हिमाचल अपनी खूबसूरती, बर्फ से ढके ऊंचे पहाड़ व हरे-भरे मैदानों के लिए जाना जाता है। यहां कई ऐसी झीले है, जो न चाहते हुए पर्यटकों का ध्यान आकर्षित कर ही लेती है। इनमें से ही एक सुप्रसिद्ध झील की बात हम करने जा रहे हैं, जो चारों ओर से खूबसूरत पर्वतों से ढकी हुई है। जी हां, हम बात कर रहे हैं, पराशर झील की। यहां का सुंदर नजारा व झील के बीच में स्थित टापू इसे और भी खूबसूरत बनाते हैं। ये झील काफी गहरी है, जिसका अंदाजा आज तक कोई नहीं लगा पाया। अधिकांश समय ये बर्फ के कारण जमी हुई रहती है और यहां का पानी भी सफेद क्रिस्टल की तरह एकदम साफ नजर आता है।
ऋषि पराशर के नाम पर पड़ा इस झील का नाम
ये जगह ऋषि पराशर की तपोस्थली भी कही जाती है, इसी के चलते इसका नाम पराशर झील पड़ा। ऋषि पराशर मनुशक्ति के पुत्र व ऋषि वशिष्ठ के पोते थें। हर साल यहां पर आषाढ़ मास की संक्रांति व भादो के कृष्ण पक्ष की पंचमी को विशाल मेलों का आयोजन किया जाता है, जिसमें दूर-दूर से आए काफी श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। इन मेलो का आयोजन ऋषि पराशर के जन्मोत्सव के अवसर पर किया जाता है। इस झील के पास ही पैगोडा शैली में एक तिमंजिला मंदिर भी बना हुआ है, जो सालों पुराना है।
पराशर झील की खासियत
इस झील के बीच में तैरता हुआ टापू इसकी सुंदरता और बढ़ा देती है। ये टापू इस झील में कभी इधर तो कभी उधर तैरता रहता है। इस झील की गहराई को आज तक कोई नाप नहीं सका। आधुनिक युग होने के बाद भी ये एक आश्चर्य से कम नहीं है।
पराशर झील ट्रेक
पराशर ट्रेक हिमाचल की खास ट्रेकों में से एक है। 16 किलोमीटर लंबे इस ट्रेक को पूरा करने में दो दिन का समय लगता है, जो बग्गी गांव से शुरू होता है। यहां से आप घने जंगलोंं, हिमालयी पर्वतों, घास के मैदानों से होते हुए गुजरेंगेे, जहांं आपको प्रकृति को बेहद करीब से जानने का मौका मिलेगा। गर्मी के मौसम में तो यहां ट्रेक करने में कोई दिक्कत नहीं होती लेकिन सर्दी के मौसम में यहां ट्रेकिंग करना बेहद मुश्किल हो जाता है। क्योंकि, सर्दी में यहां हर बर्फ जम जाती है, जिससे यहां के रास्तों पर काफी फिसलन हो जाती है। झील के पास पहुंचने पर आपको कुछ नाश्ता करने के लिए दुकान भी मिल जाएंगी। यहां आप रात में टेंट लगाकर प्राकृतिक मौसम व टिमटिमाते तारों को निहार सकते हैं और उसका आनंद ले सकते हैं।
फिर सुबह उठकर सोने जैसी चमकती पहाड़ों को निहारे और नाश्ता करके वापसी कर सकते हैं। नहीं तो यहां से कुछ ही दूरी पर स्थित देवनाल मंदिर, त्रिलोनकंठ मंदिर व ट्रोकाडा माता मंदिर व आर्य समाज मंदिर भी है, जहां आप दर्शन कर सकते हैं।
पराशर झील जाने का सही समय
यहां जाने का सबसे अच्छा समय मार्च से लेकर जून तक और सितंबर से लेकर नवंबर तक का है। क्योंकि, बारिश के दिनों में यहां फिसलन काफी बढ़ जाती है। इसके अलावा दिसंबर से लेकर फरवरी तक यहां चारों बर्फ की चादर बिछी रहती है, जिस कारण इस समय ट्रेक कर पाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
कैसे पहुंचे पराशर झील
यहां पहुंचने के लिए हवाई, रेल व सड़क तीनों मार्ग उपलब्ध है। यहां का नजदीकी हवाई अड्डा भुंतर में स्थित है, जो पराशर झील से 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां सबसे पास में स्थित बस स्टेशन मंडी में है, जो झील से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। वहीं, रेलवे स्टेशन की बात की जाए तो यहां का करीबी रेलवे स्टेशन पठानकोट में है, जो यहां से 240 किलोमीटर दूर स्थित है।