क्या आपने नेचर को कभी करीब से देखा है ? क्या आपने कभी बादलों को छूने की कोशिश करी है ? क्या आप आँख खुलते ही अपने सामने छाई धुंध और हरियाली देखना चाहेंगे। यदि आपके लिए इन सारे प्रश्नों का उत्तर हां हैं तो आप आज ही केरल स्थित वायनाड आने का प्लान करिये। वायनाड केरल के बारह जिलों में से एक है जो कन्नूर और कोझिकोड जिलों के मध्य स्थित है। अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण यह एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। पश्चिमी घाट के हरे भरे पर्वतों के बीच स्थित वायनाड का प्राकृतिक सौन्दर्य आज भी अपने प्राचीन रूप में है।
इस स्थान की प्रभावित करने वाली सुंदरता आपकी भूखी आँखों के लिए भोजन के समान है। अत: कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है कि पर्यटक दूर दूर से प्रति वर्ष वायनाड आते हैं। इस स्थान पर कॉर्पोरेट जगत के लोग भी सप्ताहांत में आराम करने और तरोताजा होने के लिए बड़ी संख्या में आते हैं। वायनाड, वास्तव में शान्ति और संतुष्टि की खोज के लिए एक आदर्श स्थान है, अन्यथा ये तो आजकल जैसे हमारी ज़िन्दगी से गुम हो गई हैं।
अगर आप वायनाड में हैं तो एडक्कल गुफाएं, मीनमुट्ठी जलप्रपात, पुकूट झील जैसे स्थानों की यात्रा अवश्य करें। वायनाड के हरे भरे पर्वतों ने हमारे देश की कई प्राचीन जन जातियों को अपने अंदर अच्छी तरह छुपाया हुआ है।
इन जनजातियों को बाहरी दुनिया के साथ मेलजोल में कोई दिलचस्पी नहीं है; वे हमेशा प्रकृति के साथ एकरूप होकर रहना चाहते हैं, और यह उचित ही है क्योंकि यदि आपने भी एक बार वायनाड नाम के इस चमकते रत्न को देख लिया तो आप भी इस जगह से दूर रहना नहीं चाहेंगे।
वायनाड पुरातात्विक रुचि का केंद्र बना जबसे इसके आस पास की गुफाओं में प्रागैतिहासिक काल में बनी हुई नक्काशियों की खोज हुई। ये नक्काशियां इस बात का प्रमाण है कि मध्य पाषाण युग में भी यह एक समृद्ध शहर था। तो आइये अब आपको रू-ब-रू कराते हैं वायनाड के कुछ प्रमुख पर्यटक आकर्षणों से।
चेम्ब्रा चोटी
चेम्ब्रा चोटी, कालपेट्टा में ही नहीं बल्कि वायनाड जिले में भी सबसे ऊंची चोटी है। यह चोटी समुद्र स्तर से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह चोटी, ट्रैकर्स के लिए एक पसंदीदा जगह है। आप यहां आकर चोटी पर बने हुए अस्थाई कैंप भी खोज सकते हैं जहां आकर साहसिक प्रेमी पर्यटक बड़े आराम से रूकते हैं और इस जगह के मनोरम दृश्यों का नजारा देखते हुए एंजाय करते हैं।
मीनमुट्टी झरना
मीनमुट्टी झरना, केरल का दूसरा और वायनाड जिले का सबसे खूबसूरत झरना है। इस झरने के नाम का मतलब होता है - जहां मछलियां ठहर गई, यह मलयालम भाषा का शब्द है। इस जगह का नाम ऐसा इसलिए रखा गया क्यूंकि यहां कुछ प्राकृतिक कारणों के चलते मछलियां तैर नहीं पाती। यह झरना 300 मीटर की ऊंचाई से गिरता है और गिरने के बाद तीन अन्य धाराओं में बंट जाता है, जो मीनमुट्टी झरने का सबसे प्रभावी और रोमांचक दृश्य लगता है।
पुकूट झील
पुकूट झील (या पूकोड झील) वायनाड में एक ताज़े पानी की झील है। यह झील घने जंगल के बीच स्थित है एवं केरल के प्रसिद्ध पिकनिक स्थलों में से एक है। आप झील के किनारे बैठ कर मनोरम दृश्यों को देखते हुए घंटों बिता सकते हैं या आप एक नौका किराए पर लेकर अपने परिवार के साथ नौका विहार पर जा सकते हैं।
सोचिप्पारा फॉल्स
कालपेट्टा के सोचिप्पारा झरने, क्षेत्र में सेंटीनेल रॉक झरने के नाम से लोकप्रिय है जो 100 से 300 फीट की ऊंचाई से गिरते हैं। यह झरने कालपेट्टा से 22 किमी. दूर मीप्पाडी के निकट स्थित हैं। मलयालम में सोचि का अर्थ होता है - नीडिल यानि सुई और पारा का अर्थ होता है पत्थर, इस प्रकार सोचिप्पारा इस झरने का नाम पड़ा। इस झरने के तीन हिस्से हैं जो मीनमुट्टी, कानथपारा और सुचिप्पारा में जाकर गिरते हैं। अंत में, यह तीनों धाराएं आगे बढकर चालीयार नदी में पहुंचकर मिल जाती हैं।
बाणासुर सागर बाँध
बाणासुर सागर बाँध कलपेट्ट शहर से 21 किमी दूर स्थित है एवं काबिनी नदी की एक सहायक नदी पर बनाया गया है। इस बाँध का निर्माण बाणासुर सागर परियोजना के अनुसार हुआ है। यह परियोजना 1979 में प्रारंभ हुई थी। यह परियोजना मुख्य रूप से उन क्षेत्रों के लिए नियमित जल आपूर्ति हेतु की गयी थी जिनमे गर्मियों के दौरान सूखे की परिस्थिति हो जाती थी।
कारापुझा बांध
कारापुझा बांध, भारत का सबसे बड़ा अर्थ डैम यानि पृथ्वी बांध है। यह बांध कालपेट्टा के शांत शहर से 16 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह बांध कारापुझा झील पर बना हुआ है। इस झील की विशेषता यह है कि इस झील में लगभग 12 अन्य झीलों का समावेश होता है। आप इन कई झीलों के बीच स्थित सुंदर जगह - जगह बिखरे पहाड़ों को भी देख सकते हैं।
कांथापारा फॉल्स
कांथापारा झरने, यहां आने वाले और नजारे देखने वाले हर व्यक्ति के लिए एक विनम्र स्थल है। यह झरना कालपेट्टा दक्षिणपूर्व से 12 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह एक और भव्य और खूबसूरत झरना है जो 30 मीटर की ऊंचाई से गिरता है। दोनो तरफ और आसपास स्थित चाय के बागानों के कारण, इस झरने की खूबसूरती में चार चांद लग जाते हैं।
एड़क्कल गुफाएँ
सुल्तान बत्तेरि से लग भग 12 कि.मी दूर एडक्कल की सुन्दर गुफाएँ नवपाषाण युग दौरान बनाई गई है। 1000 मीटर ऊँची अम्बुकुथी पहाड़ी पर स्थित यह गुफा हर साल हजारों यात्रियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इतिहास प्रेमियों और अन्य यात्रियों को इन गुफाओं पर की गई प्राचीन नक्काशी और लेखन काफी दिलचस्प लगते हैं। यह कुल 3 गुफाएँ है जो प्राचीन काल की मानव जीवनशैली का सबूत है।