सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाईयर तिब्बती स्टडी ( सीआईएचटीएस ) को वाराणसी में पंडित जवाहर लाल नेहरू ( भारत के प्रथम प्रधानमंत्री ) ने 1967 में दलाई लामा के साथ परामर्श के बाद स्थापित किया था। सीआईएचटीएस उन युवा पुरूषों और महिलाओं के लिए...
मान मंदिर घाट को 1585 में बनाया गया था, इस घाट को अम्बेर यानि अजमेर के राजा सवाई राजा मान सिंह ने बनवाया था, जिसके कारण इस घाट का नाम मान मंदिर घाट पड़ गया। मान मंदिर घाट को पहले सोमेश्वर घाट के नाम से जाना जाता है। महाराजा जयसिंह के द्वारा 1730 में एक...
वाराणसी मंदिरों का शहर है जहां प्रत्येक धर्म जैसे - हिंदू, बौद्ध, जैन, और इस्लाम का प्रतिनिधित्व करने वाले धार्मिक स्थल बने हुए है। शहर और उसके आसपास के क्षेत्रों में पांच जैन तीर्थंकर - संत प्रचारक - सुपरशव, पार्श्वनाथ, श्रेयास,चंदाप्राफु...
अस्सी घाट, पर्यटकों, शोधकर्ताओं, इजरायल के सैनिकों ( वह सैनिक जो सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद घूमना पसंद करते है ) का पसंदीदा गंतव्य स्थल है, यह घाट गंगा नदी के दक्षिणी क्षेत्र में स्थित है। अस्सी घाट, अस्सी नदी और गंगा नदी...
रामनगर किला और संग्रहालय, गंगा नदी के दाएं किनारे पर स्थित है। यह किला, राजा बलवंत सिंह का शाही निवास था जिसे 17 वीं शताब्दी में बनवाया गया था। रामनगर वह स्थल है जहां वेदव्यास के रचयिता ने तप किया था। वास्तव में, उनके तप करने के बाद इस...
पंचगंगा घाट को पंचगंगा इसलिए कहा जाता है क्योकि इसे पांच नदियों - गंगा, सरस्वती, धुपापापा, यमुना और किरना के संगम पर बनाया गया है। इन पांच नदियों में से केवल गंगा को देखा जा सकता है, बाकी की चार नदियां पृथ्वी में समा गई। इस घाट को वाराणसी के सबसे...
नये विश्वनाथ मंदिर की स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय ने की थी, पंडित जी ने ही बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को स्थापित किया था। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। 252 फीट ऊंचे इस श्राइन की नींव मार्च, 1931 में रखी गई थी और इसे पूरा होने में लगभग तीन...
मणिकर्णिका घाट, वाराणसी का सबसे पुराना घाट है, इस घाट के साथ कई पौराणिक कथाएं जुडी हुई है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने अपनी पत्नी पार्वती को अकेला छोड़कर यहां काफी समय बिताया था। देवी ने गंगा नदी के तट पर अपनी कमाई खो देने के बारे में बतलाया और...
काशी विद्यापीठ का नाम 1995 में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ कर दिया गया था, जिसे अंग्रेजों के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था। काशी विद्यापीठ को स्थापित करने का विशेष श्रेय बाबू शिव प्रसाद...
हनुमान घाट, जूना अखाड़ा के पास स्थित है, जो वाराणसी का एक प्रसिद्ध धार्मिक संप्रदाय है। इस घाट को पहले रामेश्वरम घाट के नाम से जाना जाता था, क्योंकि लोगों का मानना है कि इस घाट को भगवान राम ने स्वंय अपने वफादार भक्त हनुमान के लिए बनाया था।
...दरभंगा घाट, वाराणसी के दशाश्वमेध घाट और राणा महल घाट के बीच में स्थित है। इस घाट का नाम दरभंगा शाही परिवार के नाम पर रखा गया था। इस घाट के अलावा, दरभंगा शाही परिवार ने 1900 के शुरूआत में गंगा नदी के तट पर एक भव्य महल का निर्माण करवाया था, जहां वह लोग...
राणा महल घाट के नाम से ही स्पष्ट है कि इसे किसी राजपूत द्वारा बनवाया गया होगा। वास्तव में इस घाट को एक राजपूत सरदार द्वारा 1670 में बनवाया गया था, जो उदयपुर का महाराणा था। यह घाट, दरभंगा घाट और चौसेती घाट के बीच में स्थित है और इसके दक्षिणी किनारे...
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय को बीएचयू के नाम से भी जाना जाता है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना पंडित मदन मोहन मालवीय के द्वारा की गई थी, जो एक देशभक्त, समाज सुधारक, शिक्षाविद् और राजनीतिक कार्यकर्ता थे,जिन्होने अपना जीवन समाज के उत्थान के...
दशाश्वमेध घाट, वाराणसी के गंगा नदी के किनारे स्थित सभी घाटों में सबसे प्राचीन और शानदार घाट है। इस घाट का इतिहास हजारों साल पुराना है। दशाश्वमेध का अर्थ होता है दस घोड़ों का बलिदान। किंवदंतियों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने भगवान शिव को निर्वासन से...
दुर्गा मंदिर, माता दुर्गा को समर्पित है। यह मंदिर वाराणसी के रामनगर में स्थित है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण एक बंगाली महारानी ने 18 वीं सदी में करवाया था। वर्तमान में यह मंदिर बनारस के शाही परिवार के नियंत्रण में आता है। यह मंदिर, भारतीय...