गुजरात का ऐतिहासिक शहर है चंपानेर जोकि मुंबई से उत्तर की ओर 7 घंटे की दूरी पर स्थित है। वीकेंड पर छुट्टियां मनाने के लिए चंपानेर बढिया जगह है। इस शहर को छावड़ा राजवंश के राजा वनराज छावड़ा ने 8वीं शताब्दी में खोजा था। कुछ लोगों का मानना है कि चंपानेर का नाम राजा के मित्र चंपा के नाम पर रखा गया था।
खूबसूरत प्राचीन शहर चंपा में कई किले, महल और मस्जिदें हैं जिन्हें कई सालों पहले बनवाया गया था। इस शहर की इमारतों में हज़ार वर्ष प्राचीन जैन और हिंदू मंदिर भी हैं जो आज भी शानदार दिखते हैं।
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चंपानेर गुजरात की राजधानी हुआ करता था लेकिन मुगलों के इस राज्य पर हुकूमत के बाद गुजरात की राजधानी अहमदाबाद को घोषित कर दिया गया। यहां पर स्थित चंपानेर-पावगढ़ आर्कियोलॉजिकल पार्क को यूनेस्को विश्व विरासत धरोहर द्वारा चंपानेर के सबसे दिलचस्प स्थानों में रखा गया है।
चंपानेर आने का सही समय
गर्मी के मौसम में चंपानेर का मौसम बहुत गर्म रहता है इसलिए यहां सर्दी के मौसम में अक्टूबर से फरवरी तक घूमना बेहतर रहेगा। इस दौरान चंपानेर का मौसम सुहावना रहता है और कभी-कभी 9 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे गिर जाता है। इसलिए सर्दी के मौसम में यहां गर्म कपड़े जरूर लेकर आएं।PC:Apurv Kiri
मुंबई से चंपानेर का रूट
छेद्दा नगर - एनएच 48 - हरनी में वडोदरा-हालोल राजमार्ग - बाहर निकलें एनएच 48 से - चंपानेर
मुंबई से चंपानेर का रूट काफी आसान है क्योंकि अधिकतर रास्ता हाईवे का ही है। 465 किमी लंबे इस सफर में 7 घंटे 30 मिनट का समय लग सकता है।
वसई
मुंबई से 60 किमी दूर खूबसूरत उपनगर है वसई। इस शहर में कई जगहें हैं जहां आप घूम सकते हैं। चिंचोचोटी झरना मशहूर पिकनिक स्पॉट है जहां ट्रैकर्स भी आना पसंद करते हैं।
वसई फोर्ट या बसिन किला अब खंडहर बन चुका है। इसे सोलहवीं शताब्दी में पुर्तगालियों द्वारा बनवाया गया था। इस किले में कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है।PC: Sameer Prabhu
सिलवासा
दादर और हवेली की राजधानी वसई से 126 किमी दूर है। इस शहर में पुर्तगालियों का प्रभाव साफ देखा जा सकता है। सिलवासा में कई गिरजाघर हैं।
सिलवासा में दो खूबसूरत गार्डन जिनमें वनगंगा झील गार्डन और हिरवा वन गार्डन हैं। गार्डन के अलावा यहां वसोना लॉयन सफारी प्रमुख पर्यटन स्थल है। दादरा और हवेली वन्यजीव अभयारण्य की तरहं यहां भी एशियाटिक लॉयन देख सकते हैं।
उदवाड़ा अताश बेहराम फायर मंदिर
उदवाड़ा शहर प्राचीन जोरोएस्ट्रियन फायर मंदिर और उदवाड़ा अताश बेहराम के लिए प्रसिद्ध है। ये जगह ईरन शाह और किंग ऑफ ईरान के नाम से मशहूर है। अताश बेहराम, उदवाड़ा के भारतीय पारसी मंदिरों में से एक है जिसे 8वीं शताब्दी में बनवाया गया था।
अताश बेहराम का मतलब है विक्टोरियस फायर जोकि दुनियाभर के जोरोएस्ट्रियनों का प्रमुख तीर्थस्थल है। यह ईरान के साथ भारत के सांस्कृतिक संबंध का प्रतिनिधित्व करता है।PC:Mr.TrustWorthy
सूरत
इसे पहले सूर्यपुर के नाम से जाना जाता था। सूरत, गुजरात का बंदरगाह शहर है जोकि अपने स्वादिष्ट व्यंजनों और डायमंड को पॉलिश करने के लिए जाना जाता है। सूरत की पानी पूरी और ढ़ोकला जैसी दिखने वाली खामन, सूरती लोचो, आदि स्नैक्स यहां आने पर जरूर खाने चाहिए।
सूरत में डच गार्डन, साइंस सेंटर, सूरत कैसल और सूरत किला, चितांमणि मंदिर आदि देख सकते हैं।
