हर साल की तरह इस साल भी अमरनाथ यात्रा 29 जून 2017 से शुरू होने वाली है। हिमालय की गोदी में स्थित अमरनाथ हिंदुओं का सबसे ज़्यादा आस्था वालापवित्र तीर्थस्थल है।
अमरनाथ हिन्दी के दो शब्द "अमर" अर्थात "अनश्वर" और "नाथ" अर्थात "भगवान" को जोडने से बनता है। एक पौराणिक कथा अनुसार, जब देवी पार्वती ने भगवान शिव से अमरत्व के रहस्य को प्रकट करने के लिए कहा, जो वे उनसे लंबे समय से छुपा रहे थे। तो, यह रहस्य बताने के लिए भगवान शिव, पार्वती को हिमालय की इस गुफा में ले गए, ताकि उनका यह रहस्य कोई भी ना सुन पाए, और यहीं भगवान शिव ने देवी पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया।
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पवित्र गुफा श्रीनगर के उत्तर-पूर्व में 135 किलोमीटर दूर समुद्र तल से 13 हज़ार फ़ीट ऊंचाई पर है। पवित्र गुफा की लंबाई (भीतरी गहराई) 19 मीटर, चौड़ाई 16 मीटर और ऊंचाई 11 मीटर है।
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अमरनाथ की ख़ासियत पवित्र गुफा में बर्फ़ से नैसर्गिक शिवलिंग का बनना है। प्राकृतिक हिम से बनने के कारण ही इसे स्वयंभू 'हिमानी शिवलिंग' या 'बर्फ़ानी बाबा' भी कहा जाता है। जिसके दर्शन करने हजारों शिव श्रद्धालु देश के कई नगरों से आते हैं।
कैसे पहुंचे
बस द्वारा
कुछ बसे भारत के कई शहरो से सीधे पहलगाम तथा बालटाल आती है। दिल्ली से पहलगाम की दुरी 840 किलोमीटर है। ये बस आपको पहलगाम तथा बालटाल पर उतारती है। वहा से आपको पैदल बाबा अमरनाथ आना पड़ेगा।
हवाई जहाज
पहलगाम के सबसे पास श्रीनगर हवाई अड्डा है। यह पहलगाम से 103 किलोमीटर की दुरी पर है। यहाँ एयर इंडिया व अन्य के हवाई जहाज इस हवाई अड्डे पर आते है। यहाँ से टैक्सी इत्यादि तैयार मिलती है। यात्री दिल्ली से यहां तक हवाई सेवा के माध्यम
से पहुंचकर पहलगाम तक का 96 किमी का सफर सड़क मार्ग से तय कर सकते हैं।
रेल द्वारा
पहलगाम के सबसे पास अनंतनाग रेलवेस्टेशन है। श्रीनगर में भी रेलवेस्टेशन है। इस रेलवे स्टेशन से प्रतिदिन रेल उपलब्ध रहती है।
PC:Guptaele
अमरनाथ यात्रा
अमरनाथ यात्रा का शुभारम्भ 29 जून 2017 से हो रहा है जोकि 7 अगस्त को खत्म हो जाएगी...PC:Rohin.koul
कैसे बनता है शिवलिंग
बहुत से लोग मानते हैं कि यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनता है। अर्थात गुफा में एक एक बूंद पानी नीचे सेंटर में गिरता है और वही धीरे धीरे बर्फ के रूप में बदल जाता है। इतना ही नहीं चंद्र की कलाओं के साथ हिमलिंग बढ़ता है और उसी के साथ घटकर लुप्त हो जाता है।PC:Gktambe
गुफा तक पहुँचने के दो रास्ते
अमरनाथ की पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिये वैसे तो दो रास्ते हैं पहला है पहलगाम। यह रास्ता थोड़ा लंबा तो है लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से ठीक माना जाता है। सरकार भी इसी रास्ते से अमरनाथ जाने के लिये लोगों को प्रेरित करती है। इसी रस्ते से जाते हुए कई दर्शनीय स्थल भी आते हैं अनंतनाग, चंदनवाड़ी, पिस्सु घाटी, शेषनाग, पंचतरणी आदि। ऑक्सीजन की कमी और ठंड कई बार यात्रियों के लिये परेशानी भी बन जाती है इसलिये यात्री सुरक्षा के तमाम इंतजाम साथ लेकर चलते हैं।
PC:Nittin sain
पंचतरणी
अगला पड़ाव पंचतरणी है। पंचतरणी शेषनाग से आठ मील की दूरी पर है। पंचतरणी व शेषनाग के बीच में वेबवेल टॉप व महागुनास दर्रा है। महागुनास की चोटी तक चढाई है इसके बाद उतार है। यहाँ पांच सरिताए है जिससे इसका नाम पंचतरणी है। यहाँ आमतौर पर ऑक्सीजन की कमी होती है। यहाँ ठण्ड भी ज्यादा होती है। इसके लिए सुरक्षा के इंतजाम करने पड़ते है।PC:Ashish Sharma
शेषनाग
