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बेंगलुरू से देवरायनदुर्ग का सुहाना सफर

बेंगलुरू से देवरायनदुर्ग के अलग-अलग रूटों के बारे में पढ़ें।

By Goldi

दक्षिण भारत</a></strong> के खूबसूरत राज्य <strong><a href=कर्नाटक" title="दक्षिण भारत के खूबसूरत राज्य कर्नाटक" loading="lazy" width="100" height="56" />दक्षिण भारत के खूबसूरत राज्य कर्नाटक

अगर बाइकिंग का है शौक..तो बेंगलुरु के पास इन रोड ट्रिप्स को जरुर ट्राई करें!अगर बाइकिंग का है शौक..तो बेंगलुरु के पास इन रोड ट्रिप्स को जरुर ट्राई करें!

ये मंदिर समुद्रतट से 3940 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं। इस जगह का वास्‍तविक नाम अनेबिदासरी है जिसे बाद में मुखिया जदाका के नाम पर जदाकना दुर्ग नाम दिया गया और इसके बाद इसे चिक्‍का देवराज वोडेयर द्वारा देवरायनदुर्ग नाम दिया गया।

रूट मैप

रूट मैप

शुरुआती बिंदु : बेंगुलरू

गंतव्‍य : देवरायनदुर्ग

जाने का सही समय : मार्च से जून

ड्राइविंग

बेंगलुरू से देवरायनदुर्ग की दूरी 70 किमी है और बेंगलुरू शहर से इस हिल स्‍टेशन तक पहुंचने में आपको एक घंटे का समय लगेगा। देवरायनदुर्ग का ये रूट इस प्रकार है :

बेंगलुरू से नेलामंगला, दबास्‍पेत, मद्देनहल्‍ली, देवरायनदुर्ग तक एनएच 48। इस रूट पर आपको एक से दो घंटे का समय लगेगा। देवरायनदुर्ग तक जाने वाले सभी रास्‍ते दुरुस्‍त हैं और राज्‍य के प्रमुख शहरों से ये जगह हाईवे द्वारा जुड़ी हुई है।

इस सफर में आप बेंगुलुरू के बाहरी क्षेत्र के कुछ औद्योगिक क्षेत्रों से भी गुज़रेंगें जैसे पीन्‍या इंडस्ट्रियल एरिया। इसके साथ ही अन्‍य प्रमुख जगहें जैसे नेलामंगला, हेसाराघट्टा भी दिखेंगीं।

कैसे पहुंचे देवरायनदुर्ग

कैसे पहुंचे देवरायनदुर्ग

वायु मार्ग द्वारा : यहां से 83 किमी की दूरी पर स्थित केंपेगोवड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट निकटतम हवाई अड्डा है। ये एयरपोर्ट देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग द्वारा : यहां से 11 किमी दूर स्थित टुमकुर रेलवे स्‍टेशन निकटतम स्‍टेशन है। इस स्‍टेशन पर राज्‍य के कई हिस्‍सों और बेंगलुरू से ट्रेनें चलती हैं।

सड़क मार्ग द्वारा : देवरायनदुर्ग पहुंचने का सबसे बेहतर तरीका है सड़क मार्ग। आप बेंगलुरू से अपने निजी वाहन द्वारा भी यहां आ सकते हैं या फिर आप मैजेस्टिक बस स्‍टेशन से बस में भी जा सकते हैं।

PC:Aniket Suryavanshi

दबास्‍पेत में कहां रूकें

दबास्‍पेत में कहां रूकें

बेंगलुरू में ट्रैफिक से बचने के लिए अप अपनी यात्रा सुबह शुरू कर सकते हैं...अगर आपने नाश्ता नहीं किया है तो, हाईवे पर पहुंचकर खाने के विकल्पों को तलाश सकते हैं।

दबास्‍पेत में रूक कर नाश्‍ते में गर्मागरम डोसा खा सकते हैं। इससे आपको खूब एनर्जी मिलेगी। कई लोग हाईवे पर कामत रेस्‍टोरेंट में नाश्‍ता करते हैं। यहां से आगे का रास्‍ता 20 किमी रह जाता है जिसमें आपको आधे घंटे का समय लगेगा।PC:Pilar Sáenz

शिवगंगे

शिवगंगे

कर्नाटक में बेंगलुरू के ग्रामीण जिले दबास्‍पेत के पास स्थित है शिवगंगे। ये समुद्रतल से 2640 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस पर्वत का आकार शिवलिंग की तरह है जोकि भगवान शिव का ही रूप है। इसके पास ही एक नदी भी बहती है जिसे गंगा कहते हैं। इसी वजह से इस स्‍थान को शिवगंगे कहा जाता है।

शिवगंगे पर्वत शिवलिंग के आकार का है और इसके पास ही गंगा नदी भी बहती है। इन दो कारणों से ही इस जगह का नाम शिवगंगे पड़ा है। यहां पर आप रॉक क्‍लाइंबिंग और ट्रैकिंग का मज़ा ले सकते हैं। इस पर्वत से आसपास का बेहद सुंदर नज़ारा दिखाई देता है।PC:Dineshkannambadi

देवरायनदुर्ग

देवरायनदुर्ग

अपने शानदार नज़ारों के लिए मशहूर है देवरायनदुर्ग। इसके अलावा ये पर्वत भगवान नरसिम्‍हा को समर्पित ऐतिहासिक मंदिरों के लिए भी प्रसिद्ध है।

ये मंदिर द्रविड शैली की स्‍थापत्‍य कला में बना है और ऐसा माना जाता है कि इसे कांतिराव नासराज ने बनवाया था। वह उस समय मैसूर के राजा हुआ करते थे।

यहां पर दो मंदिर हैं जिनमें से एक पर्वत की तलहटी में भोगनरसिम्‍हा को समर्पित है और दूसरा पर्वत के शिखर पर योगनरसिम्‍हा को समर्पित है।

इसके अलावा यहां पर और मंदिर भी हैं जो लक्ष्‍मी नरसिम्‍हा, हनुमान जी और गरुड़ भगवान को समर्पित हैं। नरसिम्‍हा मंदिर से भी अधिक प्राचीन माना जाता है हनुमान मंदिर। यहां पर हनुमान जी को संजीवराया के नाम से जाना जाता है।PC:Srinivasa83

नमादा चिलुमे

नमादा चिलुमे

पर्वत की तलहटी में बसा है प्राकृतिक झरना जिसे नमादा चिलुमे कहते हैं। किवदंती है कि वनवास काल के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्‍मण जी ने इस पर्वत पर शरण ली थी।

माथे पर तिलक के लिए भगवान राम जल की खोज कर रहे थे किंतु उन्‍हें कहीं भी जल नज़र नहीं आया। तब उन्‍होंने एक पत्‍थर पर अपने बाण से छेद किया था जिससे पानी बाहर बहने लगा था।PC: AjithBhat

गोरावनहल्‍ली

गोरावनहल्‍ली

यहां से 20 किमी की दूरी पर ही स्थित है गोरावनहल्‍ली। ये मंदिर मां लक्ष्‍मी को समर्पित है। माना जाता है कि इस मंदिर में स्‍थापित मूर्ति स्‍वयंभू है और माता रानी अपने भक्तों की मुराद जल्‍द पूरी भी करती हैं।

PC:Raja Ravi Varma

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