केरल के सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिर में वाईकॉम महादेव मंदिर का नाम भी आता है। भगवान शिव को समर्पित यह भव्य मंदिर अन्य दो शिव मंदिरों (एट्टुमानूर शिव मंदिर और कदुथुरुथी थालीयल महादेव मंदिर) के साथ राज्य की धार्मिक शोभा बढ़ाता हैं। महादेव के ये तीन मंदिर मिलकर एक शक्तिशाली समूह की रचना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि 'उचा पूजा' करने के पहले अगर को श्रद्धालु भगवान शिव के इन तीन मंदिरों में पूजा करता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
वाईकॉम महादेव मंदिर दक्षिण भारत के उन खास मंदिरों में शामिल है जो शैव और वैष्णव दोनों अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस खास लेख में जानिए धार्मिक पर्यटन के लिहाज से यह मंदिर आपके लिए कितना खास है।
त्रेता युग से जुड़ा शिवलिंग
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वाईकॉम महादेव को प्यार से वैक्कथप्पन भी कहा जाता है। जानकारी के अनुसार इस मंदिर में विराजमान शिव लिंग का संबंध त्रेता युग' से है। जो केरल के सबसे प्राचीन मंदिरों में गिना जाता है। यहां भगवान शिव की पूजा जब से शुरू हुई है तब से एक बार भी रूकी नहीं है। इस मंदिर से हिन्दुओं की गहरी आस्था जुड़ी हुई है। यहां विशेष मौकों पर खास आयोजन किए जाते हैं। तीर्थयात्रा के तौर से कई देश-विदेश के श्रद्धालु केरल के इस प्राचीन मंदिर के दर्शन करने के लिए आते हैं।
पारंपरिक रीति रिवाज के साथ यहां भगवान शिव की पूजा की जाती है। यह मंदिर केरल के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है जो एतुमानूर महादेव मंदिर, कदुथरुथी महादेव मंदिर, चेंगन्नूर महादेव मंदिर, एर्नाकुलम शिव मंदिर आदि शिव मंदिरों के साथ गिना जाता है।
जुड़ी है पौराणिक किवदंतियां
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ऐसा माना जाता है कि खारासुर माल्यावन से शैव विद्या का उपदेश प्राप्त करने के लिए चिदंबरम गया था, जहां उसने मोक्ष प्राप्ति के लिए कठोर तपस्या की। खारासुर की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए और उसके द्वारा मांगे गए वरदानों को पूरा किया। भगवान शिव ने उसे तीन शिवलिंग भी दिए और कहा मैं सदैव इन शिवलिंगों में मौजूद रहुंगा। मोक्ष प्राप्ति के लिए तुम्हें इन तीनों लिंगों की पूजा करनी होगी। जिसके बाद भोलेनाथ अंतर्ध्यान हो गए।
खारासुर ने एक शिवलिंग दाएं हाथ में रखा, दूसरा बाएं हाथ में और तीसरे को गले से लटका कर आगे बढ़ा। माना जाता है कि जब खारा हिमालय से तीनों शिवलंगों को लेकर आ रहे था तो वो काफी थक गया था। जिसके बाद उसने लिंगों को जमीन पर रख थोड़ा आराम किया।
लेकिन जैसे ही उसने उन्हें उठाया वे अपनी जगह से टस से मस न हुए। खारा बहुत चिल्लाया। तभी आकाशावाणी हुई की मैं मोक्ष देने के लिए हमेशा यहां उपस्थित रहुंगा। माना जाता है कि खारा ने मोक्ष प्राप्ति के बाद तीनों शिवलिंग महर्षि व्याग्रापाड़ा को सौंप दिए थे।
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धार्मिक मान्यता
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ऐसा माना जाता है कि खारासुर ने जिस शिवलिंग को दाहिने हाथ में रखा था उसकी पूजा वाईकॉम में होती है। बाएं हाथ में रखा शिवलिंग एटमुन्नूर और गर्दन पर रखे शिवलिंग की पूजा कथुथुरुथी मंदिर में की जाती है।
तीनों मंदिरों की एक दूसरे से दूरी थोड़ी काम ज्यादा है। ऐसी मान्यता है कि एक दिन में इन तीन शिवलिंगों के दर्शन कैलाश शिव दर्शन के बराबार ही है। कैलाश जहां भगवान शिव का असल निवास है।
ऐसा माना जाता है कि वृत्तचिक - कृष्णा पक्ष - अष्टमी के दिन भगवान शिव जगत जाननी माता पार्वती के साथ महर्षि व्याघ्रपाद के पास पधारे और कहा कि आज से यह स्थान व्यागरपदपुर के नाम से जाना जाएगा, जिसके बाद भगवान शिव माता पार्वती के साथ अंतर्ध्यान हो गए। माना जाता है कि विश्व प्रसिद्ध वैकथाष्टमी और सभी जुड़े पवित्र त्यौहार आज भी वृत्तचिक - कृष्णा पक्ष - अष्टमी के दिन मनाए जाते हैं।
वाइकॉम अष्टमी
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वाइकॉम अष्टमी वाइकॉम महादेव मंदिर में मनाया जाना वाला मुख्य त्योहार है। जो नवंबर-दिसंबर के बीच आयोजित किया जाता है। त्यौहार की सही तिथि मलयालम कैलेंडर के अनुसार निर्धारित की जाती है। कृष्ण अष्टमी के दिन वैकथाष्टमी मनाया जाता है। इस त्यौहार के पीछे पौराणिक कथा यह है कि कई साल पहले महर्षि व्याघ्रपाद ने कई वर्षों तक भगवान शिव की तपस्या की थी जिसके बाद भोलेनाथ ने उन्हें दर्शन दिए थे।
भगवान शिव कृष्णा अष्टमी के दिन उनके सामने प्रकट हुए थे। इसलिए भगवान शिव के आगमन की स्मृति में वाइकॉम अष्टमी मनाई जाती है। ये त्योहार 12 दिनों तक चलता है जिसका आखरी दिन वैकथाष्टमी मनाई जाती है।
मंदिर की संरचना
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केरल के सबसे बड़े मंदिरों में से एक वाईकॉम महादेव मंदिर का आंगन लगभग आठ एकड़ की जमीन पर फैला है। मंदिर परिसर को नदी की रेत से समतल बनाया गया है।
परिसार की सुरक्षा की लिए बड़ी दीवारों और चारों कोनों में टावरों का निर्माण किया गया है। यहां की दीवारें और खंभे बहुत ही मजबूत हैं। यहां का गर्भ गृह भी काफी आकर्षक है जिसे पूर्ण रूप से पत्थर का इस्तेमाल कर बनाया गया है।
कैसे करें प्रवेश
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वाईकॉम मंदिर आप तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी हवाईअड्डा कोच्चि एयरपोर्ट है। रेल मार्ग के लिए आप वाईकॉम रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं।
आप चाहें तो यहां सड़क मार्गों से भी पहुंच सकते हैं। वाईकॉम बेहतर सड़क मार्गों से दक्षिण भारत के कई बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है।
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