जसवंत की छतरी गुंबद के आकार का एक स्मारक है। यह स्मारक प्रसिद्ध राजस्थानी वास्तुशिल्प शैली पर आधारित है और इसमें हिन्दू और मुलग दोनों तरह की विशेषताएं हैं।
इसका नाम भले ही जसवंत की छतरी है, पर इसका निर्माण राजा जसवंत सिंह द्वितीय के सम्मान में नहीं किया गया था। दरअसल इसका निर्माण राजस्थान के बुंदी की राजकुमारी रानी हादा की याद में किया गया था। उनकी शादी अमर सिंह राठौड़ से हुई थी, जिनका आगरा के किले में 25 जुलाई 1644 को निधन हुआ था।
पौराणिक कथा के अनुसार रानी हादा अमर सिंह राठौड़ के साथ सती हो गई थी। राजा यशवंत सिंह अमर सिंह के छोटे भाई थे। उन्होंने ही महान राजपूत राजकुमारी की सती को श्रद्धांजलि देने के लिए इस छतरी का निर्माण करवाया था। हांलाकि इस स्मारक को इसके निर्माता जसवंत सिंह के नाम पर जाना गया।
1644 से 1658 के बीच बनया गया यह स्मारक मुगलकाल का एकमात्र हिंदू ऐतिहासिक स्मारक है। यह यमुना नदी के किनारे राजवाड़ा, बलकेश्वर में स्थित है।