ज़रिए आप इस घाटी पर आ सकते हैं।
तीस्ता नदी
यह नदी तीन दिशाओं में बहती थी: पूर्व में करतोया, पश्चिम में पुर्नभाबा और केंद्र में अतरई। शायद इसीलिए इसका नाम 'तीस्ता' रखा गया है जिसे 'त्रिस्रोत' शब्द से लिया गया है और इसका अर्थ है 'तीन धाराएं।' दुर्भाग्यवश, 1787 में बाढ़ की चपेट में आने के कारण अब इस नदी का प्रवाह पहले जैसा नहीं रहा है।
तीस्ता और रंगित नदी के संगम बिंदु पर सफेद रंग की रेत रहती है जिसका इस्तेमाल निर्माण उद्योग द्वारा किया जाता है। तीस्ता नदी के सफेद पानी में राफ्टिंग का मज़ा ले सकते हैं। सिलिगुड़ी-गंगटोक नेशनल हाईवे के जंक्शन पर नदी के दाएं तट पर तीस्ता बाजार में खरीदारी का लुत्फ भी उठा सकते हैं। यहां पर स्थानीय व्यंजन, लैंटर्नस, सिल्वर ज्वैलरी, क्रॉकरी और हाथ से बनी पेंटिंग मिलती हैं।
भूजल के अत्यधिक उपयोग के कारण ये स्थान निर्जलित हो चुका है, लेकिन आज भी ये कई किसानों, नाविकों और मछुआरों के लिए एक वरदान के रूप में कार्य करती है। इस नदी को 'प्रकृति के गौरव' के रूप में जाना जाता है। यहां पेशोके व्यू प्वाइंट भी बहुत मशहूर है जोकि सदाबहार जंगलों से घिरा हुआ है और तीस्ता के जंक्शन पर रंगित से जुड़ा हुआ है। एनएच 17 के माध्यम से सिंगतम से लगभग 4 घंटे में यहां पहुंचा जा सकता है।
कितम पक्षी अभ्यारण्य
इस जगह पर प्रकृति की गोद में पक्षियों की कई प्रजातियां देखने को मिलेंगी। सिक्किम के दक्षिणी हिस्से में स्थित इस जगह पर पक्षियों की 2000 से भी ज्यादा प्रजातियां देखने को मिलती हैं। रंग-बिरंगी तितलियां और वनस्पित की विभिन्न प्रजातियां इस अभ्यारण्य के सौंदर्य को बढ़ा देती हैं।
सल और चिर पाइन के जंगल और रंगित नदी इस जगह की खूबसूरती को बढ़ाने का काम करते हैं। अगर आपको भी पक्षियों को निहारना पसंद है तो ये जगह आपके लिए धरती पर स्वर्ग जैसी है। मोर, ग्रे क्राउंड प्रिनिआ, यैलो वेंटिड वार्बलर, रूफस नेक्ड हॉर्नबिल और चेस्टनट ब्रेस्टेड पैटरिज आदि यहां देख सकते हैं।
रंगित नदी में आप राफ्टिंग और एंगलिंग एक्टिविटीज़ का मज़ा भी ले सकते हैं। रंगित से मनपुर के बीच के तट की सैर भी पर्यटकों को बहुत पसंद आती है। एल्ली खाट एक मंडूक है जिहां से पहाडों का मनोरम नज़ारा देखने को मिलता है। इस जगह पर पर्यटकों की भारी भीड़ रहती है।
सर्दी के मौसम में इस अभ्यारण्य में पक्षियों की प्रजातियों की संख्या बढ़ जाती है। अक्टूबर के बाद से ही यहां पर विदेशी पक्षियों का आना भी शुरु हो जाता है इसलिए ठंड के मौसम में इस अभ्यारण्य की सैर करना सबसे सही रहता है। सिक्किम के सिंगतम गांव से यहां पहुंचने में 1 घंटे 40 मिनट का समय लगता है।