जोधपुर, जयपुर के बाद राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा रेगिस्तान शहर है। अपनी अनूठी विशेषताओं के कारण इस शहर को दो उपनाम 'सन सिटी' और 'ब्लू सिटी' मिले हैं।'सन सिटी' नाम जोधपुर के चमकीले धूप के मौसम के कारण दिया गया है, जबकि 'ब्लू सिटी' नाम शहर के मेहरानगढ़ किले आसपास स्थित नीले रंग के घरों के कारण दिया गया है।
जोधपुर को 'थार के प्रवेश द्वार' के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह शहर थार रेगिस्तान की सीमा पर स्थित है। यह शहर 1459 ई0 में राठौड़ परिवार के नेता राव जोधा द्वारा स्थापित किया गया था।
इससे पहले, शहर को 'मारवाड़' नाम से जाना जाता था किन्तु वर्तमान नाम शहर के संस्थापक, एक राजपूत मुखिया राव जोधा के नाम पर दिया गया है।
जोधपुर विभिन्न त्योहारों, जो वर्ष भर आयोजित होते हैं, के लिए प्रसिद्ध है। अंतर्राष्ट्रीय डेजर्ट पतंग महोत्सव शहर के पोलो ग्राउंड में हर साल 14 जनवरी को आयोजित किया जाता है।
इस तीन दिवसीय महोत्सव के दौरान पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है जिसमें दुनिया भर से पतंग उड़ाने वाले शीर्ष स्थान के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। इसके अलावा, इस अवसर के दौरान वायु सेना के हेलीकाप्टरों द्वारा छोड़े गये पतंगों के साथ आकाश रंगीन हो जाता है।
अपने दामन में राजसी गौरव को समेटे जोधपुर बड़ी संख्या में पर्यटक को अपनी ओर लुभाता है। यहां आप नीले भवन से लेकर जगमग करते महल और कई ऐतिहासिक किले देख सकते हैं।
चमक दमक से भरपूर इस शहर में घूमने पर आप राजस्थान के मरुभूमि के कुछ बेहतरीन पर्यटन स्थल घूम सकते हैं। वैसे तो एक दिन में इस शहर को घूम पाना मुश्किल है। फिर भी अगर आपके पास ज्यादा समय नहीं है तो आइए हम आपको बताते हैं घूमने लायक कुछ चुनिंदा पर्यटन स्थल
उमैद भवन महल
उमैद भवन महल न सिर्फ जोधपुर का एक प्रमुख आकर्षण है बल्कि यह दुनिया का सबसे बड़ा निजी निवास स्थान भी है। चित्तार पहाड़ी पर बने होने के कारण इसे इसे चित्तार महल भी कहा जाता है।
इस महल के ज्यादातर निर्माण में चित्तार बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया था। आज यह महल तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। इसमें पाइव स्टार होटल, म्यूजियम और जोधपुर शाही परिवार का निवास स्थान है।
इंडो-कॉलोनियल वास्तुशिल्पीय शैली इस महल का एक प्रमुख आकर्षण है। भवन महल जोधपुर शहर से सिर्फ 8 किमी दूर है।
मेहरानगढ़ किला
मेहरानगढ़ जोधपुर के राजपूत के वैभव का प्रतीक है। राजस्थान का सबसे बड़ा किला होने के नाते यहां आपको जरूर जाना चाहिए। यह किला एक पहाड़ी की चोटी पर बना है और इसके परिसर में कई महल और मंदिर है।
यहां स्थित शीशा महल, मोती महल, फूल महल और जानकी महल को घूमना बिल्कुल न भूलें। महरानगढ़ किला जोधपुर शहर से 14 किमी और उमैद भवन किला से 6 किमी दूर है।
जसवंत थड़ा
जसवंत थड़ा जोधपुर के 33वें शासक महाराजा जसवंत सिंह द्वितीय का संगमरमर से बना स्मारक है। यह मेहरानगढ़ किले से एक किमी से भी कम दूरी पर स्थित है। इसे राजा के बेट द्वारा बनवाया गया था और संगमरमर पर की गई जटिल नक्काशी के कारण इसे मारवाह का ताजमहल भी कहा जाता है। जोधपुर घूमते समय यहां जाना बिल्कुल न भूलें।
मंडोर गार्डन
पहले मंडोर मारवार राजाओं की राजधानी हुआ करता था। मेहरानगढ़ किले को बचाए रखने के लिए इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया गया। इस गार्डन में कई स्मारक हैं जिन्हें जोधपुर के राजाओं की स्मृति में बनवाया गया है।
इन स्मारकों की खास बात यह है कि इन्हें राजपूत शैली के उलट हिंदू वास्तुशिल्प पर आधारित मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है।
पहाड़ी की चोटी पर बने इस गार्डन में आप मंडोर शहर के खंडहर को देख सकते हैं। पहाड़ की चोटी से महारानी का स्मारक भी नजर आता है। मंडोर गार्डन जसवंत थड़ा से करीब 8 किमी दूर है।
जोधुपर में शॉपिंग
जोधपुर से खाली हाथ लौटना कौन पसंद करेगा। क्लॉक टावर और सरदार मार्केट जोधपुर शहर का सबसे अच्छा शॉपिंग साइट है। यहां से आप चांदी से बनी चमकदार चीजें, हस्तशिल्प् उत्पाद और कुट दुर्लभ आइटम खरीद सकते हैं। क्लॉक टावर मंडोर गार्डन से सिर्फ 8 किमी दूर है और सरदार मार्केट टावर के ठीक बगल में है।
खाने-पीने और रहने का विकल्प
जोधपुर शहर में ऐसे रेस्टोरेंट और होटलों की भरमार है जो आपके बजट के तहत आएगा। इनमें से आप अपनी पसंद के अच्छे होटलों का चुनाव कर सकते हैं।