महाराष्ट्र में झरनों, झीलों और समुद्रतटों से लेकर खूबसूरत पहाड़ आदि सब कुछ मिल जाएंगें। इस जगह पर ट्रैकिंग के लिए कई प्राकृतिक जगहें हैं। मुंबई और पुणे के लोगों के बीच ट्रैकिंग के लिए सबसे ज्यादा लोकप्रिय है हरीशचंद्रगढ़।
4674 फीट की ऊंचाई पर स्थित हरीशचंद्रगढ़ एक शानदार पहाड़ी किला है,जिसका निर्माण छठीं शताब्दी में हुआ था। इस किले को कल्चरी राजवंश के शासनकाल में बनवाया गया था जिस पर बाद में 1747 ईस्वीं में मुगलों ने अपना अधिकार जमा लिया था। इस किले के उच्च स्थान से सैलानी आसपास के मनोहर नजारों को निहार सकते हैं।
बचपन की याद दिलाते जगमग जगमग करते जुगनू
हरीशचंद्रगढ़ में तीन प्रमुख चोटियां रोहिदास, हरीशचंद्र और तारामती हैं। इन सबमें से तारामती चोटी सबसे ऊंची है और ट्रैकर्स के बीच ये जगह बहुत लोकप्रिय है। इस चोटी से कोंकण क्षेत्र का खूबसूरत नज़ारा दिखाई देता है।
हरीशचंद्रगढ़ आने का सही समय
मॉनसून के बाद अक्टूबर से दिसंबर तक हरीशचंद्रगढ़ आना सही रहता है। इस समय हरियाली से भरी ये जगह काफी खूबसूरत लगती है।
मॉनसून के महीने जून से अक्टूबर तक इस पहाड़ी किले से मनोरम दृश्य दिखाई देता है लेकिन इस मौसम में ट्रैकिंग करना काफी मुश्किल और खतरनाक होता है।PC:Tokendra
मुंबई से हरीशचंद्रगढ़ का रूट
पहला रूट : छेद्दा नगर - पूर्वी एक्सप्रेस राजमार्ग - एनएच 160 - एमएच एसएच 44 - रतनगढ़ - राजूर - हरीश्चंद्रगढ़ (185 किमी - 4 घंटे 45 मिनट)
दूसरा रूट : छेद्दा नगर - एनएच 160 - मोगारे रोड़ - घोटी-शिर्डी रोड़ - भंडारदारा-घोटी रोड़ - रतनगढ़ - राजूर - हरिश्चंद्रगढ़ (231 किमी - 4 घंटे 52 मिनट)
तीसरा रूट : छेद्दा नगर - एनएच 61 - ओटुर में महाराष्ट्र एसएच 46 - हरिश्चंद्रगढ़ (223 किमी - 5 घंटे 30 मिनट)
हरीशचंद्रगढ़ के रास्ते में इन जगहों को देख सकते हैं -:
ठाणे
सुबह जल्दी निकलें। मुंबई से 25 किमी दूर है थाणे।ठाणे में मालेदार मिसल पर लोकप्रिय मसालेदार मिसल पाव खा सकते हैं। महराष्ट्र की इस डिश को खाए बिना आप आगे नहीं बढ़ सकते।
इस शहर को इसकी खूबसूरत झीलों के लिए जाना जाता है। इस शहर में लगभग 33 झीलें हैं। यहां कह उपवन झील देखना ना भूलें।
PC: Masooma colombowala
असनगांव में महोली किला
हरीशचंद्र ट्रैकिंग के लिए लोकप्रिय है और इसके बाद ट्रैकर्स को महुली किला भी बहुत पसंद है। महुली किला थाणे से 56 किमी दूर है और यहां मुंबई, थाणे और कल्याण से एडवेंचर लवर्स आते रहते हैं।
इस जगह दो या तीन पर्वत भी हैं। मुगलों द्वारा बनाया गया महुली किला अब नष्ट हो चुका है। ये किला महाराष्ट्र के थाणे जिले में सबसे ऊंचे प्वाइंट पर आता है।PC: Sanmukh.putran
इगतुपरी
असनगांव से 58 किमी दूर है महाराष्ट्र का छोटा सा हिल स्टेशन इगतपुरी। इगतपुरी में कई चोटियां, व्यूप्वाइंट और प्राकृतिक संसाधन हैं जहां आप घूम सकते हैं।
इगतपुरी में कैमल घाटी, भट्सा रिवर घाटी, त्रिंगलवाड़ी किला आदि पर्यटकों के बीच ज्यादा लोकप्रिय है। यहां कुछ जगहों जैसे बितानगढ़ ट्रैक और कुलनगढ़ ट्रैक पर ट्रैकिंग का मज़ा ले सकते हैं।PC: Jsdevgan
भंडारदरा
खूबसूरत झरनों, घने जंगलों, झीलों, बांधों और प्रकृति से घिरा सुंदर हिल स्टेशन है भंडारदरा इगतुपरी से 70 किमी दूर स्थित है। भंडारदरा में सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थल हैं विल्सन बांध, आर्थुर झील, रतनगढ़ किला, अंब्रेना झरना, अमृतेश्वर मंदिर आदि।PC:Elroy Serrao
