एक प्रकृति प्रेमी के लिए वन्यजीव अभयारण्यों से अच्छी जगह कोई हो ही नहीं सकती है। कुदरत की खूबसूरती का आनंद उठाने के लिए वन सबसे आदर्श माने जाते हैं। आधुनिक जीवन से दूर ये वन्य अभयारण्य मौलिकता का अनुभव कराते हैं। जानवर, वनस्पति और जीवों की कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर ये गंतव्य इंसान का प्रकृति से गठजोड़ गहरा करने का काम करते हैं। भारत में कई बड़े-छोटे राष्ट्रीय उद्यान मौजूद हैं जहां आप इन गर्मियों कुछ रोमांचक और आनंददायक अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।
अब तो वन्य विभाग द्वारा सैलानियों को ढेरों सुविधाएं मुहैया करवाई जाती है, जिससे कि पर्यटक जंगल भ्रमण अच्छी तरह कर पाएं। इस खास लेख में जानिए महाराष्ट्र के चुनिंदा कुछ खास वन्यजीव अभयारण्यों के बारे में, जानिए पर्यटन के लिहाज से ये आपके लिए कितने खास हैं।
नागझिरा वन्यजीव अभयारण्य
इग्ज़ाटिक मछली प्रजातियों, कीड़ें और चीटिंयां का घर नागझिरा वन्यजीव अभयारण्य अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जाना जाता है। अगर आपकी किस्मत अच्छी रही तो आप यहां बाघ, नीलगाई, भालू, जंगली कुत्ते, तेंदुआ यहां तक कि सांभर भी देख सकते हैं। इसके अलावा यह वन अपनी विभिन्न पक्षी प्रजातियों के लिए भी जाना जाता है।
पक्षियों और उभयचरों की 100 से अधिक प्रजातियों के साथ नागझिरा वन्यजीव अभयारण्य महाराष्ट्र के भंडारा जिला और गोंडिया जिले के मध्य स्थित है।
प्राकृतिक खूबसूरती का लुफ्त उठाने के लिए यह स्थान काफी खास है। नागझिरा में आप झीलों की खूबसूरती का भी आनंद ले सकते हैं। यहां की नागाज़िर, मालुतोला, बोडबाडिया काफी खास मानी जाती हैं। परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए यह स्थान काफी खास है।
कोयना वन्यजीव अभयारण्य
कोयना वन्यजीव अभयारण्य महाराष्ट्र के सबसे खास अभयारण्यों में गिना जाता है। अपने रोमांचक अनुभव के लिए प्रसिद्ध कोयना में आप रॉयल बंगाल टाइगर को देखने का मौका मिलेगा। इसके अलावा ये जंगल भारतीय तेंदुआ, बाइसन, भालू, हिरण, चिकना-लेपित और भारतीय विशालकाय गिलहरी को भी देख सकते हैं।
कोयना वन्यजीव अभयारण्य प्राकृतिक खूबसूरती से सराबोर है। गर्मियों के दौरान परिवार या दोस्तों के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करने के लिए यह स्थान सबसे खास है। यदी आपकी किस्मत अच्छी रही तो आपको यहां भारतीय अजगर, किंग कोबरा जैसे खतरनाक जीवों को देखने का मौका भी मिल सकता है।
राज्य के सातारा जिले में स्थित ये अभयारण्य पश्चिमी घाट के अंदर लगभग 423 किमी तक फैला है। यहां की तीन नदियां कोयाना, कंदती और सोलाशी अभयारण्य को खास बनाने का काम करती हैं।
भीमाशंकर वन्यजीव अभयारण्य
भारतीय विशालकाय गिलहरी का घर कहा जाने वाला महाराष्ट्र का यह अभयारण्य सह्याद्री पहाड़ियों के मध्य 131 किमी के क्षेत्र से अधिक में फैला हुआ है। यहां पाई जाने वाली विशालकाय गिलहरी लगभग 3 फीट लंबी होती है। जीवों और वनस्पति सुरक्षा के लिए इस अभयारण्य की स्थापना वर्ष 1984 में की गई थी।
इस अभयारण्य में आप ग्रे जंगल फाउल, लकड़बग्घा , लंगुर, जंगली सूअर, भौकने वाली हिरण और तेंदुए जैसे जानवरों को आसानी से देख सकते हैं। बता दें कि इस जंगल के अंदर शिव मंदिर भी स्थापित है। कृष्णा नदी की सहायक नदियों (भीमा और घोद ) का श्रोत यही जंगल है।
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ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व
PC- Saumitra Newalkar
जैसा कि नाम से पता चल रहा है कि यहां बाघों की बहुतायत है। चंद्रपुर जिले में स्थित यह टाइगर रिजर्व महाराष्ट्र का सबसे पुराना अभयारण्य है। इस जंगल का नाम स्थानिय आदिवासियों द्वारा उनके भगवान "ताडोबा" या "तारू" के नाम पर रखा गया है, जबकि अंधारी यहां बहने वाली नदी के नाम पर रखा गया है। इस जंगल में भगवान तारू को समर्पित एक विशाल पेड़ के नीचे एक मंदिर भी स्थापित है।
दिसंबर-जनवरी के महीनों में आयोजित होने वाले वार्षिक मेले के दौरान यहां स्थानीय लोग और पर्यटक इस मंदिर में जाते हैं। बंगाल टाइगर के अलावा आप यहां भारतीय तेंदुआ, नीलगाई, लकड़बग्घा, जंगल बिल्ली, चौसिंग, मगरमच्छ स्टार कछुआ, भारतीय अजगर, कोबरा और विभिन्न पक्षी और तितलि प्रजातियों के भी देख सकते हैं।
कलसुबाई हरिश्चंद्र गढ़ वन्यजीव अभयारण्य
उपरोक्त स्थानों के अलावा आप कलसुबाई हरिश्चंद्र गढ़ वन्यजीव अभयारण्य की सैर का भी आनंद ले सकते हैं। अहमदनगर के अकोला जिले में स्थित इस अभयारण्य में आप कई स्तनधारी जीवों को देख सकते हैं, जिनमें जंगली बिल्ली, मोंगोज़, लकड़बग्घा, भेड़िया, जंगली सूअर, सांभर, खरगोश आदि जीवों को देख सकते हैं।
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