अगला स्थान शेषनाग है। यह चंदनबाड़ी से 15 किलोमीटर की दुरी पर है। तीर्थयात्री दूसरी रात यहाँ बिताते है। यहाँ से पिस्सू घाटी दिखाई देती है। शेषनाग की चढाई खड़ी व खतरनाक है। कहा जाता है की शेषनाग नामक झील में शेषनाग का निवास है। जो 24 घंटे में एक बार दर्शन देते है। यह दर्शन किस्मत वालो को ही नसीब होते है।PC: Akhilesh Dasgupta
अमरनाथ की गुफा
पवित्र अमरनाथ की गुफा यहां से केवल आठ किलोमीटर दूर रह जाती है। रास्ते में बर्फ ही बर्फ जमी रहती है। इसी दिन गुफा के नज़दीक पहुंचकर लोग रात बिता सकते हैं और दूसरे दिन सुबह पूजा-अर्चना कर पंचतरणी लौटा जा सकता है। कुछ यात्री शाम तक शेषनाग वापस पहुंच जाते हैं। रास्ता काफी कठिन है, लेकिन पवित्र गुफा में पहुंचते ही सफ़र की सारी थकान पल भर में छू-मंतर हो जाती है और अद्भुत आत्मिक आनंद की अनुभूति होती है।PC:Niharika Krishna
बलटाल
दूसरा रस्ता सोनमर्ग बलटाल से होकर जाता है। यहां से जाने वाला रास्ता काफी जोखिम भरा माना जाता है इसलिये खतरों के खिलाड़ी ही इस रस्ते का रोमांच लेते हैं। यहां से जाने वाले यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा खुद यात्री ही उठाते हैं, सरकार किसी भी प्रकार की जिम्मेदारी नहीं लेती। हालांकि यहां से अमरनाथ गुफा में दर्शन करके सिर्फ एक दिन में ही वापस कैंप पर लौटा जा सकता है। पहलगाम और बलटाल तक जाने के लिये आपको सवारी भी आसानी से मिल
जाती है।
पहलगाम
बाबा अमरनाथ ठहरने की व्यवस्था पहलगाम एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। जम्मू से इसकी दुरी 315 किलोमीटर है। पहलगाम में प्राइवेट संस्थाओ द्वारा लंगर की व्यवस्था की जाती है। तीर्थयात्री यहाँ से बाबा अमरनाथ के लिए पैदल यात्रा शुरू करते है। पहलगाम में ठहरने के लिए आपको धर्मशालाए मिल जाएगी। पहलगाम में कई प्राइवेट होटल भी है। इन होटलों में अलग अलग शुल्क पर अलग अलग सुविधा युक्त कमरे उपलब्ध रहते है। इनमे एडवांस बुकिंग की व्यवस्था भी रहती है। बस, ठहरने के लिए सही जगह चुने।PC:Harsha Narasimhamurthy
अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है।
भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है। मान्यता है कि इस गुफा में शंकर ने पार्वती को अमरकथा सुनाई थी, जिसे सुन सद्योजात शुक-शिशु शुकदेव ऋषि के रूप में अमर हो गए। गुफा में आज भी कबूतरों का एक जोड़ा दिखाई देता है, जिन्हें अमर पक्षी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जिन श्रद्धालुओं को कबूतरों जोड़ा दिखाई देता है, उन्हें शिव-पार्वती दर्शन देते हैं और मोक्ष प्रदान करते हैं। यह भी माना जाता है कि
भगवान शिव ने 'अनीश्वर कथा' पार्वती को गुफा में ही सुनाई थी। इसीलिए यह बहुत पवित्र मानी जाती है। शिव ने पार्वती को ऐसी कथा भी सुनाई थी, जिसमें यात्रा और मार्ग में पड़ने वाले स्थलों का वर्णन था। यह कथा अमरकथा नाम से विख्यात हुई।PC:Gktambe
अमरनाथ यात्रा
कई विद्वानों का मत है कि शंकर जब पार्वती को अमर कथा सुनाने ले जा रहे थे, तो उन्होंने छोटे-छोटे अनंत नागों को अनंतनाग में छोड़ा, माथे के चंदन को चंदनबाड़ी में उतारा, अन्य पिस्सुओं को पिस्सू टॉप पर और गले के शेषनाग को शेषनाग नामक स्थल पर छोड़ा था। अमरनाथ गुफा का सबसे पहले पता सोलहवीं शताब्दी के पूर्वाध में एक मुसलमान गड़ेरिए को चला था। आज भी चौथाई चढ़ावा मुसलमान गड़रिए के वंशजों को मिलता है।यह एक ऐसा तीर्थस्थल है, जहां फूल-माला बेचने वाले मुसलमान होते हैं। अमरनाथ गुफा एक नहीं है, बल्कि अमरावती नदी पर आगे बढ़ते समय और कई छोटी-बड़ी गुफाएं दिखती हैं। सभी बर्फ से ढकी हैं। मूल अमरनाथ से दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग-अलग हिमखंड हैं।PC:Rupak Sarkar
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