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बड़ी ही दिलकश और हसीन है तवांग की जीवंत सभ्यता और संस्कृति

By Belal Jafri

अरुणाचल प्रदेश के सबसे पश्चिम में स्थित तवांग जिला अपनी रहस्यमयी और जादुई खूबसूरती के लिए जाना जाता है। समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस जिले की सीमा उत्तर में तिब्बत, दक्षिण-पूर्व में भूटान और पूर्व में पश्चिम कमेंग के सेला पर्वत श्रृंखला से लगती है। ऐसा माना जाता है कि तवांग शब्द की व्युत्पत्ति तवांग टाउनशिप के पश्चिमी भाग के साथ-साथ स्थित पर्वत श्रेणी पर बने तवांग मठ से हुई है। ‘ता' का अर्थ होता है- ‘घोड़ा' और ‘वांग' का अर्थ होता है- ‘चुना हुआ।' पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान का चुनाव मेराग लामा लोड्रे ग्यामत्सो के घोड़े ने किया था। मेराग लामा लोड्रे ग्यामत्सो एक मठ बनाने के लिए किसी उपयुक्त स्थान की तलाश कर रहे थे। उन्हें ऐसी कोई जगह नहीं मिली, जिससे उन्होंने दिव्य शक्ति से मार्गदर्शन प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करने का निर्णय लिया। प्रार्थना के बाद जब उन्होंने आंखे खोली तो पाया कि उनका घोड़ा वहां पर नहीं है।

वह तत्काल अपना घोड़ा ढूंढने लगे। काफी परेशान होने के बाद उन्होंने अपने घोड़े को एक पहाड़ की चोटी पर पाया। अंतत: इसी चोटी पर मठ का निर्माण किया गया और तवांग शब्द की व्युत्पत्ति हुई। प्राकृतिक सुंदरता के मामले में तवांग बेहद समृद्ध है और इसकी खूबसूरती किसी को भी मंत्रमुग्ध कर देती है।

यहां सूरज की पहली किरण सबसे पहले बर्फ से ढंकी चोटियों पर पड़ती है और यह नजारा देखने लायक होता है। वहीं सूरज की आखिरी किरण जब यहां से गुजरती है तो पूरा आसमान अनगिनत तारों से भर जाता है।

तो अब आइये आज हम आपको ले चलते हैं इसी तवांग की सैर पर और आज हम आपको बताएंगे अपने में क्या ख़ास और जुदा समेटे हुए है तवांग की भूमि

तवांग: रहस्यमय भूमि

तवांग: रहस्यमय भूमि

तवांग में देखने के लिए मठ, पहाड़ों की चोटी और झरने सहित कई चीजें हैं, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। तवांग के कुछ प्रमुख आकर्षण में तवांग मठ, सेला पास और ढेर सारे जलप्रपात हैं, जिससे यह बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग के लिए भी पसंदीदा स्थान बन जाता है। यहां कई झील, नदी और ऊंचे-ऊंचे जलप्रपात हैं। जब इनके पानी में नीले आकाश और बादलों का प्रतिबिंब उभरता है तो पर्यटकों के लिए यह नजारा कभी न भूलने वाला नजारा साबित होता है। अगर आप सही मायानों में प्रकृति प्रेमी हैं, तो यह छुपा हुआ स्वर्ण बाहें फैला कर आपका स्वागत कर रहा है।

लोग: प्रकुल्ल मोंपा

लोग: प्रकुल्ल मोंपा

तवांग में मोंपा जनजाति की अधिकता है। आज इस छोटी सी जगह पर मोंपाओं के 20,000 से ज्यादा घर है। ये यहां कि आबादी का मुख्य हिस्सा हैं। इस आबादी के सबी लोग बौद्ध धर्म के अनुनायी हैं जिनके घरों में आपको भगवान गौतम बुद्धा की मूर्तियां मिलेंगी। यहां के लोग बड़े ही मेहनती हैं और इन लोगों ने आज अपने हस्त शिल्प को पूरी दुनिया में प्रसिद्ध कर दिया है। यहां के लोगों को आप ज्यादातर गर्म कपड़े पहने देखेंगे।

