भूल और त्रुटियां करना और उसके बाद क्षमा मांगना मानव का स्वाभाव है। विश्व के प्राचीनतम धर्म कहे जाने वाले हिन्दू धर्म के अनुसार, यदि आपको आपने द्वारा किये गए पापों का प्रायश्चित करना हो या फिर इस संसार की मोह माया को त्याग कर मोक्ष की प्राप्ति करनी हो, तो ऐसे में आपको किसी तीर्थ स्थल की यात्रा करनी ही होगी बात अगर आज के समय और वर्त्तमान समाज की करें तो मोक्ष और किये गए पापों का प्रायश्चित करने के लिए कई लोग ऐसे हैं जो इन तीर्थ स्थानों का भ्रमण करते हैं और वहां जाकर शुद्ध होते हैं। ऐसे में ये कहा जा सकता है कि तीर्थों का हमारे दैनिक जीवन पर एक विशेष महत्त्व है और इनके बिना काफी हद तक हमारा जीवन अधूरा है।
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भारत जितना सुन्दर है उसके तीर्थ उतने ही अद्भुत हैं। यहां कई तीर्थ बर्फीली चोटियों और ऊंचाइयों में हैं तो वहीँ दूसरी तरफ कई महत्त्वपूर्ण तीर्थ सुदूर दक्षिण भारत में हैं। यानी आप चाहें उत्तर में हों या दक्षिण में आपको विविधता भरे तीर्थ अवश्य मिलेंगे। इसी क्रम में आज हम आपको बताएंगे मध्य प्रदेश के अंतर्गत आने वाले और हिन्दू धर्म के महत्त्वपूर्ण और प्राचीनतम तीर्थ उज्जैन के बारे में। उज्जैन को महाकाल की नगरी के नाम से भी जाना जाता है।
उज्जैन - प्रमुख ज्योर्तिलिंग और एक आध्यात्मिक हब
मध्य प्रदेश का उज्जैन एक प्राचीनतम शहर है जो शिप्रा नदी के किनारे स्थित है और शिवरात्रि, कुंभ और अर्ध कुंभ जैसे प्रमुख मेलों के लिए प्रसिद्ध है। प्राचीनकाल में इस शहर को उज्जयिनी के नाम से भी जाना जाता है "उज्जयिनी" का अर्थ होता है एक गौरवशाली विजेता। उज्जैन धार्मिक गतिविधियों का केंद्र है और मुख्य रूप से अपने प्रसिद्ध प्राचीन मंदिरों के लिए देशभर के पर्यटकों को आकर्षित करता है।
उज्जैन से जुड़ी पौराणिक गाथा
इस शहर से अनेक पौराणिक कथाएँ जुड़ी हैं। एक समय उज्जैन में अशोका और विक्रमादित्य जैसे शासकों का शासन था। प्रसिद्ध कवि कालिदास ने भी इस जगह पर अपनी कविताएँ लिखी थी। वेदों में भी उज्जैन का उल्लेख किया गया है और ऐसा माना जाता है कि स्कंद पुराण के दो भाग इसी जगह पर लिखे गए थे। महाभारत में उज्जैन का उल्लेख अवंती राज्य की राजधानी के रूप में किया गया है। इस शहर को शिव की भूमि तथा हिंदुओं के सात पवित्र शहरों में से एक माना जाता है। यह शहर अशोक, वराहमिहिर और ब्रह्मगुप्त जैसी प्रसिद्ध हस्तियों से जुड़ा है।
उज्जैन के प्रमुख मंदिर
महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। भगवान शिव का यह मंदिरभारत में 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर पाँच स्तरों में विभाजित है जिनमें गणेश, ओंकारेश्वर शिव, पार्वती, कार्तिकेय और नंदी तथा शिव के बैल की मूर्तियों को शामिल किया है। इसके अलावा आने वाले पर्यटकों को चिंतामणि गणेश मंदिर, बड़े गणेश जी का मंदिर, हरसिद्धि मंदिर, विक्रम कीर्ति मंदिर, गोपाल मंदिर तथा नवग्रह मंदिर जैस कुछ प्रमुख मंदिरों की भी यात्रा करनी चाहिए।
आइये अधिक जाने उज्जैन के इन प्रमुख मंदिरों के बारे में।
