भौगोलिक व जलवायु की दृष्टि से भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जिन्हें सैलानी अपनी यात्रा डायरी का हिस्सा बनाना नहीं भूलते। सुदूर उत्तर से दक्षिण तक फैली घाटियां, घने जंगल, पहाड़ों को छू कर आते बादलों के मनमोहक दृश्यों का लुफ्त उठाने, पर्यटक खिचें चले आते हैं। भारतीय भूमि का हर एक कोना अपनी प्राकृतिक धरोहरों के लिए विश्व विख्यात है। इसलिए दूर-दराज के आए ट्रेवलर्स, प्रकृति प्रेमी अपनी आंतरिक इच्छाओं को तृप्त करने के लिए भारत को सबसे अच्छा विकल्प मानते हैं।
'नेटिव प्लानेट' के विशेष खंड में हमारे साथ जानिए, प्राकृतिक खूबसूरती से लबरेज भारत की उन छिपी हुई जगहों के बारे में, जिनके विषय में कम ही ट्रेवलर्स जानते हैं। जानिए कुछ खास जो आपकी यात्रा को बना दे सदा-सदा के लिए अमर...
मिरिक, पश्चिम बंगाल
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प्राकृतिक खूबसूरती से लबरेज मिरिक, पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में स्थित एक छोटा सा कस्बा है। पिछले कुछ वर्षों में यह स्थल सैलानियों के मुख्य आकर्षण का केंद्र बन गया है। यहां आना पर्यटक ज्यादा पसंद करते हैं जिसकी बड़ी वजह है शहर की भीड़-भाड़ से अलग शांत वातावरण। हिमालय की वादियों खूबसूरती की छटा बिखेर रहा यह पर्यटक स्थल आपकी यात्रा डायरी का अहम हिस्सा बन सकता है। मिरिक की भौगोलिक स्थिति की बात करें तो यह समुद्र तल से 4905 फुट की उंचाई पर स्थित है जो चाय की ढालदार पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यहां की वनस्पति, झीलें इस स्थल को बंगाल का स्वर्ग बनाती हैं। आप यहां कि मौजूद मानव निर्मित झील (सुमेंदू लेक) में मछलियों के अद्भुत दृश्यों का आनंद उठा सकते हैं।
इस तरह पहुंचे
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मिरिक की प्राकृतिक खूबसूरती का आनंद लेने के लिए आप यहां सर्दियों के मौसम में आ सकते हैं। यहां तक पहुंचना बहुत ही आसान है। आप यहां सड़क,रेल व हवाई मार्ग से भी पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा बागडोगरा है। रेल मार्गे के लिए यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी है। अगर आप सड़क मार्ग से यहां आना चाहते हैं तो आपको सिलीगुड़ी से 2 घंटे का सफर तय करना होगा।
गोकर्ण, कर्नाटक
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दक्षिण भारत के कर्नाटक में स्थित गोकर्ण अपने खूबसूरत समुद्री तटों के लिए जाना जाता है। प्राकृतिक खूबसूरती का लुफ्त उठाने के लिए यहां सैलानी का आवागमन लगा रहता है। यह स्थल धार्मिक लिहाज से काफी ज्यादा मायने रखता है। यहां मौजूद ऐतिहासिक मंदिरों से हिन्दू धर्म के लोगों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। मान्यता के अनुसार महादेव का जन्म गाय के कान से हुआ था, जिसके चलते इस स्थल का नाम पड़ा 'गोकर्ण'। अगर आप इस स्थल को ध्यान से देखें, तो इसका आकार भी कुछ कान जैसा ही प्रतीत होगा। यह पर्यटक स्थल गंगावली और अघनाशिनी नदी के संगम स्थल पर बसा हुआ है। यहां आकर आप शांत वातावरण का आनंद उठा सकते हैं।
इस तरह पहुंचे
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गोकर्ण तक पहुंचना बेहद आसान है, जिसके लिए आपको ज्यादा मशक्कत करने की जरूरत नहीं। मंगलौर से गोकर्ण की दूरी लगभग 232 किमी है। करवर से यहां तक पहुंचने के लिए आपको 59 किमी तक का सफर तय करना होगा। एनएच-17 के जरिए आप यहां सड़क मार्ग से भी आ सकते हैं। कर्नाटक सड़क मार्ग पणजी और मंगलौर से जुड़ा हुआ है। गोकर्ण का नजदीकी रेलवे स्टेशन गोकर्ण रोड़ है। यहां तक आने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा गोवा स्थित दाबोलीम है।
