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वो 250 किलोमीटर जो कर दें आपके टेंशन को छू मंतर हो जाएंगे आप रिलैक्स और फ़्रेश

By Syedbelal

क्या आप ऑफिस में अपनी कुर्सी पर बैठे और कंप्यूटर और लैपटॉप को देखते हुए, उसपर काम करते हुए बोर हो गये हैं। साथ ही आप बस इस इंतेजार में हैं कि कैसे वीकेंड आये। वीकेंड आने में भी ज्यादा दिन नहीं बचे हैं तो क्यों न इस वीकेंड बैंगलोर से सकलेशपुर तक वाया रोड जाया जाये और अपने वीकेंड को रोमांचक और यादगार बनाया जाये।

<strong><span style=पार्टी,फन,मौजमस्ती और हैंगआउट के लिए सिर्फ़ नम्मा बैंगलोर" title="पार्टी,फन,मौजमस्ती और हैंगआउट के लिए सिर्फ़ नम्मा बैंगलोर" loading="lazy" width="100" height="56" />पार्टी,फन,मौजमस्ती और हैंगआउट के लिए सिर्फ़ नम्मा बैंगलोर

जी हां आज हम आपको अपने इस आर्टिकल के जरिये बताएँगे कि कैसे आप इस वीकेंड को हमेशा के लिए यादगार बना सकते हैं। तो चलिए आगे बढ़ने से पहले आपको अवगत करा दें सकलेशपुर के बारे में। सकलेशपुर, पश्चिमी घाटों में बसा एक छोटा सा सुंदर हिल स्टेशन है जो ताज़गी प्रदान करता है। यह शहर 949 मीटर की ऊँचाई पर है और बंगलोर-मैसूर राजमार्ग के पास होने के कारण यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है।

<strong><span style= तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर का दिव्य दर्शन" title=" तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर का दिव्य दर्शन" loading="lazy" width="100" height="56" /> तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर का दिव्य दर्शन

हासन जि़ले का भाग सकलेशपुर, भारत में कॉफ़ी और इलायची का एक बड़ा उत्पादक है। तो अब देर किस बात की आज ही टिकट बुक कराइए और निकल जाइए सकलेशपुर की यात्रा पर। अधिक जानकारी के लिए स्लाइड्स पर क्लिक करना न भूलें।

बैंगलोर से यात्रा की शुरुआत

बैंगलोर से यात्रा की शुरुआत

हमारी इस यात्रा की शुरुआत हो रही है बैंगलोर से। आपको बता दें कि बैंगलोर से सकलेश्पुर की दूरी 270 किलोमीटर है और आप 5 घंटे की यात्रा के बाद यहां पहुँच सकते हैं। साथ ही इस यात्रा में हम हासन, बेलूर और श्रवणबेलगोला जैसे स्थानों को भी कवर करेंगे।

श्रवणबेलगोला

श्रवणबेलगोला

श्रवणबेलगोला एक धार्मिक स्थल है जहां गोमतेश्वर की 17.5 मीटर ऊंची मूर्ति आपको श्रवणबेलगोला में कदम रखने से पूर्व ही दूर से दिखाई पड़ती है। 978 ई0 की यह मूर्ति इस बात का प्रमाण है कि श्रवणबेलगोला सदियों से सर्वाधिक महत्वपूर्ण जैन तीर्थस्थल रहा है। आपको बता दें कि श्रवणबेलगोला का शाब्दिक अर्थ है श्वेत सरोवर का महन्त। यहां मूर्ति के अलावा, श्रवणबेलगोला में इतिहास की कुछ अन्य झलकियां भी दिखाई देती हैं। माना जाता है कि सम्राट चंद्रगुप्त नें वर्षों के युद्ध व राजकीय षडयंत्रों से थककर शांति की खोज में श्रवणबेलगोला की पहाड़ियों में शरण ली थी।

हासन

हासन

चन्ना कृष्णप्पा नाइक द्वारा 11वीं शताब्दी में स्थापित हासन शहर का शुमार कर्नाटक के अलावा भारत के प्राचीन शहरों में होता है । स्थानीय देवी हासनअम्बा के नाम पर नामित यह जिला कर्नाटक की स्थापत्य कला की राजधानी है। होयसाल राजाओं की समृद्ध संस्कृति को पूरे जिले में देखा जा सकता है। इस शहर की ख़ास बात ये है कि यहां आपको जगह जगह भगवान शिव के मंदिर देखने को मिलेंगे। गौरतलब है कि अपने ऐतिहासिक महत्व के लिये जाना जाने वाला हासन अब एक शहर है जो बड़ी तेजी से विकसित हुआ है।

बेलूर

बेलूर

बेलूर, कर्नाटक के सबसे प्रसिद्ध स्‍थलों में से एक है। यह हसन जिले में स्थित है, इसे मंदिरों का शहर भी कहा जाता है जो बंगलौर से 220 किमी. की दूरी पर स्थित है। यह शहर यागची नदी के किनारे बसा हुआ है, बेलूर को दक्षिण का काशी भी कहा जाता है, क्‍योंकि यहां काफी मंदिर है।

हलेबीडू

हलेबीडू

हलेबीडू किसी ज़माने में होयसाला राजवंश की राजधानी हुआ करता था जिसे द्वारासमुन्द्रके नाम से जाना जाता था। होयसालेश्वर और शांतलेश्वर यहां के दो बेहद लोकप्रिय मंदिर हैं जिनकी यात्रा आपको अवश्य करनी चाहिए। हालांकि होयसाला राजवंश के ज्यादातर शासक जैन धर्म के थे लेकिन इसकी बावजूद आपको यहां कई शिव मंदिर दिखेंगे।

सकलेशपुर

सकलेशपुर

सकलेशपुर, पश्चिमी घाटों में बसा एक छोटा सा सुंदर हिल स्टेशन है जो ताज़गी प्रदान करता है। यह शहर 949 मीटर की ऊँचाई पर है और बंगलोर-मैसूर राजमार्ग के पास होने के कारण यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। हसन जि़ले का भाग, सकलेशपुर, भारत में काफी और इलायची का एक बड़ा उत्पादक है।

कुमार पर्वत

कुमार पर्वत

यदि आप कुछ तूफानी करने और एडवेंचर के शौक़ीन हैं तो आप कुमार पर्वत की यात्रा अवश्य करें। यहां ट्रैकिंग के कई विकल्प मौजूद हैं। इस स्थान पर एक सुब्रमण्या मंदिर भी है जिसे आपको अवश्य देखना चाहिए।

मंजराबाद का किला

मंजराबाद का किला

सकलेशपुर आने पर राष्ट्रीय राजमार्ग 48 पर स्थित मंजराबाद का किला अवष्य देखना चाहिए। इस्लामिक वास्तुकला शैली और धनुषाकार प्रवेशद्वार को दर्शाता यह किला समुद्रतल से 3240 फीट ऊपर है। एक सुरक्षित स्थान बनाने के नज़रिए से मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने इस किले को बनवाया था। यह किला इसलिए उचित था क्योंकि यह उन सभी रास्तों को रोकता था जो पास के तटीय क्षेत्रों से सकलेशपुर के पीछे बने पठार तक पहुँचने के लिए प्रयोग किया जा सकता था। टीपू सुल्तान के शासनकाल में यह किला गोला बारूद रखने और मंगलोर से उनकी ओर आने वाले अंग्रेज़ों पर नज़र रखने के लिए उपयोग किया जाता था। मंजराबाद का किला एक छोटी पहाड़ी पर बना है और अन्य किलों के विपरीत केवल एक ही निर्माण स्तर पर आधारित है।

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