भारूच
नर्मदा नदी के मुख पर बसा भारूच बंदरगाही शहर है जिसका प्रयोग पूर्व और पश्चिम के बीच मसालों और सिल्क के व्यापार के लिए किया जाता है। ये ब्रिटिशों द्वारा निर्मित 1818 में गोल्डन ब्रिज से होकर अंकलेश्वर से जुड़ा है।
नर्मदा नदी के तट पर स्थित होने के कारण भारुच में कई मंदिर हैं। मंदिरों के अलावा यहां पर्यटक लल्लुभाई हवेली भी देख सकते हैं। इसे 1791 में बनवाया गया था।
वड़ोदरा
वड़ोदरा के खूबसूरत शहर में कई पर्यटन स्थल हैं जिनमें लक्ष्मी विलास महल भी शामिल है। इस शानदार महल को बकिंघम पैलसे से चार गुना ज्यादा बड़ा बताया जाता है। ये पैलेस 700 एकड़ में फैला हुआ है। इस महल को 1890 में महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ द्वारा बनवाया गया था। इस महल में अब भी गायकवाड़ के शाही कामकाज किए जाते हैं।
हजीरा मकबरा, कीर्ति मंदिर, सयाजी बाग, सुरसागर झील आदि वडोदरा में जरूर देखें।PC: Nisarg Bhanvadiya
आगे चंपानेर के दर्शनीय स्थलों के बारे में पढ़ें।
चंपानेर-पवगध आर्कियोलॉजिकल पार्क
2004 में इस पार्क को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित किया जा चुका है। इस पार्क में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक चीज़ों के साथ गुजरात की सोलहवीं शताब्दी के अवशेष देखने को मिलेंगें। इस सदी के स्टैपवेल, टैंक, किले, मस्जिद और मकबरे आदि शामिल हैं।
इन इमारतों में आप हिंदू के साथ-साथ मुस्लिम धर्म की विरासत को देख सकते हैं। 3000 एकड़ में फैले इस पार्क को देखने में पूरे दिन का समय लग सकता है।
इन इमारतों में केवड़ा मस्जिद, सहर की मस्जिद, जैन मंदिर आदि शामिल हैं। पार्क सुबह 8.30 से शाम 5 बजे तक खुलता है।
PC: lensnmatter
आइए इन इमारतों के बारे में और जानते हैं।
जामा मस्जिद
चंपानेर के आर्कियोलॉजिकल पार्क में कई मस्जिदें हैं जिनमें से एक जामा मस्जिद भी है। इस खूबसूरत और शानदार मंदिर को बनाने में 25 साल का समय लगा था। इस टू-स्टोरी मस्जिद में मुस्लिम और हिंदू स्थापत्यकला की झलक देख सकते हैं।
इस मस्जिद की दीवारों, नीनारों और मीनार के तल पर खूबसूरत नक्काशी की गई है जो उस दौर कके कलाकारों की उत्कृष्टता को दर्शाता है। केवड़ा मस्जिद, लीला गुंबज की मस्जिद, नगीना मस्जिद आदि इस पार्क की कुछ खूबसूरत मस्जिदें हैं।
PC: Susheel Khiani
कलिका माता मंदिर
इस आर्कियोलॉजिकल पार्क में पावगढ़ पर्वत के शिखर पर कलिका माता मंदिर स्थापित है। ये हिंदुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है। इस मंदिर में देवी की तीन मूर्तियां हैं जिनमें मध्य में कलिका माता की मूर्ति, दांए में काली माता और बाएं में देवी बहुचारमाता की मूर्ति स्थापित है।
लंबी सीढियां चढ़ने के बाद कलिका माता मंदिर तक पहुंचा जाता है। त्योहार के दौरान इस मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ रहती है। लकुलिसा और जैन मंदिर भी यहां दर्शनीय है।PC:Arian Zwegers
जंबुघोड़ा वन्यजीव अभ्यारण्य
चंपानेर से 20 किमी दूर है जंबुघोड़ा वन्यजीव अभ्यारण्य जहां कई खूबसूरत नज़ारे देखने को मिलते हैं। इस पार्क में हरी घास, दो तालाब और घना जंगल है। इस अभ्यारण्य में कई तरह के वन्यजीव जैसे बाघ, टाइगर, भारतीय तेंदुआ, इंडियन स्लोथ बीयर आदि देख सकते हैं। इसके घने जंगलों में बांस और सागौन के पेड़ हैं।PC:PawanJaidka