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मानसून में खजुराहो की सैर! चारो तरफ हरियाली और आकर्षक नजारा

खजुराहो, मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में एक बहुत ही खास पर्यटन स्थल है, जो पूरे विश्व में अपने प्राचीन धरोहरों और मध्यकालीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। कामसूत्र की रहस्यमई भूमि खजुराहो हजारों सालों से दुनिया भर के पर्यटकों को खासा आकर्षित करती आ रही है, इसके चलते इसने यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में अपना स्थान बनाया है।

मानसून में खजुराहो की सैर

खजुराहो की सैर करने का सही समय वैसे तो अक्टूबर से मार्च तक का है, लेकिन मानसून के दिनों में यहां की सुंदरता देखने लायक बनती है। विंध्‍य पर्वत श्रृंखला की पृष्‍ठभूमि में स्थित खजुराहो मानसून के सीजन और भी हरा-भरा हो जाता है, जो देखने में बेहद खूबसूरत और मनमोहक लगता है। पूरी तरीके से पत्थरों से बना यह मंदिर और इसके आसपास का नजारा बारिश के दिनों में मानिए ऐसा लगता है जैसे कि किसी स्वप्न की तलाश में किसी पहाड़ी पर पहुंचकर कोई साम्राज्य मिल गया हो और ठहर कर बस यही विश्राम कर लिया जाए।

khajuraho temple

हिंदू व जैन मंदिरों का संग्रह है खजुराहो

खजुराहो मंदिर मूल रूप से हिंदू और जैन मंदिरों का एक संग्रह है, जिनका निर्माण चंदेल वंश के राजाओं द्वारा करीब 1000 से 1100 साल पहले करवाया गया था। खजुराहो के पर्यटन में सबसे प्रमुख यहां का मंदिर है, जहां पत्‍थरों पर खुदाई करके बलुआ पत्‍थर से मूर्तियों को तैयार किया गया था, जो आज भी पूरी दुनिया में विख्‍यात है। अनूठी स्थापत्य कला को प्रमाणित करती हुई ये मूर्तियां देखने में वाकई खास लगती है।

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खजुराहो का आकर्षण 'खजुराहो नृत्य महोत्सव'

खजुराहो पर्यटन को खास पहचान यहां के मंदिरों ने दिलाई है, जो प्यार के कई रूपों को दर्शाती है। यहां के प्रमुख मंदिरों में चौसठ योगिनी मंदिर, जावेरी मंदिर, देवी जगदम्‍बा मंदिर, विश्‍वनाथ मंदिर, केंद्रीय महादेव मंदिर, लक्ष्‍मण मंदिर शामिल है। इसके अलावा यहां का अन्‍य आकर्षण 'खजुराहो नृत्‍य महोत्‍सव' है, जो हर साल 25 फरवरी से 2 मार्च तक मनाया जाता है। महोत्सव के इस सप्ताह में पूरी दुनिया से पर्यटक आते हैं और इस खास पर्व का हिस्सा बनते हैं।

कामुकता से भरी हुई मूर्तियां

खजुराहों में कुल 85 मंदिरों को बनवाया गया था, जिनमें से आज केवल 22 ही बचे है। खजुराहो का मुख्य आकर्षण यहां के मंदिरों की कामुकता दर्शाती मूर्तियां है, जो पर्यटकों को खासा आकर्षित करती है। इस मंदिर की मूर्तियों की नक्‍काशी में जीवन की भव्‍यता, मनुष्‍य की रचनात्‍मकता और खुशियों को दर्शाया गया है, वास्‍तुकला का अद्भुत नमूना यहां देखने को मिलता है। कामदेव को समर्पित यह मंदिर भारत के सात आश्‍चर्यो में से भी गिना जाता है। इस मंदिर को 1986 में यूनेस्‍को द्वारा विश्‍व विरासत स्‍थल घोषित किया गया था।

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तीन समूहों में बंटा हुआ है खजुराहो का मंदिर

खजुराहो का मंदिर तीन समूहों- पश्चिमी, पूर्वी और दक्षिणी समूह में वर्गीकृत है। पश्चिमी समूह का मंदिर पूरी तरह से हिंदूओं का मंदिर है। इस मंदिर में खजुराहो की सबसे बेहतरीन वास्‍तुशिल्‍प की कारीगरी को देखा जा सकता है। इस समूह का सबसे बड़ा मंदिर केंद्रीय महादेव मंदिर है, जो खजुराहो का सबसे भव्‍य मंदिर है।

खजुराहो के पूर्वी समूह में हिंदू और जैन मंदिर स्थित है। यह मंदिर, पश्चिमी मंदिरों की तरह नक्‍काशीदार नहीं है, लेकिन इनका वैभव और आकर्षण लोगों को आकर्षित करता है। इस समूह का सबसे बड़ा मंदिर पार्श्‍वनाथ जैन मंदिर है। पश्चिमी समूह में दो मंदिर धुलादेव मंदिर और चर्तुभुज मंदिर स्थित है। इन मंदिरों की मूर्तियों में वास्‍तुशिल्‍प की थोड़ी कमी देखी जा सकती है, इसे और भी बेहतरीन बनाई जा सकती है।

कैसे पहुंचे खजुराहो

खजुराहो पहुंचने के लिए यहां का नजदीकी एयरपोर्ट खजुराहो एयरपोर्ट है, जो यहां से करीब 4-5 किमी. की दूरी पर स्थित है। वहीं, यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन भी यही खजुराहो में ही स्थित है।

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