नैनीताल जिले में समुद्र तल से 1219 मीटर की ऊंचाई पर बसा ज्योलिकोट एक मनमोहक पर्यटन स्थल है। एनएच 87 पर स्थित कुमाऊंनी पहाड़ियों का यह शहर नैनी झील का प्रवेशद्वार भी है। प्रसिद्ध संत व दार्शनिक स्वामी विवेकानंद और श्री अरविंदो ने यहां लंबे समय तक तपस्या की थी। ज्योलिकोट के नजदीकी पर्यटन स्थलों में नैनी झील, मुक्तेश्वर, कॉर्बेट नेशनल पार्क, रामगढ़ और पंगोट गांव काफी प्रसिद्ध है। यहां नाशपाती, बेर और आड़ू के फलोद्यान, मौसमी फूल और रंग बिरंगी तितलियां माहौल को तरोताजा बनाए रखते हैं।
क्या है ज्योलिकोट के आस पास
अगर आप ज्योलिकोट जा रहे हैं तो द कॉटेज जाना न भूलें। ये अब एक रिसॉर्ट में तब्दील हो गया है। पर्यटक यहां हरे भरे पेड़ पौधे, फलों के वृक्ष और मौसमी फूलों का आनंद ले सकते हैं। जोखिम को पसंद करने वालों को ज्योलिकोट खूब भाता है। वहीं यहां का शांत वातावरण प्रकृति प्रेमियों को भी अपनी ओर आकर्षित करता है। इस जगह पर पर्यटक कम ऊंचाई वाले ट्रेकिंग और दुर्गम इलाकों के भ्रमण का आनंद उठा सकते हैं।
प्रचीन मंदिरों, समाधि स्थलों, हॉउस ऑफ वर्विक साहिब तथा अन्य प्रचीन कलाकृतियों का भ्रमण किए बिना ज्योलिकोट की यात्रा अधूरी ही मानी जाएगी। आप चाहें तो ज्योलिकोट का बी-ब्रीडींग सेंटर घूम कर शहद निकालने की कला भी देख सकते हैं। यह शहर ताजे फल और शुद्ध शहद के अलावा खरीदारी का भी बेहतरीन विकल्प मुहैय्या कराता है। यहां कीवी, जैतून और स्ट्रॉबेरी का फल और फूलों का शुद्ध शहद उचित मूल्यों पर मिलता है। इतना ही नहीं, यहां के दुकानों पर छोटे गमलों में उगाए जाने वाले पौधे आसानी से मिल जाते हैं।
कैसे जाएं ज्योलिकोट
ज्योलिकोट हवाई, रेल और सड़क मार्ग से अच्छे से जुड़ा हुआ है। पंतनगर यहां का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है, जो कि नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से नियमति उड़ानों से जुड़ा हुआ है। ज्योलिकोट से 18 किमी दूर काठगोदाम यहां का सबसे निकटतम रेलवने स्टेशन है। आसपास के शहरों से यहां के लिए बसें भी आसानी से मिल जाती हैं।