उत्तराखंड के गढ़वाल मंडल स्थित ' कृत्रिम टिहरी झील', एक नदी बांध परियोजना है, जिसे पहाड़ों से आती भागीरथी नदी पर बनाया गया है। चारों तरफ से पहाड़ों से घिरी यह झील दूर से हरे रंग की नजर आता है, जिसकी वजह है पहाड़ों पर मौजूद हरी-भरी पनस्पतियां, जिनकी परछाई झील को खूबसूरत बनाने का काम करती है।
यह एक शांत झील है जिसे देखने के लिए अब दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। उत्तराखंड के मुख्य पर्यटन स्थलों में अब इस कृत्रिम झील का भी नाम शामिल हो गया है। आगे जानिए पर्यटन के लिहाज के यह झील आपके लिए कितनी खास है। और साथ में जानिए इसे बनाने के पीछे की विवादित कहानी।
एक खूबसूरत पर्यटन स्थल
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उत्तराखंड सरकार द्वारा अब इस झील को पर्यटन के लिहाज से काफी बढ़ावा दिया जा रहा है। ताकि ज्यादा से ज्यादा सैलानी इस खूबसूरत गंतव्य तक पहुंच सकें। झील के विकास और प्रचार के लिए नित नए प्रयोग किए जा रहे हैं। यहां सरकार झील से जुड़े विभिन्न वाटर स्पोर्ट्स की तैयारी में लगी है। ताकि पर्यटक यहां एडवेंचर का रोमांचक अनुभव ले सकें। इसलिए अब यहां पर्यटकों की तादाद बढ़ने पर है। पहले इस झील को सिर्फ दूर से ही देखा जा सकता था, लेकिन अब सैलानी इसके स्वच्छ जल में सैर का आनंद ले सकते हैं। आगे जानिए झील से जुड़ी और भी खास बातें...
क्यों आएं टिहरी झील
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एक पर्टयक के लिहाज से यह सवाल काफी ज्यादा मायने रखता है कि आप 'टिहरी झील' क्यों आएं ? तो हम आपको बताने चाहेंगे कि अगर आप प्राकृतिक दृश्यों के साथ रोमांचक गतिविधियों का कुछ अलग अनुभव लेना चाहते हैं तो यह झील आपके लिए एक आदर्श विकल्प है। क्योंकि यहां आपके लिए कई रोमांचक एक्टिविटी का प्रबंध किया जा रहा है। यहां आपके लिए वाटर स्पोर्ट्स जैसे बोटिंग, मोटर स्कींग और राफ्टिंग का इंतजाम करने जा रही है।
हाउस बोट का इंतजाम
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टिहरी झील को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान देने के लिए सरकार नए प्रयोग में लगी है। हाल ही में सरकार ने झील में फ्लोटिंग हट्स (तैरते हुए घर) को उतारा है, जिससे झील की खूबसूरती और बढ़ गई है। जानकारी के अनुसार अभी इनकी संख्या 20 है। प्रयोग सफल होने पर इनकी संख्या में और भी इजाफा हो सकता है। बता दें इन हाउस बोट्स में सैलानियों के लिए रहने से लेकर खान-पान जैसी हर तरह की सुविधाओं का इंतजाम किया जाएगा।
टिहरी झील/बांध का इतिहास
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टिहरी झील का अस्तित्व यहां बनाए गए 'टिहरी बांध' से जुड़ा हुआ है। यूएसएसआर से आर्थिक और तकनीकी मदद के बाद टिहरी बांध का निर्माण कार्य 1978 में शुरू किया गया था। उस समय से उठे कई राजनीतिक व पर्यावरणीय आंदोलनों के बाद यह बांध 2006 में बनकर तैयार हुआ। पर्यावरण समर्थकों का एक बड़ा तबका नहीं चाहता था कि यह बांध यहां बने। क्योंकि उन्हें डर था कि इसके बनने से यहां की जैव विविधता में खलल पैदा होगी। और अगर किसी कारण यह बांध टूटता है तो इसका नकारात्मक प्रभाव दूर फैले निचली शहरों पर ज्यादा पड़ेगा । बता दें कि इस बांध को बनाने के लिए पूरे टिहरी शहर को डुबोया गया था । जिस बाद में उपर पहाड़ों पर 'न्यू टिहरी' के नाम से बसाया गया।
कैसे करें प्रवेश
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टिहरी झील कोटी कॉलोनी के पास स्थित है। जो न्यू टिहरी से लगभग 15 किमी की दूरी पर है। आप यहां तीनों मार्गों से पहुंच सकते हैं। यहां का नजदीकी एयरपोर्ट देहरादून स्थित जॉली ग्रांट है। रेल मार्ग के लिए आप ऋषिकेश, हरिद्वार या देहरादून रेलवे स्टेशन का सहारा ले सकते हैं। आप चाहें तो सड़क मार्ग से भी यहां तक का सफर तय कर सकते हैं। ऋषिकेश, हरिद्वार मसूरी श्रीनगर से यहां तक के लिए बस सेवा उपलब्ध हैं।
आस पास घूमने लायक जगहें
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इस झील के आसपास का इलाका बेहद खूबसूरत है। आप यहां के पहाड़ी नजारों का लुत्फ उठा सकते हैं। आप चाहें तो न्यू टिहरी शहर घूम सकते हैं। चीड़-देवदार के जंगलों के बीच यह छोटा सा शहर बेहद खबसूरत है। इसके अलावा आप यहां से चंबा का भ्रमण कर सकते हैं, जो अपने पर्वतीय नजारों के लिए जाना जाता है। इसके अलावा आप धनौल्टी हिल स्टेशन की सैर कर सकते हैं। जहां ठंडी हवाओं के बीच सैर सपाटे का अपना अलग मजा है। आप यहां के मसूरी व देवप्रयाग की सैर का आनंद भी से सकते हैं।