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केदारनाथ यात्रा के 5 महत्वपूर्ण तथ्य!

केदारनाथ हिंदुओं के चारधाम की यात्रा में से एक सबसे पवित्र तीर्थस्थल है और यह सबसे उँचाई पे स्थित मंदिरों मे से भी एक है।हालाँकि कहा जाता है की इसे महाभारत के पांडवों ने बनाया था पर अभी वर्तमान मंदिर आदि गुरु शंकराचार्या द्वारा डिज़ाइन किया गया है।

चलिए यहाँ के कुछ दिलचस्प तथ्यों के बारे में जानते हैं जिसे जान कर आप आश्चर्यचकित रह जाएँगे।

Kedarnath

केदारनाथ पहाड़ की चोटी
Image Courtesy:
Paul Hamilton

तथ्य 1:

यहाँ का अप्रत्याशित खराब मौसम लोगों को आसानी से यहाँ आने की अनुमति नहीं देता। कभी भी यहाँ का मौसम बुरी तरीके से खराब हो सकता है। सिर्फ़ एक बार के बादल फटने से ही पूरा परिसर पानी और पत्थरों से भर जाता है। साल 2003 में केदारनाथ को बहुत बड़ी प्राकृतिक आपदा की मार झेलनी पड़ी थी।

इस आपदा में दुख की बात यह रही की केदारनाथ के छोटे से नगर का मुख्य भाग बाढ़ के पानी में तबाह हो गया। मंदिर पर इसका उतना प्रभाव नहीं पड़ा। वहाँ की कुछ फुटेज देख कर पता चलता है कि मंदिर के पीछे के बड़े से पत्थर ने मंदिर की तरफ आने वाले बाढ़ के पानी को दो भागों में बाँट दिया था।

Kedarnath

केदारनाथ मंदिर
Image Courtesy: Kmishra19

तथ्य 2:

कुछ धार्मिक विद्वान यह भी महसूस करते हैं की इस पवित्र मंदिर को कभी कुछ नहीं हो सकता चाहे कितनी भी बड़ी आपदा आ जाए क्यूंकि भगवान शिव जी, जो इस मंदिर के मुख्य देवता हैं वो इस मंदिर की रक्षा स्वयं कर रहे हैं। हालाँकि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है सिवाय इस अवैज्ञानिक विचार पर प्रश्न करने के कि अगर देवता खुद ही इनकी रक्षा कर रहे हैं तो हज़ारों लोगों की मौत इस आपदा में क्यूँ हुई? यहाँ तक की मंदिर के चारों तरफ हर जगह सिर्फ़ लाशें बिछी हुई थीं। राहत कार्य के बाद सरकार ने फिर से उस मंदिर को बनवाया।

तथ्य 3:

वैज्ञानिकों और विद्वानों के अनुसार कहा गया कि उस आपदा की वजह से मलवे की नीचे दबे लाशों की नकारात्मक ऊर्जा की वजह से मंदिर बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उन्होने सलाह दी की मंदिर परिसर से जल्द ही उन लाशों को हटा कर साफ किया जाए। फिर मंदिर को दोबारा अच्छी अवस्था में लाने से पहले, 12 में से एक स्थित ज्योतिर्लिंग का शुद्धीकरण की प्रक्रिया की जाए।

Kedarnath

केदारनाथ मंदिर
Image Courtesy:
Shaq774

तथ्य 4:

केदारनाथ की कथायें

यहाँ की पौराणिक कथा हमें महाभारत की दुनिया में ले जाती है। पांडव कुरुक्षेत्र के महायुद्ध के बाद भगवान शिव जी को ढूँढने काशी की यात्रा पर जाते हैं। वे चाहते थे कि युद्ध में उनके द्वारा हुए सारे कुकर्मों और पापों से उन्हें छुटकारा मिल जाए। ये सब जानने के बावजूद भगवान शिव एक बैल का रूप धारण कर उत्तराखंड को पलायन कर जाते हैं।

पांडवों को जब पता चलता है तो वे भी उनके नेतृत्व में काशी से उत्तराखंड को चले जाते हैं। बाद में वे भगवान शिव जी को उस बैल के अवतार में पहचान लेते हैं और आशीर्वाद के लिए उनकी प्रार्थना करते हैं। आज का गुप्तकाशी वही जगह है जहाँ पांडवों ने बैल को खोज निकाला था। अंततः वे अपने भगवान को खुश करने में सफल होते हैं और मुक्ति को प्राप्त करते हैं।

Kedarnath

केदारनाथ मंदिर
Image Courtesy:
Naresh Balakrishnan

तथ्य 5:

उल्लेखनीय है कि, त्रिकोण के आकार की एक लिंग की पूजा केदारनाथ में होती है। अति श्रद्धा है कि यहाँ पर जो भी सच्चे दिल से प्रार्थना करेगा उसके सारे पाप माफ़ कर दिए जाएँगे और मरने के बाद उन्हें कैलाश(स्वर्ग) की ही प्राप्ति होगी।

केदारनाथ की यात्रा का सबसे सही समय

अप्रैल से सितंबर तक का महीना सबसे सही होता है केदारनाथ की यात्रा के लिए। हालाँकि यहाँ की यात्रा की योजना बनाने से पहले आप मौसम के बारे में जानकारी लेना ना भूलें।

Kedarnath

केदारनाथ का मार्ग
Image Courtesy: anurupa_chowdhury

केदारनाथ पहुँचें कैसे

केदारनाथ मंदाकिणी नदी के तट पर बसा हुआ है। हालाँकि यहाँ तक पहुँचने के कई रास्ते हैं पर अंत के 14 किलोमीटर आपको ट्रेकिंग करके ही पहुँचने होंगे।

ठंड के मौसम में, यहाँ का मौसम जमा देने वाला होता है। कोई भी रास्ते दिखाई नहीं देते, इसलिए केदारनाथ का मंदिर साल के 6 महीने बंद रहता है। भगवानों की बाकी प्रतिमाएँ इन दिनों में उखीमठ में रखकर पूजी जाती हैं।

अपने सुझाव और इस अद्भुत यात्रा के अनुभव नीचे व्यक्त करें।

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