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बैंगलोर से बांदीपुर के सफर में लें वन्‍यजीवों को देखने का मज़ा

दक्षिण भारत का प्रसिद्ध वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य है बांदीपुर नेशनल पार्क जिसकी स्‍थापना प्रोजेक्‍ट टाइगर के अंर्तगत साल 1974 में की गई थी। सफर में बांदीपुर नेशनल पार्क सफारी के समय के बारे में पढ़ें।

By Namrata Shatsri

दक्षिण भारत </a></strong>का प्रसिद्ध<strong><a href= वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य " title="दक्षिण भारत का प्रसिद्ध वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य " loading="lazy" width="100" height="56" />दक्षिण भारत का प्रसिद्ध वन्‍यजीव अभ्‍यारण्‍य

बांदीपुर में कई दुर्लभ प्रजातियों के जानवर जैसे भारतीय हाथी, बाघ, इंडियन रॉक पायथन, गौर आदि देख सकते ळैं। इसके अलावा वनस्‍पतियों की प्रजाति जैसे टीक, रोज़वुड, चंदन की लकड़ी आदि देख सकते हैं। यहां पर पक्षियों की भी कई प्रजातियां देखने का मौका मिलेगा। प्रकृति को करीब से देखने के लिए ये जगह सबसे बेहतर मानी जाती है।

नेचर लवर हैं अगर आप, तो अवश्य करें हिमाचल के कांगड़ा के इन अट्रैक्शनों की सैरनेचर लवर हैं अगर आप, तो अवश्य करें हिमाचल के कांगड़ा के इन अट्रैक्शनों की सैर

बांदीपुर नेशनल पार्क आने का सही समयबांदीपुर आने का सही समय अक्‍टूबर से मई तक है। इस दौरान यहां का मौसम सुहावना और ठंडा रहता है।

सफारी डिटेल्‍स

शुल्‍क : भारतीयों के लिए प्रति व्‍यक्‍ति 300 रुपए और विदेशियों के लिए प्रति व्‍यक्‍ति 110 रुपए शुल्‍क है।
समय : सफारी दिन में सिर्फ दो बार ही होती है। सुबह 6.30 बजे से 8.30 बजे और फिर शाम को 3.30 बजे से 5.30 बजे।

बैंगलोर से बांदीपुर का रूट

बैंगलोर से बांदीपुर का रूट

रूट 1 : एनआईसीई बेंगलुरु - मैसूर एक्सप्रेसवे - रामनगर - चन्‍नापाटना - मंड्या (एनएच 275) - मैसूर - नंजानगुड़ (एनएच 766) - एनएच 181 - बांदीपुर (230 किमी - 4 घंटे 30 मिनट)

रूट 2 : सीएनआर रोड़ अंडरपास / सीवी रमन रोड़ - एनएच 75 - एनएच 150 ए - एनएच 766 - एनएच 181 - बांदीपुर (268 किमी - 5 घंटे 15 मिनट)

रूट 3 : एनआईसीई बैंगलोर - मैसूर एक्सप्रेसवे - एनएच 209 - मलावल्ली - मैसूर - एनएच 766 - एनएच 181 - बांदीपुर (235 किमी - 5 घंटे)

रास्‍ते में इन जगहों को भी देख सकते हैं :

बिदादी

बिदादी

बैंगलोर के बाहरी इलाके में स्थित है बिदादी शहर। बिदादी शहर में दो पसंदीदा जगहें स्थित हैं। इनो‍वेटिव फिल्‍म सिटी और वंडरला एम्‍यूज़मेंट पार्क। बैंगलोर से 40 किमी दूर स्थित यह जगह बैंगलोर वासियों की पसंदीदा जगह है। बिदादी थट्टे इडली के लिए भी प्रसिद्ध है।PC:Rameshng

रामनगर

रामनगर

इस जगह को टीपू सुल्‍तान के शासनकाल के दौरान शमशेराबाद के नाम से जाना जाता था। रामनगर में आप रामदेवरा बेट्टा गिद्ध अभ्‍यारण्‍य देख सकते हैं जहां लगभग 20 विलुप्‍त और दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी रहते हैं। रामनगर में विशेष रूप से रेशम का उत्‍पादन किया जाता है। रामनगर के जनपद लोका लोक कला संग्रहालय में खाना बनाने, कृषि, स्‍टोव और पशुओं के जाल जैसी 5000 से भी ज्‍यादा कलाकृतियां रखी हुईं हैं।

PC: Vaibhavcho

चन्‍नापटना

चन्‍नापटना

खिलौनों के अलावा चन्‍नापटना नारियल के उत्‍पादों और कच्‍चे रेशम के लिए भी मशहूर है। ये सभी किफायती दाम पर यहां मिल जाता है। चन्‍नापटना एक छोटा सा धार्मिक स्‍थल भी है जहां आप अनेक मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। चन्‍नापटना में पर्यटकों के बीच दोड्डा अलादा मारा काफी मशहूर है। चन्‍नापटना लकड़ी से बने खिलौनों के लिए मशहूर है।