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महाकालेश्वर मंदिर
महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन के पवित्र शहर में हिंदुओं के सबसे शुभ मंदिरों में से एक माना जाता है। यह मंदिर एक झील के पास स्थित है। इस मंदिर में विशाल दीवारों से घिरा हुआ एक बड़ा आंगन है। इस मंदिर के अंदर पाँच स्तर हैं और इनमें से एक स्तर भूमिगत है। दक्षिणमूर्ति महाकालेश्वर की मूर्ति को दिया गया नाम है तथा इसमें देवता का मुख दक्षिण की ओर है। स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है कि भगवान को एकबार चढ़ाया हुआ प्रसाद फिर से चढ़ाया जा सकता है तथा यह विशेषता केवल इसी मंदिर में देखी जा सकती है।
चिंतामण गणेश मंदिर
चिंतामण गणेश मंदिर, उज्जैन के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है। भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने के लिए अनेक भक्त प्रतिदिन इस मंदिर में आते हैं। चिंतामण एक प्राचीन हिंदु शब्द है जिसका अर्थ है 'चिंता से राहत'।भक्तों की ऐसी मान्यता है कि गणेश भगवान दुख के समय उनके पास आने वाले प्रत्येक भक्त को राहत प्रदान करते हैं। स्थानीय लोगों का ऐसा मानना है कि इस मंदिर में स्थित भगवान गणेश की मूर्ति स्वयंभू है। उनके दोनों ओर रिद्धि और सिद्धि विराजमान है जैसे कि वे उनकी पत्नियाँ हैं।
काल भैरव मंदिर
उज्जैन के मंदिरों के शहर में स्थित काल भैरव मंदिर प्राचीन हिंदू संस्कृति का बेहतरीन उदाहरण है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर तंत्र के पंथ से जुड़ा है। काल भैरव भगवान शिव की भयंकर अभिव्यक्तियों में से एक माना जाता है। सैकड़ों भक्त इस मंदिर में हररोज़ आते हैं और आसानी से मंदिर परिसर के चारों ओर राख लिप्त शरीर वाले साधु देखें जा सकते हैं। मंदिर परिसर में एक बरगद का पेड़ है और इस पेड़ के नीचे एक शिवलिंग है। यह शिवलिंग नंदी बैल की मूर्ति के एकदम सामने स्थित है। इस मंदिर के साथ अनेक मिथक जुड़े हैं। भक्तों का ऐसा विश्वास हैं कि दिल से कुछ भी इच्छा करने पर हमेशा पूरी होती है।
हरसिद्धि मंदिर
हरसिद्धि मंदिर उज्जैन के मंदिरों के शहर में एक महत्वपूर्ण मंदिर है। यह मंदिर देवी अन्नपूर्णा को समर्पित है जो गहरे सिंदूरी रंग में रंगी है। देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति देवी महालक्ष्मी और देवी सरस्वती की मूर्तियों के बीच विराजमान है। श्रीयंत्र शक्ति की शक्ति का प्रतीक है और श्रीयंत्र भी इस मंदिर में प्रतिष्ठित है। इस जगह का पुराणों में बहुत महत्व है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि जब भगवान शिव सती के शरीर को ले जा रहे थे, तब उसकी कोहनी इस जगह पर गिरी थी।
इस्कॉन राधा कृष्ण मंदिर
यदि आप उज्जैन ही यात्रा पर है तो आप इस्कॉन राधा कृष्ण मंदिर अवश्य जाएं। ये मंदिर वर्त्तमान कला का एक बेहद सुन्दर नमूना है और अन्य इस्कॉन मंदिरों की ही तरह आपको यहां भी हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्णा, हरे हरे का जाप होते सुनाई देगा और इसको सुनने के बाद आप अपनी सभी दुविधाओं सभी टेंशनों को भूल जाएंगे।