भारत का इजरायल, कसोल
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हिमाचल प्रदेश का छोटा सा कस्बा कसोल, विदेशियों के मध्य काफी लोकप्रिय है। यहां ज्यादातर इजरायली आना पसंद करते हैं, इसलिए इस कस्बे को भारत का इजरायल भी कहा जाता है। यहां प्रवेश करते ही आपको जगह-जगह टेंट व पर्यटकों की खड़ी बाइकें दिख जाएंगी। बता दें कि यहां बहने वाली पार्वती नदी इस स्थल को बेहद खूबसूरत बनाती है। भले ही यह स्थल शिमला-मनाली के मुकाबले छोटा दिखता हो पर यहां आप खुद को प्रकृति से बेहद करीब पाएंगे। यहां आपको सस्से होटल व लॉज आसानी से मिल जाएंगे। आप चाहें तो आसपास स्थित जगहें जैसे तोष और खीरगंगा की भी सैर कर सकते हैं।
इस तरह पहुंचे
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हिमाचल के इस खूबसूरत स्थल तक पहुंचने के लिए आपको कुल्लू से 42 किमी की दूरी तक का सफर तय करना होगा। कसोल तक पहुंचने का सबसे आसान मार्ग सड़क है। अगर आप हवाई रास्ते के सहारे यहां पहुंचना चाहते हैं तो यहां का नजदीकी हवाई अड्डा कुल्लू मनाली में स्थित है। जहां से आप बस या टैक्सी के माध्यम से कसोल तक पहुंच सकते हैं।
खोनोमा, नागालैंड
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कोहिमा से 20 किमी की दूरी पर स्थित खोनोमा को भारत के सबसे हरे-भरे गांव का दर्जा प्राप्त है। हसीन वादियों, पहाड़ों व झरनों के साथ विभिन्न वनस्पतियां इस स्थल को एक जीवंत रूप प्रदान करती हैं। यहां आप रंग-बिरंगे पक्षियों के मनोरम दृश्यों को अपनी आंखों में समेट सकते हैं। आप यहां खोनोमा नेचर कंजर्वेशन व ट्रैगोपान सैंक्चुअरी की सैर का आनंद भी उठा सकते हैं। 30 वर्ग किमी में फैला खोनोमा नेचर कंजर्वेशन, विभिन्न तरह के पक्षियों के सरंक्षण के लिए विख्यात है।
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यहां के खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों का आनंद उठाने के लिए आप यहां सितंबर से फरवरी के मध्य का प्लान बना सकते हैं। सड़क मार्ग से यहां प्रवेश करना बेहद आसान है, जिसके लिए आपको एनएच 61 का सहारा लेना पड़ेगा। इस तरह आप कोहिमा से खोनोमा का सफर मात्र 20 किमी में पूरा कर सकते हैं।
जंजैहली घाटी, हिमाचल प्रदेश
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कुल्लू मनाली के अलावा आप हिमाचल के मंडी जिले स्थित जंजैहली घाटी की सैर का आनंद उठा सकते हैं। यह स्थल समय के साथ-साथ पर्यटकों के मध्य काफी लोकप्रिय होता जा रहा है। यहां देश-विदेश से आए सैलानियों को प्रकृति की गोद में आराम फरमाते देखा जा सकता है। अपनी यात्रा में नया जोश भरने के लिए आप यहां आसपास स्थित घाटी के मनोरम दृश्यों का आनंद उठा सकते हैं। यहां चैलचौक, थुनाग, कांढ़ा व बगस्याड आपके लिए बेस्ट व्यू स्पोर्ट्स हो सकते हैं।
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यहां तक पहुंचने के लिए सड़क मार्ग ज्यादा सुविधाजनक है। आप चंडीगढ़-मनाली एनएच-21 के सहारे सुंदरनगर या मंडी पहुंच सकते हैं, जहां से आगे जंजैहली के लिए आप बस या टैक्सी ले सकते हैं। वैसे यहां घूमने के लिए गर्मी का मौसम ज्यादा बेस्ट माना जाता है, लेकिन बर्फ से ढकी पहाड़ियों की खूबसूरती देखने के लिए पर्यटक सीमाओं की परवाह नहीं करते। अच्छा होगा आप पूरी जानकारी के साथ यहां प्रवेश करें।