9 मई को देश के प्रतापी राजा महाराणा प्रताप की जयंती मनायी जा रही है। एक नज़र राजपूतों के किलों पर...
Ajay Mohan
महाराणा प्रताप का पूरा नाम महाराणा सिंह सिसोदिया था, जिनका जन्म 9 मई 1540 को हुआ था। वे उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजपूत राजवंश के राजा थे।
महाराणा प्रताप का नाम इतिहास में वीरता, त्याग, शौर्य और पराक्रम के लिए जाना जाता है। उन्हें मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं थी इसलिए कई सालों तक उन्होंने संघर्ष किया।
वीरता और पराक्रम
मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप का जन्म कुंभलगढ़ किले में ही हुआ था। यह किला उदरयपुर से 84 किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित है। इस किले की दीवार चीन की दीवार औार वॉल आफ गोरगांव ईरान के बाद विश्व में तीसरे नंबर पर आती है।
एक नज़र किलों पर
यह देश के सबसे बड़े किलों में से एक है जो करीब 280 एकड़ जमीन पर बना हुआ है। इस कोर्ट में 65 ऐतिहासिक ढांचें संरक्षित हैं, जिनमें 19 बड़े मंदिर और 20 जलाशय शामिल हैं।
चित्तौड़गढ़ का किला
इस किले का निर्माण 1459 में किया गया था। यह किला जोधपुर से 122 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मुगलों पर राजपूतों की विजय का प्रतीक है।
मेहरानगढ़ का किला
अरावली की पहाड़ियों पर बने इस किले से पूरा जयपुर देख सकते हैं। इसका निर्माण 1734 में में हुआ था। 1857 की जंग के दौरान ब्रिटिश महिलाओं और बच्चों को यहीं पर पनाह दी गई थी।
नाहरगढ़ का किला
सवाई माधोपुर की यह सबसे पुरानी इमारत है। इसका निर्माण आठवीं शताब्दी में किया गया था। 1226 में दिल्ली के सुल्तान इतुतमिश ने इस पर कब्जा कर लिया था, लेकिन राजपूतों ने 1236 में इसे फिर से वापस जीत लिया।
रणथम्भोर का किला
आमेर का किला राजपूत राजा सवाई जय सिंह ने बनवाया था। यह राजपूत आर्किटेक्चर का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। यह लाल पत्थर और संगमरमर का बना है। हर साल 15 लाख लोग इसे देखने आते हैं।
आमेर का किला
इस किले का निर्माण 1156 में किया गया था। इसे पीले पत्थर से बनवाया गया, जिसकी वजह से जब सूरज ढलता है, तब यह सोने की तरह दिखता है। इसलिए इसे स्वर्ण किला भी कहा जाता है।