उत्साही मेले और त्योहार

उत्साही मेले और त्योहार

मेले और त्योहार के बिना इस स्थान की कल्पना ही नहीं की जा सकती। मेला और त्योहार अरुणाचल प्रदेश के जनजातीय लोगों का एक अहम हिस्सा है। तवांग के मोनपा जनजाति के साथ भी ऐसा ही है। अरुणाचल प्रदेश की दूसरी जनजातियों की तरह ही मोनपा समुदाय के त्योहार भी मुख्य रूप से कृषि और धर्म से जुड़े होते हैं। तवांग के मोनपा हर साल कई त्योहार मनाते हैं। इन्हीं में से एक है लोसर। यह नए साल का त्योहार है, जो पूरे हर्षोल्लास के साथ फरवरी अंत और मार्च की शुरुआत में मनाया जाता है। दूसरे त्योहारों में तोरग्या भी अहम है। इसे हर साल लुनार कैलेंडर के अनुसार 11वें महीने की 28वीं तारीख को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह आमतौर पर जनवरी में पड़ता है।

पारंपरिक नृत्य

पारंपरिक नृत्य

यहां के लोग संगीत और नृत्य के प्रति विशेष दिलचस्पी रखते हैं। यहां के लोगों का मानना है कि संगीत और नृत्य के माध्यम से आप अपने आप को भगवान से जोड़ सकते हैं। बांस की छाल लगा बाजा, पोनू तलवार नुमा यंत्र योकसी और बांसुरी यहां के कुछ प्रमुख संगीत के यंत्र हैं। यहां लोसर महोत्सव के दौरान आप याक नृत्य और अजी लम्हो नृत्य का भी आनंद ले सकते हैं। यहां होने वाला एक अन्य नृत्य शेर और मोर नृत्य शांति और खुशहाली को दर्शाता है।

ऊर्जावान खेल

ऊर्जावान खेल

आज तवांग कई ऊर्जावान और चुनौती देते खेलों का भी घर है। मजोंग यहां खेले जाने वाला एक महत्त्वपूर्ण खेल है जो चार लोगों द्वारा खेला जाता है। इस खेल में टाइल का इस्तेमाल होता है। तीरंदाजी को भी यहां विशेष महत्त्व दिया जाता है। प्रायः यहां तीरंदाजी लोसर के दौरान देखने को मिलती है। पोनगोर। शो भी यहां मर्दों द्वारा खेला जाने वाले प्रमुख खेल है। यदि आप यहां हैं तो इन खेलों को अवश्य खेलें।

उत्कृष्ट कला और शिल्प

उत्कृष्ट कला और शिल्प

तवांग के मोनपा लोग शिल्पकारिता में भी काफी दक्ष होते हैं। यहां के बाजारों में खूबसूरत परंपरागत शिल्प को देखकर इस बात अंदाजा भी हो जाता है। ये शिल्प सरकारी शिल्प केन्द्र में भी उपलब्ध रहते हैं। लकड़ी से बने सामान, बुने हुए कार्पेट और बांस से बने बर्तन की खूबसूरती देखने लायक होती है। यहां के लोगों ने थनका पेंटिंग और हाथ से बने पेपर के जरिए भी काफी नाम कमाया है। लकड़ी से बने शिल्पकृति में लकड़ी का मुखौटा भी प्रमुख है। इसका इस्तेमाल तोरग्या त्योहार के दौरान तवांग मठ के प्रांगण में होने वाले नृत्य के दौरान किया जाता है। दोलोम एक कलात्मक रूप से डिजाइन किया गया खाने का बर्तन है, जिसका ढक्कन लकड़ी का बना होता है। शेंग ख्लेम एक लकड़ी का बना चम्मच है। वहीं ग्रुक लकड़ी का बना एक कप है, जिसका इस्तेमाल चाय पीने के लिए किया जाता है।

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