दिल्ली टीला या सिर्फ टीला दिली में एक ऊँचा मैदान है और प्राचीन अरावली श्रेणी का एक विस्तार है। बेहतर रूप से दिल्ली के हरे फेफड़ों के रूप में जाना जाने वाला यह टीला ताज़ी हवा का प्रवाह प्रदान करता है और शहर को राजस्थान की गर्म हवाओं से बचाता है। इसके अलावा इसने दिल्ली को विश्व की पक्षियों की सबसे अमीर राजधानी में दूसरे स्थान पर खड़ा किया है जबकि पहले स्थान पर केन्या का नैरोबी है।
यह टीला क्वार्ट्जाइट चट्टानों के लिए जाना जाता है और प्रशासनिक उद्देश्य से इसे निम्नलिखित चार ज़ोन में बाँट दिया गया है। पुरानी दिल्ली या उत्तरी रिज, नई दिल्ली या केंद्रीय रिज, मेहरौली या दक्षिणी केंद्रीय रिज और तुगलकाबाद या दक्षिणी रिज।
इस रिज के दक्षिणी केंद्रीय भाग पर अरावली जैव विविधता पार्क है तथा रिज के उत्तरी भाग पर रोचक स्मारक भी हैं। आईये इनके बारे में कुछ जाने:
अरावली जैव विविधता पार्क : लगभग 692 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ यह पार्क मेहरौली – महिपालपुर रास्ते, जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय, पालम रोड़, एनएच – 8 और वसंत विहार से घिरा हुआ है। इसका रख रखाव दिल्ली विकास प्राधिकरण और दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा किया जाता है और इसके विकास और पुनर्निर्माण पर अच्छा पैसा खर्च किया गया है।
अशोक स्तंभ : अशोक स्तंभ उत्तर भारत में फैले हुए स्तंभों की एक श्रेणी है। इस स्तंभों पर अशोक के शिलालेख खुदे हुए हैं और उत्तर भारत में ऐसे कुल 19 स्तंभ हैं। इनमें से दो दिल्ली टीले के उत्तरी भाग में हैं। मूल रूप से ये मेरठ और टोपरा में थे परंतु कहा जाता है कि 1356 में फिरोज शाह तुगलक इसे यहाँ लाया था।
ध्वजदंड टॉवर: यह संरचना दिल्ली विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित है। ब्रिटिश भारतीय सेना द्वारा 1828 के दौरान बनाये गए इस टॉवर का उपयोग सिग्नल टॉवर (संकेतक स्तंभ) के रूप में किया जाता था और 1857 की क्रांति के दौरान इस संरचना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह वही कमरा है जिसमें 1857 में दिल्ली की घेराबंदी के दौरान कई यूरोपीय परिवारों ने शरण ली थी।
पीर गरीब : यह संरचना एक वेधशाला थी। 14 वीं शताब्दी में यह शिकार गृह था जिसका निर्माण फिरोज शाह तुगलक ने करवाया था और जो वर्तमान में उत्तरी टीले पर स्थित है।