लुधियाना से 23 किमी दूर स्थित गुरुद्वारा दमदमा साहिब भी अमृतसर पर्यटन में खासा महत्व रखता है। इसे छठे सिक्ख गुरू, गुरू हरगोविंद जी स्मृति में बनया गया था, जो 1705 में यहां कुछ समय के लिए रुके थे।
यहां समय बिताने के दौरान गुरू हरगोविंद जी ने सिंहों के सिक्ख धर्म में आस्था की परीक्षा ली। उन्होंने बाबा डाल का बपतिस्मा भी किया और उसका नम डाल सिंह रखा। साथ ही शहीद भाई मनी सिंह जी द्वारा रचित आदि गुरू ग्रंथ साहिब को भी स्वीकृति दी। गुरू हरगोविंद जी ने इस स्थान को यह आशीर्वाद दिया कि जो कोई भी यहां पूरी श्रद्धा के साथ आएगा उनकी मनोकामना पूरी होगी।
गुरुद्वारा दमदमा साहिब का प्रबंधन निहांग सिंहों द्वारा किया जाता है और इसे खालसा पंथ का चौथा सबसे पवित्र तख्त माना जाता है। यहां संक्रांत पर एक विशाल दीवान को स्थापित किया गया है।