हरीशचंद्र किले और ट्रैक के बारे में पढ़ें।
हरीशचंद्रगढ़ किला
भंडारदरा से 50 किमी की दूरी पर स्थित है महाराष्ट्र का प्राचीन पहाड़ी किला हरीशचंद्रगढ़। जैसे कि हमने पहले भी बताया यहां रोहिदास, हरीशचंद्र और तारामती की तीन चोटियां सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं और मालशेज घाट नानेघाट ट्रैकिंग के लिए लोकप्रिय है।
हरीशचंद्रगढ़ किला गुफाओं, मंदिरों और तालाबों से घिरा है। इनके बारे में जानने के लिए आगे पढ़ें।
इस किले तक पहुंचने के लिए इन अलग-अलग रूटों से जाया जा सकता है।PC:Cj.samson
पचनई से ट्रैक
किले तक पहुंचने के लिए तीन मुख्य ट्रैकिंग रास्ते हैं। इस सफर की शुरुआत पचनई से होती है। किले तक पहुंचने में 3 घंटे का समय लगता है और वापसी में भी लगभग इतना ही समय लगता है।
अपने साथ खाना भी लेकर जाएं ताकि पहाड़ी की चोटी पर पहुंचकर आप आराम से खा सकें। इस ट्रैक में पूरा दिन लगेगा और शुरुआती ट्रैकर्स के लिए ये जगह सबसे उत्तम ट्रेक मानी जाती है।PC:Dinesh Valke
खीरेश्वर गांव से ट्रैक
इस रास्ते में खीरेश्वर गांव में बेस कैंप लगाया जाता है। इस एक दिन के ट्रैक में आने में 4 घंटे और जाने में 4 घंटे का समय लगता है। ये रास्ता ज्यादा मुश्किल नहीं है। इस रास्ते में आप इस पूरे क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य और खूबसूरत नज़ारों को भी देख सकते हैं।
नलिची वाट से ट्रैक
इन तीनों रास्तों में से सबसे मुश्किल है नालिची वाट। इस ट्रैक में दो दिन और एक पूरी रात लगती है। रात को पहाड़ी की चोटी पर नाइट कैंप लगाना होता है। इस रूट पर ट्रैकिंग आपको सुबह जल्दी 6 बजे शुरु करनी पड़ेगी। तब कहीं जाकर शाम 4 बजे आप पहाड़ी की चोटी पर पहुंच पाएंगें। बीच में नली नदी के पास रूक सकते हैं।
इस रास्ते में बेलपाड़ा गांव में बेस कैंप लगाना होता है और इसका आखिरी बिंदु कोंकण कड़ा है। यहां से कोंकण का खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है। इस जगह से सूर्योदय का नज़ारा आप कभी नहीं भूल पाएंगें।
इस पहाड़ी किले की ट्रैकिंग के रास्ते में इन जगहों को देख सकते हैं :PC: VinayakPhadatare
हरीशचंद्रेश्वर मंदिर
किले तक पहुंचने के बाद आप हरीशचंद्रेश्वर मंदिर भी जा सकते हैं। पत्थरों से बनी ये खूबसूरत संरचना उत्कृष्ट नमूना है। इस मंदिर में चारों दिशाओं से प्रवेश किया जा सकता है। इसके मुख्य द्वार को चेहरे की मूर्ति से सजाया गया है। माना जाता है कि ये चेहरा मंदिर के रक्षक का है। इस मंदिर की शिल्पकला दक्षिण भारत के मंदिरों से मिलती है।PC:rohit gowaikar
केदारेश्वर गुफा
मंदिर के साथ ही स्थित है केदारेश्वर गुफा जोकि काफी दिलचस्प स्थल है। इस विशाल गुफा में 5 फीट लंबा शिवलिंग स्थित है। यहां पर भगवान शिव के आसपास केवल पानी है। पानी के बहुत ज्यादा ठंडे होने की वजह से शिवलिंग तक पहुंचना मुश्किल है।
इस मूर्ति के चारों ओर स्तंभ जिनके बारे में कहा जाता है कि ये चार युगों के प्रतीक हैं। किवंदती है कि इसमें से चौथे स्तंभ के टूटने पर दुनिया खत्म हो जाएगी।
इसके अलावा हरीशचंद्रगढ़ में कई और गुफाएं भी हैं।
सप्ततीर्थ पुष्करणी
सप्त तीर्थ पुष्करणी एक छोटा सा सुंदर तालाब है जोकि मंदिर के पास ही स्थित है। इस तालाब का पानी हमेशा बर्फ की तरह ठंडा ही रहता है।
हालांकि, व्यवस्था के अभाव में अब तालाब के पानी को पर्यटकों ने प्रदूषित कर दिया है।