PC:Hari Prasad Nadig

रंगनाथिट्टू पक्षी अभ्‍यारण्‍य

रंगनाथिट्टू पक्षी अभ्‍यारण्‍य

चन्‍नापटना से 70 किमी दूर स्थित है रंगनाथिट्टू पक्षी अभ्‍याण्‍य एवं यह कर्नाटक का सबसे बड़ा अभ्‍यारण्‍य है। यहां पर अलग-अलग लगभग 170 पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं जैसे पेंटेड स्‍टोर्क, एशियन ओपनबिल स्‍टोर्क, कॉमन स्‍पूनबिल, ब्‍लैक हैडेड आईबिस आदि।

रंगनाथिट्टू पक्षी अभ्‍यारण्‍य आने हा सही समय दिसंबर के मध्‍य है क्‍योंकि इस दौरान इस जगह पर 40,000 पक्षी प्रवास करते हैं। इस मौसम में आप साइबेरिया और लैटिन अमेरिका पक्षी देख सकते हैं।

PC:_paVan_

कृष्‍ण राज सागर जलाशय

कृष्‍ण राज सागर जलाशय

कावेरी नदी पर बने कृष्‍ण राज सागर को केआरएस बांध के नाम से भी जाना जाता है। ये एक मशहूर पर्यटन स्‍थल है। इस बांध से मंड्या, बैंगलोर और मैसूर जैसे शहरों में पीने का पानी पहुंचाया जाता है। वृंदावन गार्डन एक खूबसूरत बोटानिकल गार्डन भी देख सकते हैं जहां म्‍यूजिकल फाउंटेन देखने का मौका मिलेगा। पार्क में स्थित झील में आप बोटिंग का मज़ा भी ले सकते हैं।PC:original photographer

मैसूर

मैसूर

मैसूर को माइसुरू के नाम से भी जाना जाता है। माइसुरू को इसकी प्राचीन संरचनाओं और महलों के लिए भी जाना जाता है जिसमें मैसूर महल और चामुंडी पर्वत जैसे कई नाम शामिल हैं। ये शहर दसारा उत्‍सव के लिए प्रसिद्ध है। इस त्‍योहार की तैयारी यहां एक सप्‍ताह पूर्व ही शुरु हो जाती हैं।

मैसूर दसारा,मैसूर पेंटिंग के साथ-साथ मैसूर पाक के लिए भी ये शहर लोकप्रिय है। यहां का मैसूर सैंडल सोप, मैसूर सिल्‍क साड़ी जैसी कई चीज़ें भी मशहूर हैं।

मैसूर में आप श्री छामराजेंद्र जूलॉजिकल गार्डन, सैंट फिलोमिना चर्च, करनणजी झरल, वृंदावन गार्डन, केआरएस बांध और जंगनमोहन पैलेस देख सकते हैं।PC:Ezhuttukari

बांदीपुर नेशनल पार्क

बांदीपुर नेशनल पार्क

बांदीपुर नेशनल पार्क में आप कई वन्‍यजीवों जैसे जंगली कुत्ते, चीता, वाइल्‍ड बोअर, चिताल और गौर देख सकते हैं। जंगल की बाउंड्री पर आप बांदीपुर सफारी लॉज में भी रूक सकते हैं जोकि कुछ किलोमीटर दूर स्थित है।

बांदीपुर के जंगल में नेचर वॉक की सुविधा है और यहां पर आप सफारी लॉज में रातभर ठहर भी सकते हैं। यहां एक रात ठहरने का अनुभव आपको उम्र भर याद रहेगा। सफारी के अलावा रिजॉर्ट में कैंप फायर की सुविधा और खाने के लिए रेस्‍टोरेंट भी उपलब्‍ध हैं।

PC:Nikhilvrma

हिमवाद गोपालस्‍वामी बेट्टा

हिमवाद गोपालस्‍वामी बेट्टा

हिमवाद गोपालस्‍वामी पर्वत बांदीपुर के केंद्र में 1450 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस पर्वत पर सालभर धुंध रहती है और इसी वजह से इस पर्वत को हिमवाद कहा जाता है। पर्वत पर कभी-कभी जंगली हाथी भी दिखते हैं।

भगवान कृष्‍ण को समर्पित गोपालस्‍वामी मंदिर पहाड़ी की चोटि पर स्थित है। पहाड़ी की चोटि पर निजी वाहन नहीं जा सकते हालांकि केएसआरटीसी बसों द्वारा 40 रुपए के किराए पर पहाड़ी की चोटि पर पहुंचाने और उतारने की सुविधा उपलब्‍ध है।

PC:Jobycv2k3

मदुमलई नेशनल पार्क

मदुमलई नेशनल पार्क

मदुमलई नेशनल पार्क, बांदीपुर से 20 किमी दूर है। यहां पर सफारी सुबह 9 बजे खत्‍म हो जाती है। जंगल में आप 30 मिनट की सफारी का मज़ा ले सकते हैं जिसमें आप बंगाल टाइगर, गौर और भारतीय चीता देख सकते हैं। मसिनगुड़ी में खुली जीप में नाइट सफारी का मज़ा ले सकते है। इस सुविधा के लिए यहां विशेषज्ञ मौजूद रहते हैं।PC:Bikash Das

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