त्रिवेणी का किनारा मुख्य रूप से तीन नदियों पंचानन्द, सोनाहा और गंडक का पवित्र संगम है। यह वेस्ट चंपारण के उत्तर पश्चिम में स्थित है। प्रत्येक वर्ष “मकर संक्रांति” के पवित्र अवसर पर यहाँ एक बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। इसे ‘पवित्र नदियों...
सुमेस्वर किला एक ऐतिहासिक किला है जो सुमेस्वर पहाड़ियों पर, पश्चिम चंपारण और नेपाल की सीमा पर स्थित है। यह किला जो एक शार्प क्लिफ पर खड़ा है अब भग्नावस्था में है। परंतु ये अवशेष भी अच्छी तरह से परिभाषित हैं और पर्यटक इसका आनंद उठा सकते हैं। यहाँ से हिमालय की...
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में भितिहरावा आश्रम का महत्वपूर्ण स्थान है। यही वह स्थान है जहाँ से भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने अपना स्वतंत्रता आन्दोलन प्रारंभ किया था जिसे “चंपारण सत्याग्रह” के नाम से जाना जाता है।
सरैया मन एक सुंदर झील है जो पश्चिम चंपारण का एक प्राकृतिक पर्यटन स्थल है और यह बीतिया शहर से 6 किमी दूर स्थित है। सरैया मन में कई प्रवासी पक्षी आते हैं और आपको यहाँ अवश्य आना चाहिए।
बृंदावन, ‘ऑल इंडिया गाँधी सेवा संघ’ के वर्ष 1937 में हुए वार्षिक सम्मलेन का साक्षी है। इस सम्मलेन में महात्मा गाँधी, डॉ.राजेंद्र प्रसाद, जे. बी. कृपलानी जैसे लोग उपस्थित थे। उस समय गाँधीजी ने यहाँ एक स्कूल प्रारंभ किया था जो आज भी चल रहा है।
बावन, 52 किलों के अवशेषों के लिए जाना जाता है। बावन का अर्थ है “52” जबकि गढ़ का अर्थ है “किला” । इसे त्रेपन बाज़ार के नाम से भी जाना जाता है। 52 किलों के अवशेष और 53 बाज़ार, गाँव के उत्तर में कुछ ही दूरी पर हैं और गाँव के उत्तर पश्चिम में...
वाल्मीकि राष्ट्रीय उद्यान एक वन्य जीव अभयारण्य है जो 880 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह पश्चिम चंपारण में शिवालिक पर्वत श्रेणी के बाहरी सीमा में स्थित है। यह राष्ट्रीय उद्यान मुख्य रूप से लुप्तप्राय प्राणियों का आवास है जैसे कि चीता। यह अभयारण्य पूरी तरह...
भिकनातोहरी सुंदर प्राकृतिक परिदृश्यों के बीच स्थित है। इस स्थान से आप बर्फ से ढंका हुआ हिमालय और खासकर अन्नपूर्णा चोटी को देख सकते हैं। यह स्थान इसलिए भी प्रसिद्ध है क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि किंग जॉर्ज V शिकार के लिए एक बार यहाँ आये थे।
नंदनगढ़, लौरिया ब्लॉक में जबकि चंकीगढ़ नरकटियागंज ब्लॉक में स्थित है। इस जगह का मुख्य आकर्षण दो बड़े टीले हैं जो नंद वंश और विख्यात अर्थशास्त्री चाणक्य के महलों के खंडहर हैं।
अशोक स्तंभ एक अचंभा हैं जो 2300 साल पुराने हैं। ये स्तंभ 35 फीट ऊँचे हैं। इस स्तंभ की विशिष्टता इसकी भव्यता और इसका उत्कृष्ट डिज़ाइन है जो मौर्य युग की कौशलता को प्रमाणित करता है।