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एकम्बरेश्वर मंदिर की यात्रा

एकम्बरेश्वर मंदिर, कांचीपुरम का सबसे बड़ा मंदिर है। भगवान शिव को यहां पृथ्वी के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय स्थापत्य कला का एक अदभुत उदाहरण है।
Kishan Gupta
Created by potrace 1.15, written by Peter Selinger 2001-2017
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एकम्बरेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। हजारों वर्ष पुराने इस 11 मंजिल वाले मंदिर में भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है।
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एकम्बरेश्वर मंदिर की नींव सातवीं शाताब्दी में पल्लव वंश द्वारा की गई थी। इसके बाद 10वीं सदी में आदि शंकराचार्य ने इस मंदिर का पुनः निर्माण कराया।
एकम्बरेश्वर मंदिर को पंचभूत स्थलम के 5 पवित्र शिव मंदिरों में से एक का दर्जा प्राप्त है और यह धरती तत्व का प्रतिनिधित्व करता है। द्रविड़ स्थापत्य शैली में निर्मित यह मंदिर दक्षिण के सबसे ऊंचे मंदिरों में से एक है।
विजयनगर के राजा कृष्णदेवराय द्वारा 59 मीटर ऊंचा गोपुरम (एकम्बरेश्वर मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार) बनवाया गया था। इस मंदिर में 5 बड़े गलियारे भी है, जो इस मंदिर को और भी भव्य बनाते हैं।
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एकम्बरेश्वर मंदिर के अंदर ढाई फीट लंबा बालू से निर्मित एक शिवलिंग बना हुआ है, जिसका तेलाभिषेक किया जाता है। इसके पास भक्तों को जाने की अनुमति नहीं है।
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एकम्बरेश्वर मंदिर के परिसर में कुल मिलाकर 1008 शिवलिंग स्थापित किए गए है। परिसर में मंडप युक्त एक सुंदर तालाब भी है, जिसे शिवगंगा तीर्थ कहा जाता हैं।
Created by potrace 1.15, written by Peter Selinger 2001-2017
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एकम्बरेश्वर मंदिर के परिसर में ही एक आम का वृक्ष है, जो करीब 3500 साल पुराना है। यह पेड़ दैवीय शक्तियों से परिपूर्ण है, जिसके हर डाली पर अलग-अलग स्वाद के आम उगते हैं।
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ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने यहां शिव की उपासना की थी और भगवान शिव आम के पेड़ के रूप में प्रकट हुए थे। तभी से यह मंदिर एकम्बरेश्वर मंदिर के नाम से जाने जाना लगा।
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